बीजेपी अगले लोकसभा चुनाव में अपने कई दिग्गज मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतार सकती है. बीजेपी नेतृत्व किसी भी नेता को दो बार से अधिक राज्यसभा भेजने के पक्ष में नहीं है और इसीलिए राज्यसभा के रास्ते मंत्रिपरिषद में मौजूद कई नेताओं को चुनाव के मैदान में उतर कर सीधे जनता से आशीर्वाद मांगने को कहा जा सकता है. खबर है कि इसी के मद्देनजर राज्यसभा के जरिए मंत्री बने कई नेताओं ने लोकसभा चुनाव की लड़ाई की तैयारी शुरू भी कर दी है. इसी के साथ बीजेपी बड़ी संख्या में अपने मौजूदा लोकसभा सांसदों का टिकट भी काट सकती है. खासतौर से उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में ऐसा बड़े पैमाने पर हो सकता है. उनकी जगह युवा उम्मीदवारों को जगह दी जा सकती है. वैसे भी 75 पार से ऊपर के नेताओं को चुनावी राजनीति से हटाने के बीजेपी के अघोषित नियम के तहत कई मौजूदा सांसदों और मंत्रियों पर तलवार लटक रही है.
पहले बात उन मंत्रियों की करते हैं जो राज्य सभा के सांसद हैं. दरअसल, मुख्तार अब्बास नकवी को कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था, क्योंकि वे दो बार राज्यसभा सांसद थे और पार्टी ने उन्हें तीसरी बार राज्य सभा नहीं दी. इसी के बाद से ऐसे मंत्रियों पर फोकस है, जो दो या उससे अधिक बार से राज्यसभा के सांसद हैं. कई ऐसे मंत्री भी हैं जो चाहे राज्य सभा में पहली बार आए हों, लेकिन पार्टी उनकी लोकप्रियता का लाभ उठाने के लिए उन्हें लोक सभा चुनाव में खड़ा कर सकती है.
दो या उससे अधिक बार राज्य सभा पाने वाले सात मंत्री हैं, जो कि इस समय केंद्रीय मंत्रिपरिषद में हैं. पहली बार राज्य सभा में आए मगर राजनीति में अनुभवी इन मंत्रियों पर भी नजर है. इन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा जा सकता है. इन मंत्रियों को कई कठिन लोक सभा सीटों की जिम्मेदारी भी दी गई है. महासंपर्क अभियान के तहत भी इन्हें जमीन पर उतारा गया है. इसी के साथ रोजगार मेलों में भी इन मंत्रियों की मौजूदगी अहम रही है.
इन मंत्रियों ने उन राज्यों में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है, जहां से उनके लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना हो सकती है. दो या उससे अधिक बार राज्य सभा में आए मंत्रियों में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया, मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी शामिल हैं.
इनके अलावा कुछ ऐसे मंत्री भी हैं, जिनका चुनावी राजनीति में अनुभव है, लेकिन फिलहाल वे राज्यसभा में हैं. इनमें नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, एमएसएमई मंत्री नारायण राणे और आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल शामिल हैं. इनके अलावा दो ऐसे मंत्री हैं, जिन्होंने अपने प्रदर्शन से गहरी छाप छोड़ी है. इनमें विदेश मंत्री एस जयशंकर और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव शामिल हैं.
केंद्रीय मंत्रियों की सक्रियता बढ़ी
कई केंद्रीय मंत्रियों ने उन राज्यों में सक्रियता बढ़ा दी है, जहां से वे चुनाव लड़ सकते हैं. धर्मेंद्र प्रधान दो बार राज्य सभा में आ चुके हैं. उनका राज्यसभा कार्यकाल मार्च 2024 तक है. उन्होंने अपने गृह राज्य ओडिशा में सक्रियता बढ़ा दी है. भूपेंद्र यादव का भी यह दूसरा कार्यकाल है. राज्यसभा में मार्च 2024 में उनका कार्यकाल समाप्त होगा. यादव हरियाणा और राजस्थान में सक्रिय हैं. वहीं मनसुख मांडविया का यह दूसरा कार्यकाल है. मार्च 2024 में उनका कार्यकाल खत्म होगा और यह उनका दूसरा कार्यकाल है. मांडविया गुजरात से चुनाव लड़ सकते हैं.
निर्मला सीतारमण तमिलनाडु में सक्रिय
वहीं पुरुषोत्तम रूपाला का यह तीसरा कार्यकाल है, जो मार्च 2024 में खत्म हो रहा है. रूपाला अपने गृह राज्य गुजरात में सक्रिय हैं. पीयूष गोयल का भी यह तीसरा कार्यकाल है. उनका कार्यकाल जुलाई 2028 तक है और चुनाव लड़ने की बाध्यता नहीं है. वहीं निर्मला सीतारमण का यह तीसरा कार्यकाल है. पहला कार्यकाल केवल दो साल का था और मौजूदा कार्यकाल जून 2028 तक है. सीतारमण तमिलनाडु में काफी सक्रिय हैं. हरदीप सिंह पुरी का यह दूसरा कार्यकाल है और वह नवंबर 2026 तक राज्य सभा में रहेंगे. पुरी की पंजाब और जम्मू कश्मीर में सक्रियता है. पुरी 2019 में अमृतसर से चुनाव हार गए थे.
सिंधिया और राणे भी लड़ सकते हैं चुनाव
उधर, ज्योतिरादित्य सिंधिया लोकसभा सांसद रह चुके हैं. सिंधिया गुना से चुनाव हार गए थे. वे एक बार फिर लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. वहीं सर्वानंद सोनोवाल असम के सीएम रह चुके हैं. उन्हें असम से चुनाव लड़ाया जा सकता है. सोनोवाल लोकसभा सांसद और विधायक भी रह चुके हैं. इनमें साथ नारायण राणे महाराष्ट्र के सीएम रह चुके हैं. उनका राज्य सभा कार्यकाल अप्रैल 2024 तक है और राणे की महाराष्ट्र में काफी अच्छी पकड़ भी है.
टिकट काट सकती है बीजेपी
मिशन 2024 में जुटी बीजेपी कई मौजूदा लोक सभा सांसदों के टिकट भी काट सकती है. खासतौर से उन राज्यों में जहां उसे बंपर जीत मिली थी. बीजेपी ने सांसदों के प्रदर्शन पर लगातार नजर रखी है, जिन सांसदों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है, उनकी छुट्टी हो सकती है. कई सांसद 75 साल के करीब पहुंच गए हैं, उनका भी टिकट कट सकता है. नए चेहरों को मौका देने से लोगों की नाराजगी दूर की जा सकती है.
कर्नाटक में 11 सांसदों के कट सकते हैं टिकट
बीजेपी सूत्रों के अनुसार कर्नाटक में कई बीजेपी सांसदों का टिकट काटा जा सकता है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार झेलनी पड़ी थी और कई सांसदों पर तलवार लटकी हुई है. विधानसभा चुनाव में उनके क्षेत्र में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था. राज्य की 28 में से 25 सीटों पर भाजपा सांसद हैं. इनमें से करीब 11 सांसदों को टिकट काटे जा सकते हैं. इनमें से कुछ सांसद खराब सेहत का हवाला देकर खुद ही मना भी कर चुके हैं. कई अन्य सांसदों का प्रदर्शन ठीक नहीं माना जा रहा है, वहीं दो सांसद ऐसे भी जो 75 के नजदीक हैं.
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