"चुनाव का समय है", बिहार के CM नीतीश कुमार ने इनकम टैक्स छूट में बढ़ोतरी पर कसा तंज

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आयकर छूट की सीमा में प्रस्तावित बढ़ोतरी पर व्यंग्यात्मक लहजे में बृहस्पतिवार को कहा, ''यह चुनाव का समय है.''

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सहरसा:

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आयकर छूट की सीमा में प्रस्तावित बढ़ोतरी पर व्यंग्यात्मक लहजे में बृहस्पतिवार को कहा, ''यह चुनाव का समय है.'' सहरसा जिले में अपने जनसंपर्क कार्यक्रम 'समाधान यात्रा' के दौरान पत्रकारों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने के दौरान कटाक्ष करते हुए बिहारी लहजे में जद (यू) नेता कुमार ने कहा, ‘‘वोटेवा का समय है ना.'' कुमार की इस टिप्पणी से पहले राज्य के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने आयकर छूट की सीमा में प्रस्तावित बढ़ोतरी पर कहा कि इस बजट में सबसे अधिक फायदा अमीरों को दिया गया है, जिनकी आमदनी अधिक है. चौधरी, नीतीश कुमार के साथ थे.

बुधवार को पेश बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने व्यक्तिगत आयकर पर उच्चतम अधिभार दर को 37 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने और नयी आयकर प्रणाली में कर छूट की सीमा को बढ़ाकर सात लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया था. नीतीश ने बुधवार को बजट को 'निराशाजनक' करार दिया था. उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा), प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और प्रधानमंत्री कृषि सम्मान योजना जैसी योजनाओं के लिए कम बजटीय आवंटन पर निराशा व्यक्त की.

उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट में महत्वपूर्ण योजनाओं की राशि में कटौती की गई है. उन्होंने कहा कि इस बार के बजट में मनरेगा और किसान सम्मान निधि योजना की राशि घटा दी गई है, यह ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि मनरेगा काफी पुरानी योजना है, यह योजना विकास के लिए काफी जरुरी है. उन्होंने कहा कि मनरेगा के लिए 2022-23 में 73,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था अब उसे घटाकर 60,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. नीतीश कुमार ने कहा कि इसी तरह से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लिए 2022-23 में 68 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था जिसे घटाकर अब 60,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस तरह से इस योजना में इस बार 8,000 करोड़ रुपये की कटौती कर दी गयी है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की भी राशि 2,167 करोड़ रुपये कम कर दी गई है. उन्होंने कहा कि इसी तरह से कई योजनाओं की राशि घटा दी गई है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा मिशन में 600 करोड़ रुपये घटा दिये गये हैं जबकि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कम राशि का आवंटन किया गया है. नीतीश कुमार ने कहा, ‘‘बिहार की सात निश्चय योजना की तरह ही इन लोगों ने सप्तऋषि योजना शुरू करने की बात की है. हम बिहार में सात निश्चय योजना काफी पहले से चला रहे हैं. अब बिहार में सात निश्चय -2 चलाई जा रही है. सप्तऋषि योजना में कोई खास चीज नहीं है.''

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लोगों के हित में कोई काम नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों के लिए महत्वपूर्ण योजनाओं की राशि में कटौती कर दी गयी है. उन्होंने कहा, ‘‘बिहार जैसे गरीब राज्य के लिए बजट में कुछ भी नहीं है. हमारी मांग नहीं मानी गई है. बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ बैठक में जो मांगें रखी थीं उसे पूरा नहीं किया गया है.'' केंद्रीय बजट में बिहार को बहुत कुछ मिलने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सुशील कुमार मोदी के बयान पर मुख्यमंत्री कुमार ने कहा, ‘‘बिहार को कहां कुछ मिला है. उनके (सुशील कुमार मोदी के) बयान पर हमसे क्यों पूछते हैं, वो तो ऐसे ही बोलते रहेंगे.''

उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट में महत्वपूर्ण योजनाओं की राशि में कटौती कर दी गई है. उन्होंने कहा, ‘‘हम 4.5 प्रतिशत ‘राजकोषीय घाटा' चाह रहे थे. उसको भी इन लोगों ने नहीं बढ़ाया. इसे तीन प्रतिशत पर ही रहने दिया गया है. ऐसा होता तो हम अपने राज्य के हित में बाहर से भी कर्ज ले सकते थे लेकिन इसे बढ़ाया ही नहीं गया है.'' नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार की योजना में एक हिस्सा केंद्र सरकार का जबकि दूसरा हिस्सा राज्य सरकार का होता है. उन्होंने कहा कि इसके कारण राज्य को अपने हित में काम करने को लेकर पैसे नहीं बचते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का पैसा केंद्र सरकार की योजनाओं में खर्च हो जाता है, केंद्रीय योजनाओं में 40 प्रतिशत तक राशि राज्य सरकार के द्वारा दी जाती है.

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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को अपने बल पर केंद्रीय योजनाएं बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्रीय योजना में नाम केंद्र का होता है जबकि पैसा राज्य सरकार का भी खर्च होता है जब केंद्रीय योजनाओं में राज्य सरकार अपना पैसा खर्च करती है तो राज्यों को केंद्रीय मदद मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से राज्यों को मिलने वाली राशि का बड़ा हिस्सा केंद्रीय योजनाओं में ही खर्च हो जाता है.

कुमार ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात है कि कोई राज्य अपने विकास के लिए बाहर से ऋण लें तो उसके लिए उसकी सीमा बढ़ानी चाहिए, तभी राज्यों का विकास होगा. रेल बजट का आकार बढ़ने से बिहार को होने वाले फायदे के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें बिहार को कुछ नहीं मिलने वाला है, सभी महत्वपूर्ण योजनाओं की राशि में कटौती कर दी गई है. कुमार ने कहा कि राज्यों को अपने विकास के लिए ऋण की व्यवस्था करनी पड़ेगी. उन्होंने कहा, ‘‘हम काफी पहले से विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं लेकिन वे (केंद्र सरकार) सुन ही नहीं रहे हैं. विशेष राज्य का दर्जा मिलने से बिहार जैसे दूसरे अन्य पिछड़े राज्य भी आगे आगे बढ़ जाते. पिछड़े राज्यों का विकास होने से देश का ही विकास होता.''

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