बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग खत्म होने के बाद 6 नवंबर की शाम EVM मशीनों को भारी सुरक्षा के बीच स्ट्रॉन्ग रूम में रखा गया है. 11 नवंबर, मंगलवार को दूसरे और अंतिम चरण का मतदान है और वोटिंग के बाद सारे EVM को इसी तरह कड़ी सुरक्षा के बीच स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाएगा. सारे EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें मतगणना के दिन सुबह-सुबह तय समयानुसार खोली जाती है और काउंटिंग शुरू होती है.काउंटिंग पूरी होने के बाद चुनाव परिणाम सामने आता है. तब तक के लिए सारी मशीनों की कड़ी मॉनिटरिंग होती है, ताकि उनसे छेड़छाड़ न की जा सके. लेकिन पहले चरण की वोटिंग के बाद सारण में एक वीडियो वायरल होने के बाद EVM की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए गए.
तेजस्वी यादव ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान फिर से स्ट्रॉन्ग रूम को लेकर आरोपों को दोहराया. इन आरोपों में कितनी सच्चाई है, वायरल वीडियो का सच क्या है और ये स्ट्रॉन्ग रूम होते क्या हैं, कैसी सुरक्षा होती है, क्या व्यवस्था होती है... इन तमाम सवालों के जवाब हमने तलाशने की कोशिश की है.
सारण के वायरल वीडियो का सच
सारण जिले के बाजार समिति स्थित स्ट्रॉन्ग रूम को रविवार को सोशल मीडिया पर एक भ्रामक वीडियो तेजी से वायरल हुआ. टीम डॉ करिश्मा राय(सारण जिला के परसा विधानसभा से राजद प्रत्याशी) नाम से एक फेसबुक हैंडल से ये वीडियो शेयर किया गया, जिसमें दावा किया गया था कि स्ट्रॉन्ग रूम में लगे सीसीटीवी कैमरे कुछ देर के लिए बंद कर दिए गए थे.
जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी अमन समीर ने इसके जांच के आदेश दिए. जांच में पाया गया कि स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा व्यवस्था में लगे सीसीटीवी कैमरे चालू और एक्टिव थे. केवल कंट्रोल रूम में लगा टीवी डिस्प्ले तकनीकी कारणों से करीब दो मिनट के लिए निष्क्रिय हो गया था, जिसे तुरंत ठीक कर दिया गया. चुनाव आयोग के मुताबिक, ये घटना ईवीएम की सुरक्षा में कोई सेंधमारी नहीं थी, बल्कि सिर्फ मॉनिटरिंग डिस्प्ले में आई एक तकनीकी खराबी थी.
क्या होता है स्ट्रॉन्ग रूम?
स्ट्रॉन्ग रूम एक साधारण कमरा होता है, जहां मतदान के बाद EVM मशीनों को रखा जाता है. हालाँकि, इसकी सुरक्षा के लिए चुनाव आयोग कई सख्त शर्तें रखता है. जैसे कि यह हमेशा सरकारी इमारतों (जैसे सरकारी कॉलेज या सुरक्षित परिसर) में बनाया जाता है. इसमें एक ही दरवाजा होना चाहिए. यदि खिड़की है, तो उसे सील किया जाता है.
मतदान केंद्र से EVM मशीनों को भारी सुरक्षा और वीडियोग्राफी के बीच स्ट्रॉन्ग रूम तक लाया जाता है. सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि इस प्रक्रिया में मौजूद रहते हैं.
कैसे होती है EVM की सुरक्षा?
स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा आमतौर पर तीन से चार स्तरों (लेयर) में की जाती है.
- अर्धसैनिक बल: कमरे के बाहर की दो सुरक्षा परतें अर्धसैनिक बलों के हाथ में होती हैं.
- जिला प्रशासन: इसके बाहर जिला प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी होती है.
- राजनीतिक दलों की नजर: सभी पार्टियों के एजेंट स्ट्रॉन्ग रूम के आसपास 24x7 निगरानी के लिए केंद्र बनाकर पहरा सकते हैं.
- CCTV निगरानी: स्ट्रॉन्ग रूम में चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाते हैं. इसका सीधा प्रसारण किया जाता है, जिसे राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी देख सकते हैं.
शिकायत के बाद कराई जाती है जांच
सामान्य तौर पर स्ट्रॉन्ग रूम को वोट काउंटिंग यानी मतगणना के दिन तक खोला नहीं जाता है. यदि किसी दल की तरफ से लिखित शिकायत की जाती है और इसके समर्थन में सबूत पेश किए जाते हैं, तो सभी दलों के प्रतिनिधि, जिलाधिकारी और चुनाव अधिकारी की मौजूदगी में इसे खोला जाता है. जांच के बाद इसे सभी की उपस्थिति में दोबारा लॉक कर दिया जाता है. इसके अलावा किसी को भी स्ट्रॉन्ग रूम में प्रवेश की अनुमति नहीं होती है.













