बिहार विधानसभा चुनाव 2025: वो सीटें जहां हजार से कम वोटों के अंतर से हुई थी हार-जीत, इस बार कितना हुआ मतदान

आइए जानते हैं उन पांच सीटों के बारे में जिन पर 2020 के चुनाव में एक हजार से कम वोटों के अंतर से हुई थी हार-जीत.

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नई दिल्ली:

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान पूरा हो गया है. चुनाव आयोग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक शाम 6 बजे तक 64.7 फीसदी लोगों ने वोट किया है. इनमें वो पांच सीटें भी शामिल हैं, जिन पर 2020 के चुनाव में हार-जीत का अंतर 1000 वोटों से कम का रहा था. ये सीटें हैं बखरी, बरबीघा, भोरे, मटिहानी और हिलसा. उस चुनाव में इन पांच सीटों में से तीन पर जेडीयू और एक सीपीआई और एक पर तत्कालीन लोकजनशक्ति पार्टी ने जीत दर्ज किया था. बीजेपी, कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी और सीपीआईएमएल को एक-एक सीट पर दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था.

आइए जानते हैं कि पिछले चुनाव में इन सीटों पर कैसा रहा था मुकाबला और इस बार किस दल ने कैसी सजाई है चौसर.

क्या बखरी फिर जीत पाएगी सीपीआई

सबसे पहले बात करते हैं बेगूसराय की बखरी सीट की. पिछले चुनाव में सीपीआई ने यहां पर बीजेपी को केवल 777 वोट से हराया था. सीपीआई को 72177 और  बीजेपी  71400 मिले थे.लेकिन इस बार बीजेपी ने यह सीट लोजपा (रामविलास) को दे दी है. लोजपा (आर) ने संजय पासवान को टिकट दिया है. वहीं महागठबंधन की ओर से सीपीआई ने अपने विधायक सूर्यकांत पासवान पर एक बार फिर भरोसा जताया है. 

उन सीटों पर कितना हुआ मतदान, जिन पर पिछले चुनाव में हजार वोट से कम में हुई थी हार-जीत

ये आंकड़े प्रोविजिनल हैं, इनमें बाद में बदलाव भी हो सकता है.
Photo Credit: election commission of india

वहीं शेखपुरा जिले की बारबीघा सीट पर पिछले चुनाव में हार जीत का अंतर मात्र 113 वोटों का था. यहां से जेडीयू के सुदर्शन कुमार ने कांग्रेस के त्रिशूलधारी सिंह को हराया था.जेडीयू को 39878 और कांग्रेस को 39765 वोट मिले थे.इस बार के चुनाव में जेडीयू ने अपने विधायक का टिकट काटकर कुमार पुष्पंजय को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर त्रिशूलधारी सिंह पर ही भरोसा जताया है.जेडीयू से टिकट न मिलने के बाद से निवर्तमान विधायक सुदर्शन कुमार निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं.

साल 2020 के चुनाव में गोपालगंज जिले की भोरे सीट पर हार जीत का अंतर केवल 462 वोटों का था. जेडीयू  के सुनील कुमार ने सीपीआई एमएल के जितेंद्र पासवान को हराया था.यहां जेडीयू  को 74067 और सीपीआईएमएल को 73605 वोट मिले थे. इस बार जेडीयू के टिकट पर सुनील कुमार एक बार फिर मैदान में हैं. वहीं एक मामले में जेल की सजा होने की वजह से सीपीआई एमएल को अपना उम्मीदवर बदलना पड़ा है. उसने दिल्ली के जेएनयू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष धनंजय को अपना उम्मीदवार बनाया है. 

क्या मटिहानी में दलबदल का होगा फायदा

बेगूसराय जिले की मटिहानी विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में हार जीत का फैसला केवल 333 वोटों से हुआ था. 2020 के चुनाव में तत्कालीन एलजेपी को केवल इसी सीट पर सफलता मिली थी. एलजेपी के राज कुमार सिंह ने  जेडीयू  के नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो को हराया था.एलजेपी को 61364 और जेडीयू को  61031 वोट मिले थे.राज कुमार सिंह ने बाद में पाला बदल कर जेडीयू का दामन थाम लिया था.जेडीयू ने उन्हें टिकट दिया है. वहीं पिछले चुनाव में जेडीयू के टिकट पर लड़े नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो इस बार राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. 

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नालंदा जिले की हिलसा सीट बिहार की वह सीट है, जहां 2020 के चुनाव में हार-जीत का फैसला सबसे कम वोट से हुआ था. उस चुनाव में जेडीयू के कृष्णमुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया ने राजद के अत्री मुनि उर्फ शक्ति सिंह यादव को केवल 12 वोटों के अंतर से हराया था. जेडीयू को 61,848 वोट और राजद को 61,836 वोट मिले थे.इस बार ये दोनों उम्मीदवार एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं.इसलिए देशभर के निगाहें इस सीट के मुकाबले पर लगी हुई हैं. 

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