आज प्रियंका, कल अखिलेश... बिहार चुनाव में महिला और MY समीकरण साधने की कोशिश में राहुल-तेजस्वी?

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR के विरोध में चल रहे राहुल-तेजस्वी की वोटर अधिकार यात्रा में आज प्रियंका गांधी की एंट्री हुई. बुधवार को अखिलेश यादव भी इस यात्रा में शामिल होंगे. 'वोट चोरी' के मुद्दे पर चल रही इस यात्रा में जिस तरीके से नेताओं की एंट्री कराई जा रही है, उसे देखते हुए कहा जा रहा है कि यह इंडिया गठबंधन की बिहार साधने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है.

विज्ञापन
Read Time: 7 mins
बिहार में चल रहे वोटर अधिकार यात्रा में आज प्रियंका गांधी की एंट्री हुई. कल इसमें अखिलेश यादव भी शामिल होंगे.
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • बिहार में महिला वोटरों को रिझाने के लिए तीज के मौके पर वोटर अधिकार यात्रा में प्रियंका गांधी की एंट्री हुई है.
  • अखिलेश के इसमें शामिल होने से मुस्लिम-यादव समीकरण को मजबूत करने की कोशिश है.
  • महिला वोटर और मुस्लिम-यादव वोट बैंक को बचाए रखना वर्तमान बिहार सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
पटना:

Voter Adhikaar Yatra Bihar: बिहार की राजनीति में महिला वोटर का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है. 2010 से लेकर 2020 तक के चुनावों में महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों से कहीं अधिक रही है. माना जा रहा है कि इसी समीकरण को ध्यान में रखकर राहुल-तेजस्वी की वोटर अधिकार यात्रा में तीज के दिन प्रियंका गांधी की एंट्री हुई हैं. यह केवल धार्मिक या सामाजिक उपस्थिति नहीं है, बल्कि महिला वोटरों के बीच भावनात्मक जुड़ाव बनाने की रणनीति है. तीज बिहार के महिलाओं का सबसे बड़े व्रतों में एक हैं. इसमें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि की कामना करती हैं. तीज के दिन ही प्रियंका का बिहार आना सीधा संदेश है कि INDIA गठबंधन महिलाओं की आकांक्षाओं और आवाज को केंद्र में रख रहा है.

तीज पर प्रियंका को उतार महिलाओं को संदेश देने की कोशिश

प्रियंका की छवि एक सशक्त महिला नेता की रही है. उनकी तुलना कई बार इंदिरा गांधी से की जाती है. ऐसे में, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिला मतदाता उन्हें एक “अपनी जैसी” प्रतिनिधि मान सकते हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य, महंगाई और रोजगार से जुड़े मुद्दों को महिला दृष्टिकोण से उठाकर प्रियंका न सिर्फ कांग्रेस बल्कि पूरे INDIA गठबंधन के लिए महिला आधार को मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं.

अखिलेश का यात्रा में शामिल होना... यादव वोटरों के लिए मैसेज

वहीं बुधवार को वोटर अधिकार यात्रा में अखिलेश यादव का बिहार पहुंचना इस बात का संकेत है कि INDIA गठबंधन ने चुनावी रणनीति को जातीय समीकरणों के आधार पर मजबूत करना शुरू कर दिया है. बिहार की राजनीति में मुस्लिम–यादव (MY) समीकरण हमेशा से ही निर्णायक रहा है. यह समीकरण लालू यादव की राजनीति की नींव रहा है.

राहुल-अखिलेश-तेजस्वी की तिकड़ी मुस्लिमों के लिए मैसेज

अखिलेश का आना यादव समाज को यह संदेश देने की कोशिश है कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बिहार में भी यादव राजनीति को मजबूती देने का समय आ गया है. वहीं, मुस्लिम मतदाता जो कभी कांग्रेस के साथ, कभी राजद के साथ और हाल के वर्षों में एआईएमआईएम के साथ झुकाव रखते थे, उन्हें साधने के लिए राहुल गांधी और अखिलेश यादव की संयुक्त मौजूदगी एक संतुलित रणनीति मानी जा रही है.

