दुनिया में घूम-घूमकर कहो ना प्यार है नहीं बोल रहे...BJP सांसद ने लंदन में अपने धांसू भाषण से पाक को धो डाला

समिक भट्टाचार्य ने कहा कि आज भारत किसी के दरवाजे पर कटोरी लेकर नहीं खड़ा है. हम पूरे विश्व भर में घूम रहे हैं. हम  Europe में आकर किसी का दरवाज़े में नहीं बोल रहे हैं कहों ना प्यार है, कहो ना प्यार है?

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नई दिल्ली:

ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से पाकिस्तान को मुहंतोड़ जवाब देने के बाद अब भारत की तरफ से वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को बेनकाब करने के प्रयास जारी हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद समिक भट्टाचार्य ने लंदन में भारतीय उच्चायोग में आयोजित एक कार्यक्रम में पाकिस्तान को जमकर सुनाया. 

भट्टाचार्य ने कहा कि आज भारत किसी के दरवाजे पर कटोरी लेकर नहीं खड़ा है. हम पूरे विश्व भर में घूम रहे हैं. हम  Europe में आकर किसी का दरवाज़े में नहीं बोल रहे हैं कहों ना प्यार है, कहो ना प्यार है? हम लोग किसी का भीख मांगने के लिए इधर नहीं आए हैं. हम लोग यही उसको चेतावनी देने के लिए आए हैं सचेत करने के लिए आए जो आज हमारा साथ हो रहा है कल तुम्हारा साथ भी वही होने वाला है कितना खून बहेगा कितना खून तुम लोग बहाओगे? हमारी आबादी 140 करोड़ की है. 

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बताते चलें कि बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद पर भारत के रुख को दुनिया के सामने रखने के लिए शनिवार शाम लंदन पहुंचा, जिसमें  डी पुरंदेश्वरी, प्रियंका चतुर्वेदी, गुलाम अली खटाना, अमर सिंह, समिक भट्टाचार्य, एम थंबीदुरई और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री एमजे अकबर तथा राजदूत पंकज सरन शामिल हैं. ये नेता सामुदायिक समूहों, थिंक टैंक, सांसदों और प्रवासी नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. 

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हमें दोष देना बंद करें, अपने अंदर झांके पाक: भारत

गौरतलब है कि भारत ने सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान को एक  दो टूक जवाब दिया है. शुक्रवार को ताजिकिस्तान के दुशांबे में ग्लेशियरों पर संयुक्त राष्ट्र के पहले सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद के जरिए संधि का उल्लंघन कर रहा है. ऐसे में उसे ये कहना अब साफ तौर पर बंद कर देना चाहिए कि हमने इस संधि को तोड़ा है. 

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उन्होंने आगे कहा कि हम पाकिस्तान द्वारा मंच का दुरुपयोग करने और ऐसे मुद्दों का अनावश्यक उल्लेख करने के प्रयास से स्तब्ध हैं. हम इस तरह के प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं. सिंह ने आगे कहा कि यह एक निर्विवाद तथ्य है कि सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद से परिस्थितियों में मूलभूत परिवर्तन हुए हैं. जिसके लिए संधि के दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है.

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