दुनिया की सबसे अहम पार्टी है BJP? US विद्वान के आलेख में पश्चिम के लिए मौजूद हैं बड़े सबक

प्रोफेसर वॉल्टर रसेल मीड की यह टिप्पणी भारतीय संदर्भ में बेहद अहम है, क्योंकि देश में अगले साल के पूर्वार्द्ध में ही आम चुनाव होने वाले हैं. इसके अलावा, यह आलेख ऐसे वक्त में प्रकाशित हुआ है, जब जी20 की अध्यक्षता भारत के पास है, और वह स्वयं को वैश्विक दक्षिण की शक्तिशाली आवाज़ के रूप में प्रस्तुत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है.

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प्रोफेसर वॉल्टर रसेल मीड ने BJP को अमेरिका के लिए दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण विदेशी राजनीतिक पार्टी करार दिया...

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दिए अपने भाषण में प्रमुख अमेरिकी समाचारपत्र 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' (WSJ) में हाल ही में प्रकाशित एक आलेख का ज़िक्र किया था, जिसका शीर्षक था, "भारत की BJP दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण राजनैतिक पार्टी है..." इस आलेख ने भारतीय मीडिया में भी खासी जगह बनाई और चर्चा का विषय बना, क्योंकि इसमें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले हिन्दुस्तान में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी के बारे में कुछ दिलचस्प टिप्पणियां की गई हैं.

अमेरिका के जाने-माने शिक्षाविद तथा स्कॉलर प्रोफेसर वॉल्टर रसेल मीड (Professor Walter Russell Mead) द्वारा लिखे इस आलेख का सबसे अहम पहलू यह है कि इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका समेत समूचे पश्चिमी विश्व को सुझाया गया है कि BJP के साथ ज़्यादा गहराई और करीबी से जुड़ें. प्रोफेसर मीड के मुताबिक, चीन की बढ़ती ताकत से मुकाबिल होने के लिए अमेरिका को BJP के साथ ज़्यादा अर्थपूर्ण रिश्ता जोड़ना होगा.

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अतीत में येल यूनिवर्सिटी में पढ़ाते रहे, और फिलहाल हडसन इंस्टीट्यूट में अमेरिकी विदेश नीति के विद्वान की हैसियत से विराजे प्रोफेसर मीड ने BJP को अमेरिका के लिए दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण विदेशी राजनीतिक पार्टी करार दिया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि BJP दुनियाभर में सबसे ज़्यादा गलत समझी जाने वाली पार्टी है, लेकिन आलेख में प्रोफेसर मीड ने BJP के लिए एक भविष्यवाणी भी की है कि भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 और 2019 में शानदार जीत के बाद अब BJP लगातार तीसरा कार्यकाल हासिल करने की दिशा में बढ़ रही है. WSJ के लिए 'ग्लोबल व्यू' शीर्षक से नियमित कॉलम लिखने वाले प्रोफेसर मीड का कहना है कि इसी वजह से भारत में हिन्दू राष्ट्रवादी आंदोलन की विचारधारा और उसके फैलाव को समझना बेहद अहम है. प्रोफेसर के अनुसार, जैसे-जैसे चीन के साथ तनाव बढ़ रहा है, अमेरिका को आर्थिक और राजनीतिक साझेदार के रूप में भारत की ज़रूरत है, और BJP को बेहतर तरीके से समझ लेने से न सिर्फ निवेशकों और व्यापारिक नेताओं को लाभ होगा, बल्कि नीति-निर्माताओं और राजनयिकों को भी ज़मीनी तौर पर बेहतर और स्थिर विदेश नीति तैयार करने में सहायता मिलेगी.

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सामरिक संबंध, धर्म, यहूदी-विरोध, पश्चिम एशिया, इस्राइल-अमेरिका संबंध, यूक्रेन युद्ध, चीन तथा अन्य बहुत-से विषयों पर किताबें और लेख लिख चुके प्रोफेसर वॉल्टर रसेल मीड का मानना है कि BJP को अक्सर गलत समझा जाता रहा है. उनके मुताबिक, ऐसा मुख्य रूप से इसलिए होता है, क्योंकि BJP ऐसे राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास से विकसित हुई है, जिससे अधिकांश गैर-भारतीय परिचित ही नहीं हैं.

