केंद्र-राज्य के पहले विज्ञान सम्मेलन से बिहार-झारखंड सरकारों का किनारा; उठ रहे सवाल, PM ने किया उद्घाटन

इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन 10-11 सितंबर, 2022 को साइंस सिटी, अहमदाबाद में किया गया है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि सम्मेलन का उद्देश्य सहकारी संघवाद के जरिये केंद्र और राज्य के बीच समन्वय तथा सहयोग तंत्र को मजबूत बनाना और पूरे देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) के लिए एक सशक्त पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है. 

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नई दिल्ली:

अपनी तरह के पहले केंद्र-राज्य विज्ञान सम्मेलन में बिहार और झारखंड सरकारों की गैरमौजूदगी पर सवाल उठ रहे हैं. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इस सम्मेलन में इन दो राज्यों को छोड़ बाकी सभी राज्य सरकारें हिस्सा ले रही हैं. इस सम्मेलन में केंद्र और राज्य सरकारें, शीर्ष उद्योगपति, युवा वैज्ञानिक और नवाचारी हिस्सा ले रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या विज्ञान और नवाचार बिहार और झारखंड सरकारों की  प्राथमिकता में नहीं है? 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज (शनिवार, 10 सितंबर) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्र-राज्य विज्ञान सम्मेलन का उद्घाटन किया. उनके कार्यालय ने बताया है कि देश में नवाचार और उद्यमिता को सुगम बनाने के लिए प्रधानमंत्री के प्रयासों के अनुरूप इस सम्मेलन का आयोजन अहमदाबाद में किया गया है. यह अपनी तरह का पहला सम्मेलन है.

प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि सम्मेलन का उद्देश्य सहकारी संघवाद के जरिये केंद्र और राज्य के बीच समन्वय तथा सहयोग तंत्र को मजबूत बनाना और पूरे देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) के लिए एक सशक्त पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है. 

इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन 10-11 सितंबर, 2022 को साइंस सिटी, अहमदाबाद में किया गया है. इसमें एसटीआई दृष्टिकोण 2047; राज्यों में एसटीआई के लिए भविष्य के विकास के रास्ते और नजरिया; स्वास्थ्य - सभी के लिए डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल; 2030 तक अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र के निवेश को दोगुना करना; कृषि-किसानों की आय में सुधार के लिए तकनीकी हस्तक्षेप जैसे विभिन्न विषयों पर सत्र शामिल होंगे.

प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि इनके अलावा जल - पीने योग्य पेयजल के लिए नवाचार; ऊर्जा- हाइड्रोजन मिशन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका आदि के साथ-साथ सभी के लिए स्वच्छ ऊर्जा और तटीय राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों तथा देश की भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए इसकी प्रासंगिकता जैसे विभिन्न विषयों पर भी सत्र आयोजित होंगे.