महाराष्ट्र में एक तरफ शिवसेना में हुई बगावत को लेकर राजनीतिक घमासान मचा है. वहीं मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (MCA) के चुनाव में सभी एक पैनल में हैं. खास बात ये है कि एनसीपी के नेता शरद पवार और मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेलार एक ही पैनल में हैं. इतना ही नहीं उद्धव ठाकरे के निजी सचिव मिलिंद नार्वेकर भी इसी पैनल का हिस्सा हैं. इस चुनाव में इस ग्रुप की तरफ से आशीष शेलार एमसीए के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार हैं.
वहीं अंधेरी विधानसभा उपचुनाव में शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट आमने-सामने है. हालांकि कांग्रेस और एनसीपी ने ठाकरे गुट को अपना समर्थन दिया है. शिवसेना नेता अनिल परब ने कहा है कि अंधेरी उपचुनाव महाविकास आघाडी की तरफ से लड़ा जाएगा. शिवसेना विधायक रमेश लटके के निधन के बाद अंधेरी विधानसभा सीट खाली हुई है.
इधर दो गुटों में शिवसेना पर अधिकार की लड़ाई के बीच चुनाव आयोग ने पार्टी के नाम और चिन्ह के इस्तेमाल पर रोक लगा दी. वहीं दोनों गुटों को नया नाम दे दिया. शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े को अब शिवसेना उद्धव बाला साहेब ठाकरे के नाम से जाना जाएगा और इसका नया पार्टी चिन्ह मशाल होगा. भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने आज यह घोषणा की. चुनाव आयोग ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को बाला साहेब की शिवसेना कहा जाएगा.
शिंदे धड़े को अभी तक पार्टी का चुनाव चिह्न आवंटित नहीं किया गया है, क्योंकि चुनाव आयोग ने पार्टी से तीन नए विकल्प देने को कहा है. इससे पहले, शिंदे गुट द्वारा प्रस्तावित गदा और त्रिशूल को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया था, क्योंकि वे धार्मिक प्रतीक थे.
इससे पहले आज, उद्धव ठाकरे ने प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच टकराव के बीच शिवसेना के प्रतीक और नाम पर चुनाव आयोग की रोक को चुनौती दी थी. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने शनिवार के आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह बिना किसी सुनवाई के फ्रीज कर दिया गया है, जो "प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ" है.
चुनाव आयोग ने ठाकरे और प्रतिद्वंद्वी एकनाथ शिंदे गुट को मुंबई के अंधेरी पूर्व निर्वाचन क्षेत्र में 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए नए नाम और प्रतीकों को चुनने के लिए कहा था.
शिवसेना के चिन्ह को लेकर टीम उद्धव और टीम शिंदे के बीच बीते कई महीनों से आपसी खींचतान चल रही थी. उद्धव ठाकरे जहां इसे अपने पिता की पार्टी बताकर इस पर अपना दावा कर रहे थे. वहीं सीएम शिंदे का कहना था कि लोकतंत्र में पार्टी उसी की होती है जिसके पास बहुमत होता है और फिलहाल बहुमत का आंकड़ा हमारे पास है. लेकिन अब चुनाव आयोग के इस ऐलान के बाद दोनों ही पक्ष पार्टी के नाम और चिन्ह के इस्तेमाल से वंचित कर दिए गए हैं.