अजित पवार की BJP को क्यों जरूरत? NCP नेता ने एकनाथ शिंदे को चेताया

रविवार को एकनाथ शिंदे ने एनसीपी नेता का गर्मजोशी से स्वागत किया. एकनाथ शिंदे ने कहा, "अब डबल इंजन सरकार के पास ट्रिपल इंजन है. अब राज्य (विकास के पथ पर) तेजी से आगे बढ़ेगा.

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नई दिल्ली:

अजित पवार के अचानक शिंदे सरकार में शामिल होने के कदम के बार में अनजान शरद पवार की एनसीपी ने कहा कि यह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए अच्छी खबर नहीं है. पार्टी ने संकेत दिए कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से एकनाथ शिंदे का रिप्लेसमेंट ढूंढ़ा जा रहा था.  रविवार शाम को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनसीपी नेता जयंत पाटिल ने कहा कि "एकनाथ शिंदे की शक्ति कम हो जाएगी." इस दौरान ही उन्होंने अजित पवार के उस दावे का खंडन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पूरी एनसीपी उनके साथ है.

उन्होंने इसके पीछे का कारण बताते हुए दावा किया कि "कुछ लोगों" को मुख्यमंत्री के काम करने का तरीका पसंद नहीं आता. पाटिल ने कहा, "अब उनकी (एकनाथ शिंदे के) पावर को कम करने के लिए, अजित पवार को उस सरकार में शामिल किया गया है जो पहले से ही बहुमत में है." जब एकनाथ शिंदे को गठबंधन की सरकार में मुख्यमंत्री पद दिया गया, लेकिन मतभेद रहे हैं. शिंदे के गुट के नेताओं का दावा है कि भाजपा बड़े भाई की भूमिका निभाने की कोशिश कर रही है.

ऐसी खबरें हैं कि भाजपा चाहती है कि राज्य मंत्रिमंडल में आगामी फेरबदल से पहले एनसीपी मंत्रियों के लिए जगह बनाने के लिए शिंदे गुट के 10 मंत्रियों को हटा दिया जाए. अप्रैल महीने में एकनाथ शिंदे गुट ने कहा था कि अगर अजित पवार एनसीपी के अन्य नेताओं के साथ गठबंधन में शामिल होते हैं, तो वे सरकार का हिस्सा नहीं रहेंगे. ऐसा कहा जाता है कि मामला केंद्रीय मंत्री और भाजपा के मुख्य रणनीतिकार अमित शाह के हस्तक्षेप से सुलझा लिया गया था, जिन्होंने पिछले हफ्ते दिल्ली में एकनाथ शिंदे और अजित पवार दोनों से मुलाकात की थी.

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रविवार को एकनाथ शिंदे ने एनसीपी नेता का गर्मजोशी से स्वागत किया. एकनाथ शिंदे ने कहा, "अब डबल इंजन सरकार के पास ट्रिपल इंजन है. अब राज्य (विकास के पथ पर) तेजी से आगे बढ़ेगा. अब हमारे पास एक मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री हैं. इससे राज्य के तेजी से विकास में मदद मिलेगी." बीजेपी ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है. पार्टी के सूत्रों ने कहा कि अजित पवार का गठबंधन सरकार को समर्थन देने का फैसला कांग्रेस द्वारा राहुल गांधी को विपक्ष के नेता और 2024 के लिए पीएम उम्मीदवार के रूप में पेश करने की कोशिश का नतीजा है. एक नेता ने कहा, ''राहुल गांधी और कांग्रेस की मनमानी एनसीपी के टूटने की वजह है."

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