Bihar: 'बिना दिमाग के काम करती है सरकारी संस्थाएं?' हाई कोर्ट की नीतीश सरकार पर गंभीर टिप्पणी

ये याचिका समस्तीपुर महिला कॉलेज से रिटायर हुए सेक्शन ऑफिसर रहे रामनवल शर्मा द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने अपने लिए सही वेतनमान और उसके आधार पर बकाया रकम के भुगतान का आदेश देने के लिए रिट याचिका दायर की थी.

विज्ञापन
Read Time: 10 mins
जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने एक रिट याचिका को मंजूर करते हुए उक्त आदेश दिया.
पटना:

पटना हाईकोर्ट ने एक महिला कॉलेज के सेक्शन ऑफिसर पद से रिटायर हुए शख्स को निचले पद का वेतनमान देने के मामले में राज्य की नीतीश सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए गंभीर नाराजगी जताई है. हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने एक रिट याचिका को मंजूर करते हुए उक्त आदेश दिया.

हाई कोर्ट के जज ने टिप्पणी की, "इस कोर्ट की नज़र में भारत के संविधान में परिभाषित कोई संस्था बिना दिमाग के काम नहीं कर सकती और राज्य ने अपनी गलतियों को सुधारने के बजाय शर्मनाक तरीके से उसका बचाव किया." ये याचिका समस्तीपुर महिला कॉलेज से रिटायर हुए सेक्शन ऑफिसर रहे रामनवल शर्मा द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने अपने लिए सही वेतनमान और उसके आधार पर बकाया रकम के भुगतान का आदेश देने के लिए रिट याचिका दायर की थी.

रामनवल शर्मा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के तहत आनेवाले समस्तीपुर महिला कॉलेज के रोकड़पाल पद से साल 2011 में सेवानिवृत्त हुए थे.  उनके रिटायरमेंट के बाद बिहार सरकार ने यूनिवर्सटिी में हेड असिस्टेंट और रोकड़पाल के पद को सेक्शन ऑफिसर का पद साल 2007 के प्रभाव से निर्धारित किया था. जो उनके वर्तमान पद से निचले स्तर का पद था. कोर्ट ने इसे गलत माना है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Ahmedabad Plane Crash BIG BREAKING: रोते-बिलखते लोगों ने क्या बताया? | Air India Crash Today