कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने बुधवार को कहा कि अगर आज हुए चुनाव में स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस बात पर विचार करेगा कि पार्टी समर्थन के लिए जनता दल-सेक्युलर से संपर्क करेगी या नहीं. उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल के नतीजों में भले ही कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही हो, इसके बावजूद भाजपा ने पूर्ण बहुमत से जीतने के लिए तैयारी की है.
उन्होंने कहा, "अब भी मुझे 100 प्रतिशत विश्वास है कि हम पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं. त्रिशंकु विधानसभा या गठबंधन सरकार का कोई सवाल ही नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व अंतिम फैसला करेगा. हमें 115 से 117 सीटें मिलेंगी. इसलिए अभी जेडी-एस को साथ लेने का सवाल ही नहीं उठता. आईए इंतजार करें और देखें."
बुधवार शाम को जारी एग्जिट पोल ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर के संकेत दिए हैं. अधिकांश सर्वेक्षणों में कांग्रेस को दौड़ में थोड़ा लाभ लेते हुए आगे दिखाया गया है. परिणाम शनिवार को घोषित होने की उम्मीद है.
इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया ने 224 सदस्यीय विधानसभा में 122-140 सीटों के साथ कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलने की भविष्यवाणी की है. भाजपा को 62-80 सीटें और जेडी-एस को 20-25 सीटें मिलने की बात कही है. न्यूज 24-टुडेज चाणक्य ने भी भाजपा को 92 और जेडी-एस को 12 की तुलना में कांग्रेस को 120 सीटों के साथ बहुमत मिलने का अनुमान लगाया है.
एबीपी न्यूज-सी वोटर एग्जिट पोल में कांग्रेस को 100-112 सीटें, बीजेपी को 83-95 और जेडी-एस को 21-29 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. रिपब्लिक टीवी-पी मार्क ने कांग्रेस को 94-108 सीटें, बीजेपी को 85-100 और जेडी-एस को 24-32 सीटें मिलने का अनुमान जताया है. इंडिया टीवी-सीएनएक्स एग्जिट पोल में कांग्रेस को 110-120, बीजेपी को 80-90 और जेडी-एस को 20-24 सीटें मिलने का अनुमान है.
टीवी9 भारतवर्ष-पोलस्ट्रैट ने कांग्रेस को 99-109 सीटें जीतने, बीजेपी को 88-98 और जेडी-एस को 21-26 सीटों पर जीतने का अनुमान लगाया है. ज़ी न्यूज़-मैट्रिज़ एजेंसी का अनुमान है कि कांग्रेस 103-118 सीटें, बीजेपी 79-94 और जेडी-एस 25-33 सीटें जीत रही है.
साल 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी 224 में से 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. उसके बाद कांग्रेस को 80 और जेडी-एस को 37 सीटें मिली थीं. कांग्रेस और जेडी-एस गठबंधन की सरकार बनी थी जो 14 महीने के भीतर गिर गई थी क्योंकि 17 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था. इसका भाजपा को दोष दिया गया था. गठबंधन सरकार गिरने के बाद भाजपा की सत्ता में वापसी हो गई थी.