कांग्रेस पर परिवारवाद के बहाने हमला करने वाली बीजेपी की सारी बातें मध्यप्रदेश के निकाय चुनावों में खोखली साबित हुईं. मंत्रियों, विधायकों ने अपने परिजन को उपकृत करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. ज्यादातर सफल हुए तो कुछ हार भी गये. ये हालात तब थे, जब चुनाव से पहले पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा भोपाल में आकर पत्रकारों को परिवारवाद की परिभाषा समझा कर गए थे. लेकिन शायद उनकी अपनी पार्टी ने इसे नज़रअंदाज कर दिया.
जेपी नड्डा ने कहा था कि इसको पार्टी ने पकड़ा है, कि पिता के बाद बेटा आये इसे रोका जाए. मध्यप्रदेश में ये निकाय चुनाव में लागू होता है, आपके यहां 2-3 चुनाव आये हम जीत सकते थे, ये कहते रहे कि सीट दिक्कत में पड़ जाएगी, नीति है भैय्या कई बार ऑपरेशन करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि पार्टी की इंटरनेल डेमोक्रोसी को बरकरार रखना है या नहीं? हिमाचल में जीती सीट हार गए लेकिन कार्यकर्ताओं को टिकट दिया. जिनके बच्चे लंबे समय से काम कर रहे हैं पार्टी के लिये काम करें, जहां तक रिप्रेंजेटेशन का सवाल है पॉलिसी वाइज कार्यकर्ता को आगे बढ़ाएंगे. पीड़ा होती है लेकिन पार्टी की इंटरनल डेमोक्रेसी को मजबूत रखना है नहीं तो कल को कौन कार्यकर्ता आएगा.
बीजेपी नेताओं के परिवार और रिश्तेदार के जीते उम्मीदवार:
खंडवा - अमृता यादव, महापौर, बीजेपी के बार विधायक रहे हुकुमचंद यादव की बहू
सतना - योगेश ताम्रकार, महापौर, संघ के दिग्गज नेता शंकर प्रसाद ताम्रकर के पुत्र
टीकमगढ़ - उमिता सिंह, जिला परिषद अध्यक्ष, उमा भारती की भतीजा बहू
सागर - हीरा सिंह राजपूत, जिला परिषद अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भाई
मंडला - संजय कुशराम, जिला परिषद अध्यक्ष, केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के दामाद
खंडवा - दिव्यादित्य, जिप. उपाध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री कुंवर विजय शाह के पुत्र
रीवा - प्रणय प्रताप, जिप. उपाध्यक्ष, विधायक और पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह के भतीजे
बड़वानी - बलवंत सिंह पटेल, जिप. अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री प्रेम सिंह पटेल के पुत्र
सागर - सविता पृथ्वी सिंह, जप. अध्यक्ष, मंत्री भूपेंद्र सिंह की भतीजा बहू
बामौरा - वैष्णवी सिंह, सरपंच, मंत्री भूपेंद्र सिंह की नातिन
इस वंशबेल के पक्ष में भी बीजेपी के तर्क हैं तो कांग्रेस हमलावर है. बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा ने कहा कि ये नॉन सिंबलॉकि है, जो बीजेपी का समर्थन करते हैं उनको समर्थन करते हैं, पन्ना अध्यक्ष तक के लोग जन-जन तक पहुंचे और 80 प्रतिशत से ज्यादा परिणाम हमारे पक्ष में आए. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता अब्बास हाफिज ने कहा कि बीजेपी की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है. जब टिकट दिये गये तो खूब भाई भतीजावाद चला, भाजपा पूरी तरह से परिवारवाद में लिप्त है.
मध्यप्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हुए निकाय चुनाव कई मायनों में अभूतपूर्व रहे. चुनाव आयोग की चुप्पी भी ऐतिहासिक रही. शुक्रवार को भोपाल जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दौरान पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा और कई कांग्रेसी नेता जिला पंचायत दफ्तर पर डटे थे. उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया, लेकिन बीजेपी के मंत्री भूपेन्द्र सिंह, विश्वास सारंग और रामेश्वर शर्मा अंदर जाते रहे, बहस होती रही.
कांग्रेस का दावा था कि 10 में से 8 उसके उम्मीदवार जीते, लेकिन कांग्रेस के 8 ज़िला परिषद सदस्यों में से 4 बिक गए. जिसमें एक अध्यक्ष बन गया, दूसरा उपाध्यक्ष. झगड़े के बाद कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने गुंडा कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजिय सिंह को उसका अध्यक्ष बनाने की मांग कर दी.
वहीं सीहोर के चुने सदस्यों का एक और वीडियो वायरल हुआ, जिसमें गंगा नदी में बैठकर सब शपथ ले रहे हैं कि जिसको भी मुख्यमंत्री समर्थन करेंगे, सभी सदस्य उसी व्यक्ति को वोट देंगे.