भारतीय मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि इस वर्ष जून के पहले सप्ताह में ही मानसून मुंबई में दस्तक देगा, जिसको ध्यान में रखते हुए बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. अतिरिक्त महानगरपालिका आयुक्त डॉ. विपिन शर्मा ने सभी विभागों को निर्देशित किया है कि वे बारिश के पहले सभी आवश्यक कार्यों को समय पर पूरा करें और यह सुनिश्चित करें कि मानसून के दौरान नागरिकों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े.
मुंबई शहर के साथ-साथ पूर्व और पश्चिम उपनगरों में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल यानी NDRF की अलग-अलग इकाइयों को तैनात रखने के आदेश दिए गए हैं. अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट निर्देश दिया कि किसी भी आपदा की स्थिति में एनडीआरएफ की टीम मौके पर त्वरित रूप से पहुंच सके, इसके लिए ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था मुंबई ट्रैफिक पुलिस द्वारा की जानी चाहिए.
बारिश के दौरान जलभराव से बचने के लिए सभी उप आयुक्तों और सहायक आयुक्तों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि जल निकासी व्यवस्था पूरी तरह से काम करे और जरूरत के अनुसार पंप तथा डीजल जनरेटर सेट की व्यवस्था भी समय रहते की जाए. यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि शहर में कहीं भी मैनहोल खुले न रह जाएं, जिससे कोई दुर्घटना न हो सके.
मुंबई की उपनगरीय रेल सेवा पर बारिश का असर न पड़े, इसके लिए रेल विभाग और जल निकासी विभाग को समन्वय के साथ काम करने के निर्देश दिए गए हैं. शहर में लगे बड़े-बड़े विज्ञापन फलक मतलब होर्डिंग्स तथा मोबाइल टावरों को लेकर भी यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि उनके पास संरचनात्मक स्थिरता प्रमाणपत्र हो, जिनके पास यह प्रमाणपत्र नहीं होगा, उनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे.
मानसून के दौरान बिजली बाधित होने की स्थिति में अस्पतालों की सेवा बाधित न हो, इसके लिए बड़े अस्पतालों और उपनगरों के अस्पतालों में डीजल जनरेटर सेट पूर्ण क्षमता से कार्यरत हैं या नहीं, इसका भी विशेष आकलन किया जाएगा. बारिश के मौसम में डेंगू, मलेरिया जैसे बीमारियों की आशंका को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग को सभी प्रतिबंधात्मक उपायों को समय रहते लागू करने के लिए सतर्क रहने का आदेश दिया.
समुद्र किनारे पर भीड़भाड़ और खतरे को देखते हुए उन्होंने अतिरिक्त लाइफगार्ड्स की नियुक्ति करने और हाईटाइड के समय विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश अग्निशमन दल को दिए हैं.
जिन इलाकों में भूस्खलन की आशंका रहती है, उन स्थानों पर बनाई जा रही सुरक्षात्मक रिटेनिंग वॉल्स के काम की प्रगति की भी समीक्षा बैठक में की गई. जर्जर और असुरक्षित इमारतों में रहने वाले नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर स्थलांतरित करने और उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने के भी निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए गए हैं.