बिहार (Bihar) के उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tarkishore Prasad) ने अपने ऊपर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच गुरुवार को सफाई दी है. उन्होंने कहा कि हर नल घर का जल योजना की सफलता से विपक्ष बौखला गया है. उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर लगाया गया आरोप तथ्यहीन एवं बेबुनियाद है और राजनीतिक साजिश का हिस्सा है. डिप्टी सीएम ने आगे कहा कि हर घर नल का जल बिहार सरकार की महत्वकांक्षी योजना है. इस स्कीम के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आम जनता को हर एक घरों में नल संयोजन के द्वारा पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित हुई है. उन्होंने कहा कि स्कीम की सफलता से घहराहट में विपक्ष अनर्गल प्रलाप कर रहा है.
बिहार: 'हर घर नल का जल' योजना में घोटाले का आरोप, डिप्टी CM के रिश्तेदारों को मिला करोड़ों का ठेका
वहीं, डिप्टी सीएम ने सफाई देते हुए कहा कि अंग्रेजी अखबार में छपी खबर में जिन दो कंपनियों के नाम का जिक्र किया गया है. उन कंपनियों में मेरे परिवार या ससुराल के कोई सदस्य शामिल नहीं है.
बता दें कि बिहार सरकार की इस योजना के बारे में इंडियन एक्सप्रेस ने उजागर किया. इस मामले को पूर्व में सार्वजनिक करने वाले पूर्व मंत्री और अब राष्ट्रीय जनता दल के नेता रामप्रकाश महतो का कहना है कि जब भी इससे संबंधित शिकायत की गयी तो बिहार पुलिस द्वारा ग्रामीणों को धमकाया जाता था. बताया जा रहा है कि यह घोटाला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) मंत्रिमंडल में भाजपा (BJP) के वरिष्ठ नेता और उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tarkishore Prasad) से संबंधित है. जिनके गृह जनपद कटिहार में राज्य सरकार की 'हर घर नल का जल' योजना से संबंधित करीब 53 करोड़ के ठेके उनके बेटी और साले के कंपनियों को दिये गए. कटिहार में राज्य सरकार की 'हर घर नल का जल' योजना से संबंधित करीब 53 करोड़ के ठेके उनके बेटी और साले के कंपनियों को दिये गए. इससे पहले भाजपा के बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सफ़ाई दी है कि ये ठेके जब वो विधायक थे तब मिले और उप मुख्यमंत्री बनने के पूर्व पूरा कर लिया गया.
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'हर घर नल का जल' योजना का हाल बेहाल है, ग्रामीणों का कहना है कि जब से 'हर घर नल का जल' योजना का काम हुआ है तब से नल में पानी नहीं मिल रहा तो कहीं नल का पाइप टूटा हुआ है. हर ग्रामीण की यही शिकायत है की काम इतना घटिया हुआ कि नल हैं तो जल नहीं. टंकी बना तो पानी नहीं. काम करने वाले उस समय के स्थानीय विधायक और अब उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद सुनने को तैयार नहीं. विभागीय आंकड़े के अनुसार तार किशोर प्रसाद की बेटी और साले और कई स्टाफ़ की कम्पनियों को कुल 53 करोड़ के ठेके मिले और उसका तर्क यह दिया जा रहा है कि उनका टेंडर में सबसे कम रेट था. वही बिहार सरकार के पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री ने इस मामले को सबसे पहले उठाया था. वह अब पूरे मामले की जांच की मांग कर रहे है.