महिला और मुस्लिम-यादव वोटों को बचाए रखना NDA की चुनौती

नीतीश कुमार और बीजेपी का गठबंधन इस समय सत्ता में है, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती महिला वोट और मुस्लिम-यादव वोट को बचाए रखना है. नीतीश सरकार ने ‘आरक्षण', ‘साइकिल योजना' और ‘RTPS सेवाएं' जैसी योजनाओं से महिला वोटरों पर मजबूत पकड़ बनाई थी. लेकिन महंगाई, शराबबंदी की विफलता और अपराध के मुद्दों ने महिला मतदाताओं को प्रभावित किया है.


प्रियंका गांधी की सक्रियता इस वर्ग को हिला सकती है. यह वोट बैंक अगर INDIA गठबंधन के पक्ष में पूरी तरह शिफ्ट हो जाता है, तो BJP–JDU को सीटों का भारी नुकसान हो सकता है. खासकर सीमांचल, मिथिलांचल और मगध क्षेत्र में यह समीकरण निर्णायक साबित होगा.

Advertisement

बिहार में महिला वोटर सत्ता तक पहुंचाने का रास्ता

बिहार के चुनावी इतिहास में देखा गया है कि कोई भी पार्टी तब तक सत्ता हासिल नहीं कर सकती जब तक कि उसके पास ठोस महिला समर्थन और एक मज़बूत जातीय समीकरण न हो. महिलाएं कुल मतदाताओं का लगभग आधा हिस्सा हैं. पिछले दो विधानसभा चुनावों में महिला वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से 4–6% अधिक रहा.
 

बिहार में यादव करीब 14% और मुस्लिम लगभग 17% है. यानी दोनों मिलकर 30% तक वोट का आधार बनाते हैं. अगर यह वोट बैंक एकमुश्त INDIA गठबंधन के पास चला गया, तो समीकरण बदल सकता है.

INDIA गठबंधन ने अपनी रणनीति को तीन स्तरों पर बांटा है:

  • महिलाओं के लिए प्रियंका गांधी: तीज और छठ जैसे अवसरों पर महिला मतदाताओं से सीधा संवाद.
  • मुस्लिम–यादव समीकरण के लिए अखिलेश यादव और राहुल गांधी: जातीय और धार्मिक भावनाओं को जोड़ने का प्रयास.
  • युवाओं के लिए तेजस्वी यादव: रोजगार, शिक्षा और पलायन जैसे मुद्दों पर युवाओं को आकर्षित करने की कोशिश.

महागठबंधन का मिथिलांचल पर खास फोकस

कांग्रेस की प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, राजद के तेजस्वी यादव के अलावा दक्षिण भारत के दिग्गज द्रमुक नेता एम.के. स्टालिन भी यहां मंच साझा करने वाले हैं. यह तस्वीर साफ संकेत देती है कि INDIA गठबंधन मिथिलांचल को निर्णायक मान रहा है. मिथिलांचल सांस्कृतिक, राजनीतिक और धार्मिक दृष्टि से बिहार का वह क्षेत्र है जिसने हमेशा सूबे की राजनीति को दिशा दी है. यहां की सीटें चुनाव के नतीजों को पलटने की ताक़त रखती हैं.

Advertisement

50-55 विधानसभा सीटों पर बनी है नजर

मिथिलांचल की पहचान मिथिला संस्कृति, मधुबनी पेंटिंग, दरभंगा राज और मैथिली भाषा से होती है. यह क्षेत्र शिक्षा, साहित्य और आंदोलन की धरती रहा है. राजनीतिक दृष्टि से यह इलाका 40 लोकसभा सीटों में से कम से कम 12–13 सीटों पर असर डालता है और विधानसभा की लगभग 50–55 सीटों को सीधे प्रभावित करता है.

