ब्राजील (Brazil) और भारत बायोटेक (Bharat Biotech) के बीच कोरोनावायरस वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) के 324 मिलियन डॉलर के सौदे पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. दक्षिण अमेरिकी देश का कहना है कि उसके राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामक प्राधिकरण (ANVISA) ने वास्तव में कभी भी हैदराबाद स्थित निर्माता को आपातकालीन उपयोग आवेदन (EUA) नहीं दिया था. पिछले हफ्ते भारत बायोटेक ने अपनी ओर से किसी भी गलत काम में शामिल होने से पूरी तरह से इनकार किया था. हैदराबाद स्थित कंपनी ने कहा कि उसने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसका पालन किया और उसे EUA 4 जून को मिला था.
इसके कुछ घंटों बाद कंपनी ने एक बयान जारी करते हुए बताया था कि ANVISA ने कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए आवेदन के मूल्यांकन के लिए समय सीमा को निलंबित कर दिया है. एजेंसी ने कहा कि टीके के क्लिनिकल ट्रायल का डेटा नहीं होने की वजह से इसे निलंबित किया गया है.
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ANIVSA ने EUA के आवेदन के बीच अंतर पर जोर दिया, जिसके बारे में उसने कहा कि उसे 29 जून को यह प्राप्त हुआ और 4 जून का नोटिस नियंत्रित परिस्थितियों के तहत कोवैक्सीन के आयात को अधिकृत करता है.
बताते चलें कि इस मामले में कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने केंद्र पर हमला बोलते हुए सवाल किया था कि जब टीकों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी गई थी तो फिर भारत बायोटेक से जुड़े इस सौदे को जारी रखने की अनुमति कैसे दी गई. सरकार की हिस्सेदारी वाले इस टीके से संबंधित सौदे में अनियमितता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्री को जवाब देना चाहिए.
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गौरतलब है कि भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके कोवैक्सीन की दो करोड़ खुराकें खरीदने पर सहमत हुई ब्राजील की सरकार ने समझौते में अनियमितताओं के आरोप लगने के बाद गत बुधवार को इस करार को निलंबित करने की घोषणा कर दी. इसके बाद भारत बायोटेक ने एक बयान में कहा कि उसे अभी ब्राजील से टीका के लिए अग्रिम भुगतान नहीं हुआ है.
हैदराबाद की दवा निर्माता कंपनी ने कहा कि कंपनी ने करार, नियामक मंजूरियों और आपूर्तियों के लिहाज से ब्राजील में भी उन्हीं नियमों का पालन किया, जिनका उसने दुनिया के अन्य देशों में कोवैक्सीन की सफल आपूर्ति के लिए किया है. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘भारत बायोटेक एक निजी कंपनी है और इसने आईसीएमआर के साथ मिलकर कोवैक्सीन का निर्माण किया था. आईसीएमआर के साथ इस कंपनी की साझेदारी की वजह से सरकार की भी भूमिका है. इसमें आम लोगों का पैसा लगा है.''
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