BJP के नगरसेवक को कमेटी से बाहर करने के लिए BMC ने खर्च किए 1 करोड़, जानिए पूरा मामला

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बीएमसी के कानूनी विभाग से बीजेपी प्रत्याशी भालचंद्र शिरसाट की स्थायी समिति की सदस्यता के खिलाफ कोर्ट की लड़ाई में हुए खर्च का ब्योरा मांगा था.

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BMC भालचंद्र शिरसाट की स्थायी समिति सदस्यता के खिलाफ दायर मामले में कोर्ट की लड़ाई हार गई
मुंबई:

बृहन्मुंबई महानगरपालिका (Brihanmumbai Municipal Corporation) बीजेपी नगरसेवक भालचंद्र शिरसाट (Bhalchandra Shirasat) की स्थायी समिति सदस्यता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में दायर मामले के तहत मनपा कोर्ट की लड़ाई हार गई और कोर्ट ने उनकी सदस्यता बरकरार रखी. लेकिन इस राजनीतिक लड़ाई में आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को आरटीआई में जानकारी मिली है कि इसमें मनपा को 1 करोड़ 04 लाख का खर्च आया है. आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बीएमसी के कानूनी विभाग से बीजेपी प्रत्याशी भालचंद्र शिरसाट की स्थायी समिति की सदस्यता के खिलाफ कोर्ट की लड़ाई में हुए खर्च का ब्योरा मांगा था. अनिल गलगली को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त वकीलों और परिषद और उन्हें दी जाने वाली राशि से अवगत कराया गया.

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सुप्रीम कोर्ट में 27.38 लाख का खर्च
देश के जाने माने काउंसिल एड मुकुल रोहितगी को 17.50 लाख रुपए दिए गए. इनमें सम्मेलन के लिए 6.50 लाख रुपये और 2 सुनवाई के लिए 11 लाख रुपये दिए गए. एडवोकेट ध्रुव मेहता को 5.50 लाख रुपये, सुकुमारन को ड्राफ्ट, कॉन्फ्रेंस, याचिका के लिए 1 लाख रुपये और अन्य सम्मेलन और सुनवाई के लिए 2.26 लाख रुपये का भुगतान किया गया है. ड्राफ्ट और सम्मेलनों के लिए अतिरिक्त 1.10 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं.

हाईकोर्ट में 76.60 लाख रुपये का खर्च
काउंसिल जोएल कार्लोस को नौ सुनवाई के लिए 3.80 लाख रुपये का भुगतान किया गया है. काउंसिल एस्पी चिनाई को ड्राफ्टिंग के लिए 7.50 लाख रुपये और काउंसिल एवाई साखरे को 40,000 रुपये दिए गए. सम्मेलन के लिए काउंसिल एवाई साखरे को 40,000 रुपये दिया गया. काउंसिल एवाई साखरे को 6 सुनवाई के लिए 14.50 लाख रुपये दिए गए. काउंसिल एस्पी चिनाई ने मनपा की ओर से उच्च न्यायालय में 7 बार लड़ाई लड़ी है, जिसके लिए उन्हें प्रत्येक सुनवाई के लिए 7.50 लाख रुपये की दर से 52.50 लाख रुपये का भुगतान किया गया है. काउंसिल आरएम कदम को एक सुनवाई के लिए 5 लाख रुपए दिए गए हैं.

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अनिल गलगली के मुताबिक पहले और फिर बाद में अपॉइंटमेंट रद्द करने की कोई जरूरत नहीं थी. जब भी किसी राजनीतिक लड़ाई का नतीजा कोर्ट में जाता है तो मनपा के खजाने पर हमेशा बोझ पड़ता है. 1 करोड़ 4 लाख रूपए सार्वजनिक कर से एकत्रित राशि में से एक है और इस संबंध में संबंधित की जिम्मेदारी निर्धारित की जानी चाहिए.

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