संसद के मॉनसून सत्र में महंगाई और खाने-पीने के सामान पर 5% जीएसटी लगाने के मसले पर राजनितिक गतिरोध गहराता जा रहा है. मंगलवार को लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी दलों के हंगामे की वजह से लगातार दूसरे दिन दोनों ही सदनों में कोई कामकाज नहीं हो सका. बीजेपी ने विपक्ष पर GST के मसले पर दोहरा मापदंड अख्तियार करने लगाया है. मंगलवार को संसद की कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा और राज्यसभा में महंगाई और खाने-पीने के सामान पर 5% GST लगाने के मसले चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया.
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने हंगामा कर रहे विपक्षी सांसदों से कहा है कि सदन में प्लेकार्ड्स को लेकर प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं है. आप अपनी सीट पर वापस जाएं, लेकिन लोकसभा स्पीकर की अपील का विपक्षी दलों पर कोई असर नहीं हुआ और सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी.
हंगामा और विरोध की यही तस्वीर राज्यसभा में भी दिखाई दी जहां कोई भी कामकाज आज नहीं हो सका. विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने ट्वीट कर कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाले जिस ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स ने खाने-पीने के सामान पर GST रेट में बदलाव की सिफारिश की उसमे पश्चिम बंगाल, राजस्थान और केरल सरकार के वित्त मंत्री थे. ये फैसला टैक्स लीकेज रोकने के लिए लिया गया था.
बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने एनडीटीवी से बातचीत में आरोप लगाया की 29 जून की जीएसटी काउंसिल बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आप शासित राज्यों के वित्त मंत्रियों ने खाने-पीने के सामानों पर 5% जीएसटी लगाने का समर्थन किया था और सर्वसहमति से इसे मंज़ूरी दी गयी थी. बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने एनडीटीवी से कहा कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में आप जीएसटी लगाने का समर्थन करते हैं और बाहर राहुल गांधी कहते हैं कि यह गब्बर सिंह टैक्स है. आपने जीएसटी काउंसिल की बैठक में क्यों नहीं विरोध किया? आज तक जो भी जीएसटी काउंसिल में निर्णय हुआ है वह सबकी सहमति से निर्णय हुआ है. विपक्ष का दोहरा चरित्र इस मसले पर सामने आया है. बैठक में समर्थन करते हैं और बाहर उसका विरोध करते हैं.
विपक्षी दल महंगाई और खाने पीने के सामान पर 5% जीएसटी लगाने के मसले पर लोकसभा और राज्य सभा में तत्काल चर्चा की मांग पर अड़े हैं, जबकि बीजेपी ने विपक्षी दलों पर जीएसटी के मसले पर दोहरा रवैया अख्तियार करने का आरोप लगाया है. ऐसे में संसद में जारी ये गतिरोध जल्दी खत्म होगा इसके आसार दिखाई नहीं देते.