आम बजट 1 फरवरी को पेश किया जा रहा है और बैंकिंग सेक्टर की ओर से भी अपनी मांगें रखी गई हैं, ताकि शेयर बाजार और क्रिप्टोकरेंसी जैसे उभरते निवेश के साधनों के बीच बैंकों को भी मजबूत रखा जा सके. बैंकों ने इक्विटी से जुड़ी बचत योजना (ELSS) जैसे म्यूचुअल फंड की तरह पर कर लाभ के लिए सावधि जमाओं (FD) की अवधि को घटाकर 3 साल करने का सुझाव दिया है.वहीं पांच साल की अवधि की एफडी योजनाओं पर कर लाभ मिलता है. कोई भी व्यक्ति 5 साल की एफडी योजना में धन निवेश करके इनकम टैक्स कानून 1961 की धारा 80सी के तहत आयकर कटौती का दावा कर सकता है.
धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये की सीमा तक विभिन्न मदों में निवेश करके कर छूट हासिल की जा सकती है. भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने बजट पूर्व प्रस्ताव में कहा कि टैक्स छूट के लिए बाजार में उपलब्ध अन्य वित्तीय उत्पाद (ईएलएसएस) की तुलना में एफडी कम आकर्षक हो गया है. यदि लॉक-इन पीरियड कम हो जाती है, तो इससे यह योजना अधिक आकर्षक बन जाएगी और बैंकों को अधिक धनराशि मिल सकेगी. आईबीए ने अपने प्रस्ताव में कहा कि लॉकइन पीरियड मौजूदा पांच साल से घटाकर तीन साल की जानी चाहिए.
बजट प्रस्ताव में बैंकों ने वित्तीय समावेश के लिए उपायों और डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने पर किए गए खर्च के लिए विशेष छूट की मांग भी की गई है. बैंक चाहते हैं कि कराधान से संबंधित मामलों के तेजी से निपटान के लिए एक विशेष विवाद समाधान प्रणाली की स्थापना की जाए. बैंकिंग ग्राहकों के हितों से जुड़े संगठन वॉयस ऑफ बैंकिंग के अश्विनी राणा का कहना है कि सरकार ने बैंक खातों में जमा रकम पर गारंटी एक लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की थी, जो स्वागतयोग्य है. लेकिन सरकार को बैंक खाते में जमा पूरी रकम की सुरक्षा के लिए मामूली प्रीमियम के साथ इंश्योरेंस स्कीम लानी चाहिए, ताकि बैंक उपभोक्ता की गाढ़ी कमाई न डूबे. जैसे मकान, वाहन और अन्य चीजों का बीमा होता है.
साथ ही लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें भी कम न करने की मांग भी रखी गई है, ताकि छोटी पूंजी वाले जमाकर्ताओं और वरिष्ठ नागरिकों के निवेश हितों की सुरक्षा की जा सके. इसके अलावा बैंकिंग ओम्बुड्समैन (लोकपाल) की तरह बैंकों से जुड़ी शिकायतों के लिए भी एक डेडिकेटेड पोर्टल बनाने का सुझाव रखा गया है. ताकि ग्राहकों को भटकना न पड़े औऱ समय रहते शिकायत का समाधान हो जाए.