यहां की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से निर्णायक रहे हैं. ब्राह्मण, भूमिहार, कायस्थ और अन्य सवर्णों के साथ–साथ यादव, कुर्मी, दलित और मुस्लिम मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं. यही कारण है कि हर चुनाव में मिथिलांचल “किंगमेकर” की भूमिका निभाता है.

Advertisement

मिथिलांचल में कई अहम सीटें हैं, जिन पर इस बार जोर–आजमाइश सबसे ज़्यादा होगी:

  • दरभंगा: सांस्कृतिक राजधानी मानी जाती है. यहां भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की थी. लेकिन कांग्रेस और राजद की संयुक्त ताक़त इसे चुनौती दे सकती है.
  • मधुबनी: यहां का मिथिला पेंटिंग इलाका विश्व प्रसिद्ध है. जातीय समीकरणों के लिहाज से बेहद जटिल सीट है. भाजपा का मजबूत गढ़ रहा है, लेकिन विपक्ष इसे तोड़ने की कोशिश में है.
  • समस्तीपुर: दलित और पिछड़े मतदाताओं का बड़ा प्रभाव है. कांग्रेस और राजद की संयुक्त रणनीति यहां सीट को टक्कर दे सकती है.
  • बेगूसराय: भाजपा का राष्ट्रीय स्तर पर उभरता चेहरा यहां से सांसद है. यह सीट वैचारिक टकराव का केंद्र रही है. वामपंथी और राजद यहां असरदार रहे हैं.
  • सीतामढ़ी: ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाली यह सीट भी राजनीतिक दृष्टि से निर्णायक है. यादव और मुस्लिम मतदाताओं का बड़ा हिस्सा यहां समीकरण बदल सकता है.
  • सुपौल और मधेपुरा: शरद यादव की राजनीतिक कर्मभूमि रहे ये इलाके आज भी चुनावी दृष्टि से चर्चित रहते हैं. यादव, मुस्लिम और दलित वोट का सीधा असर पड़ता है.

INDIA गठबंधन इस बार “कॉम्बिनेशन पॉलिटिक्स” खेल रहा है.

  • प्रियंका गांधी: महिला वोटरों को साधने के लिए.
  • राहुल गांधी: राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष का चेहरा, युवाओं और छात्रों को आकर्षित करने के लिए.
  • तेजस्वी यादव: यादव और पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व.
  • स्टालिन: दक्षिण भारत का बड़ा चेहरा, विपक्षी एकता का प्रतीक.

स्टालिन का साथ आना, यात्रा बिहार की लेकिन इम्पैक्ट भारत पर

यह चारों नेता एक मंच पर आकर यह संदेश देना चाहते हैं कि विपक्ष अब केवल बिहार का नहीं, बल्कि पूरे भारत का गठबंधन है. स्टालिन, प्रियंका गांधी, राहुल और तेजस्वी का एक मंच पर आना केवल एक चुनावी सभा नहीं, बल्कि संदेश है कि INDIA गठबंधन बड़े दांव पर है. यह रणनीति साफ करती है कि INDIA गठबंधन अब केवल “मोदी बनाम विपक्ष” तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक ताने–बाने और सांस्कृतिक आयोजनों के जरिए वोटर से जुड़ने की राह पर है.

भाजपा–जेडीयू गठबंधन के लिए यह समीकरण बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकता है. भाजपा का पारंपरिक वोट बैंक उच्च जाति और गैर–यादव ओबीसी रहा है. लेकिन अगर महिला और मुस्लिम–यादव वोट एकजुट होकर विपक्ष की ओर झुकते हैं, तो बीजेपी–जेडीयू के सामने समीकरण और भी कठिन हो जाएंगे.

यह भी पढ़ें - राहुल गांधी-तेजस्वी की वोटर अधिकार यात्रा, एक हफ्ते के बाद कितनी पास, कितनी फेल?

Featured Video Of The Day
Voter Adhikar Yatra | राहुल ने संविधान की किताब दिखा वोट मुद्दे पर कह दी बड़ी बात | Sawaal India Ka