बिहार : इस गांव में नहीं जलाया जाता रावण का पुतला, मंदिर बनाकर करते हैं पूजा

बिहार के सीमावर्ती किशनगंज जिले का इतिहास बहुत प्राचीन है. 70% इस मुस्लिम बहुल जिले में लंकापति रावण की पूजा की जाती है. 

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इस गांव में राक्षस राज की आरती की जाती है.
किशनगंज:

बिहार के सीमावर्ती जिला किशनगंज में दशहरा के दिन रावण की पूजा की जाती है. इतना ही नहीं ग्रामीणों ने रावण का मंदिर भी यहां बनाकर रखा है. कोचाधामन प्रखंड के काशी बाड़ी गांव में स्थित इस मंदिर में रावण की पत्थर की मूर्ति स्थापित है. स्थापित मूर्ति में रावण के दस सिर बनाए गए हैं और हाथ में शिवलिंग भी है. ग्रामीणों द्वारा पूरे विधि-विधान से जैसे देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. उसी तरह से लंकेश्‍वर की भी पूजा और आरती होती है.

 किशनगंज जिले का इतिहास बहुत प्राचीन है. मालूम हो कि महाभारत कालीन इतिहास से जिले की पहचान होती है. 70% इस मुस्लिम बहुल जिले में लंकापति रावण की भी पूजा की जाती है. गौरतलब है कि विजयादशमी पर देश भर में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं. वहीं इस गांव में राक्षस राज की आरती की जाती है.

इस गांव में लेते हैं रावण का आशीर्वाद
इसी तरह से महाराष्ट्र के अकोला जिले के संगोला गांव में भी रावण की पूजा की जाती है. यहां के कई निवासियों का मानना है कि वे रावण के आशीर्वाद के कारण नौकरी करते हैं और अपनी आजीविका चलाने में सक्षम हैं और उनके गांव में शांति व खुशी राक्षस राज की वजह से है. स्थानीय लोगों का दावा है कि रावण को उसकी “बुद्धि और तपस्वी गुणों” के लिए पूजे जाने की परंपरा पिछले 300 वर्षों से गांव में चल रही है. गांव के केंद्र में 10 सिरों वाले रावण की एक लंबी काले पत्थर की मूर्ति है.

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