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विद्वत्तापूर्ण साख के साथ-साथ तर्क की सम्मानित आवाज़ माने जाने वाले प्रोफेसर मीड BJP के लिए कुछ तुलनाएं भी करते हैं. उनका कहना है कि यह मुस्लिम ब्रदरहुड से मिलता-जुलता है, क्योंकि एक ओर यह पश्चिम के कई उदारवादी विचारों को खारिज करता है, लेकिन वहीं आधुनिकता के प्रमुख पहलुओं को गले भी लगाता है. प्रोफेसर मीड के मुताबिक, BJP चीन की कम्युनिस्ट पार्टी जैसी कही जा सकती है, क्योंकि उसका इरादा भी राष्ट्र को वैश्विक महाशक्ति बनाने की दिशा में ले जाने का है. एक अन्य तुलना में वह कहते हैं कि यह इस्राइल के सत्तारूढ़ गठबंधन सरीखी है, और BJP भी एक तरफ बाज़ार-समर्थक पारंपरिक मूल्यों का इस्तेमाल करती है, वहीं वह उन लोगों को एक साथ भी लाती है, जिन्हें पश्चिमी विचारों से प्रभावित अतीत के राजनैतिक अभिजात्य वर्ग द्वारा बहिष्कृत और तिरस्कृत किया गया था.

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इसके बाद प्रोफेसर मीड हिन्दू एजेंडा को चलाने के लिए BJP और RSS की अक्सर होने वाली आलोचना की बात करते हैं, जिसका सामना उन्हें अक्सर करना पड़ता है. प्रोफेसर इसका संदर्भ भारत की विभिन्न वास्तविकताओं के उदाहरण देकर जोड़ते हैं. वह अपने आलेख में पुनरुत्थानवादी हिन्दू गौरव की भी बात करते हैं, कभी-कभी अचानक बेहद फैल जाने वाली हिंसा की भी, और धर्मांतरण-विरोधी कानूनों की भी, लेकिन साथ ही यह भी कहते हैं कि भारत जटिल स्थान है. इसके बाद वह ईसाई-बहुल पूर्वोत्तर राज्यों में BJP की जीत, शिया मुस्लिमों जैसे समुदायों में उत्तर प्रदेश BJP की स्वीकार्यता और ज़मीनी तौर पर जातिगत भेदभाव से लड़ने के लिए RSS द्वारा किए गए प्रयासों का ज़िक्र करते हैं. प्रोफेसर मीड ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और RSS प्रमुख मोहन भागवत के साथ अपनी मुलाकातों के बारे में भी बात की और बताया कि दोनों ने ही निवेश और आर्थिक विकास पर बातचीत की.

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प्रोफेसर मीड के अनुसार, मोहन भागवत ने अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ किसी भी तरह के भेदभाव के विचार को पूरी तरह से खारिज किया. प्रोफेसर मीड यह भी कहते हैं कि उन्होंने BJP, RSS के कई नेताओं और यहां तक ​​कि उनके आलोचकों से भी बातचीत की, और ऐसा महसूस हुआ कि भारतीय नेता अपने राजनीतिक और सामाजिक आधार से संपर्क गंवाए बिना बाहरी दुनिया के साथ सार्थक रूप से जुड़ना चाहते हैं.

प्रोफेसर वॉल्टर रसेल मीड की यह टिप्पणी भारतीय संदर्भ में बेहद अहम है, क्योंकि देश में अगले साल के पूर्वार्द्ध में ही आम चुनाव होने वाले हैं. इसके अलावा, यह आलेख ऐसे वक्त में प्रकाशित हुआ है, जब जी20 की अध्यक्षता भारत के पास है, और वह स्वयं को वैश्विक दक्षिण की शक्तिशाली आवाज़ के रूप में प्रस्तुत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है. उधर, वर्ष 2025 में शताब्दी वर्ष मनाने के लिए पूरी तरह तैयार RSS भी अपनी सामाजिक समावेशी पहल का व्यापक विस्तार कर रहा है. सो, प्रोफेसर वॉल्टर रसेल मीड जैसी प्रमुख आवाज़ों को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता.

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