बिहार सरकार से मंत्री मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) को हटा दिया गया है, बीजेपी से बिगड़े रिश्तों के बाद सहनी को नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया गया है. इस मामले पर जेडीयू सांसद सुनील कुमार उर्फ पिंटू ने कहा है कि मुकेश सहनी बीजेपी के कोटे से मंत्री थे और उन्हीं के कोटे से एमएलसी भी थे, उसमें जदयू का कहीं भी रोल नही था. कल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी. उनको मंत्रिमंडल से बर्खास्त की अनुशंसा की. मुख्यमंत्री ने उस पत्र को राजभवन भेज दिया. मुकेश सहनी को बिहार की पॉलिटिक्स नहीं समझ में आई. चौबे से छब्बे बनने गए थे और दुबे बन कर रह गए.
जेडीयू सांसद ने कहा कि उनके लिए जनता ने यह संदेश दिया है कि आप आइए क्षेत्र में घूमिए. तब विधानसभा और लोकसभा की बात कीजिए. बैक डोर से एमएलसी बनकर मंत्री बन गए, इससे नेता बनना नहीं होता है.
गठबंधन धर्म को तो मुकेश सहनी ने तोड़ा. वह गलत-गलत बात बोल रहे थे. यह ठीक नहीं है. अगर लग रहा है कि गठबंधन में कोई दिक्कत है तो मुख्यमंत्री से बोलिए, बाहर मत बोलिए. एमएलए लोग जनता से चुनकर आते हैं, उन तीनों ने अपना निर्णय लिया है. हम इनके तानाशाही से मुक्ति चाहते हैं और उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की. कोई बीजेपी ने उनको नहीं तोड़ा है, वह तीनों खुद बीजेपी में सम्मिलित होने का फैसला किया.
जी नहीं, जीतन राम मांझी का नंबर नहीं आएगा. वह समझदार और सुलझे नेता हैं और बड़े अच्छे से गठबंधन धर्म का पालन कर रहे हैं. महत्वाकांक्षा सभी दलों को रखना चाहिए. हम मणिपुर में लड़े, अलग से 6 सीट जीते भी हैं, पार्टी का विस्तार जरूर करना चाहिए, पर विस्तार के दौरान अपने गठबंधन धर्म का भी पालन करना चाहिए कि कहीं बाहर जाकर हम प्रधानमंत्री पर कुछ अनर्गल टीका टिप्पणी ना करें. अरुणाचल में जब आप के एमएलए को शामिल करा लिया गया तो पिंटू ने कहा कि जीता हुआ विधायक वह किस दल में रहे, यह उसका फैसला होता है, उनके मर्जी पर है.
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