केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने अपने बजट भाषण में आत्मनिर्भर भारत के तहत गतिशक्ति योजना की जहां लंबी लकीर खींचने की कोशिश की है, वहीं सामाजिक दायित्वों के निर्वहन में राजधर्म अनुशासन का पालन करने की भी कोशिश की है. उन्होंने अपने डेढ़ घंटे के बजट भाषण के दौरान महाभारत के शांतिपर्व में वर्णित राजधर्म अनुशासन का जिक्र भी किया.
सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार का उद्देश्य इस बजट के माध्यम से लोगों का कल्याण करते हुए राजधर्म निभाने का है. उन्होंने महाभारत के शांतिपर्व के 72वें अध्याय के 11वें श्लोक का जिक्र किया जिसमें युधिष्ठिर राजधर्मानुशासन की बात करते हुए जनमानस के कल्याण और योगक्षेम की बात करते हैं.
शांतिपर्व में कहा गया है, दापयित्वा करं धर्म्यं राष्ट्रं नित्यं यथाविधि | अशेषान्कल्पयेद्राजा योगक्षेमानतन्द्रितः ।। अर्थात्, किसी राष्ट्र का राजधर्म किसी भी विधि से जनता का कुशलक्षेम और कल्याण ही है.
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बता दें कि शान्ति पर्व महाभारत का 12वां पर्व है. इसमें धर्म, दर्शन, राजानीति और अध्यात्म ज्ञान की विशद व्याख्या की गई है. इस पर्व में महाभारत युद्ध के बाद शोकाकुल लोगों को युधिष्ठिर राजधर्म का अनुशासन पढ़ाते हैं. इसी के तहत वह मोक्ष धर्म का भी उपदेश देते हैं.
सीतारमण ने अपने चौथे बजट में आयकर की दरों में कोई बदलाव न कर नौकरी-पेशा लोगों को जहां झटका दिया है, वहीं किसानों पर फोकस किया है. गंगा के दोनों किनारों पर 5 किलोमीटर के दायरे में ऑर्गेनिक फार्मिंग करने, सिंचाई के लिए पांच नदियों को जोड़ने का एलान किया है. इसके अलावा आधारभूत संरचनाओं के विकास और डिजिटल युग में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए डिजिटल यूनिवर्सिटी खोलने समेत 5जी टेक्नोलॉजी की घोषणा की है.
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उन्होंने कोरोना काल में स्कूली पढ़ाई लिखाई के नुकसान को देखते हुए डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाने का ऐलान किया है, जो ऑनलाइन एजुकेशन में मदद करेगी. साथ ही 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग यूनिट भी स्थापित करने की घोषणा की है.