बिहार विधानसभा चुनाव 2025: इन दलों से मिलकर बना है NDA, जातियों का वोट बैंक और उनका गणित

बिहार विधानसभा का चुनाव इस साल होने हैं. इससे पहले वहां के राजनीतिक दलों ने अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी है. इस समय वहां एनडीए की सरकार है. आइए जानते हैं कि इस गठबंधन में कौन कौन से दल शामिल हैं और उनकी ताकत क्या है.

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नई दिल्ली:

बिहार में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. बिहार में मुख्य मुकाबला दो गठबंधनों के बीच है. ये हैं सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन. एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी है.उसके अलावा जनता दल यूनाइटेड, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) और राष्ट्रीय लोकमंच. चुनाव से पहले यह गठबंधन खुद को मजबूत करने में लगा हुआ है. इसके लिए जातीय  और क्षेत्रीय समीकरण बिठाने पर जोर है. आइए जानते हैं कि एनडीए में शामिल दलों का आधार क्या है. 

एनडीए के दल और उनकी ताकत

बीजेपी: एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी है. इस समय विधानसभा में बीजेपी के 80 सदस्य हैं. साल 2020 के चुनाव में बीजेपी को 19.46 फीसदी वोट मिले थे. बीजेपी का प्रभाव वैसे तो पूरे बिहार में है, लेकिन सीमांचल इलाके में यह पार्टी थोड़ी कमजोर है. बीजेपी का मुख्य वोट बैंक सवर्ण जातियों के साथ कुछ ओबीसी जातियां हैं. इनके अलावा वह दलितों और अति पिछड़ी जातियों में अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर पैठ बनाने की कोशिश कर रही है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में एनडीए के सबसे बड़े नेता हैं.

जेडीयू: जनता दल यूनाइटेड एनडीए की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. विधानसभा में इसकी 45 सीटें हैं. साल 2020 के चुनाव में जेडीयू को 15.39 फीसदी वोट हासिल किए थे. लेकिन पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद जेडीयू और बीजेपी बराबरी में आ गए. दोनों को 12-12 सीटें मिली हैं. जेडीयू का मुख्य आधार कुर्मी और कोईरी जाति में है. उसे कुछ अति पिछड़ी जातियों और मुसलमानों के कुछ हिस्से का भी वोट मिलता रहता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही इसके सबसे बड़े नेता हैं. 

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लोक जनशक्ति पार्टी (राविलास): लोक जनशक्ति पार्टी में पशुपति पारस की बगावत के बाद यह पार्टी अस्तित्व में आई. पूर्व केंद्रीय मंत्री और दलित नेता रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान इसके प्रमुख हैं. पासवान या दुसाध बिहार की सबसे बड़ी आबादी वाली जाति है. चिराग पासवान इसी जाति से आते हैं. उनका वोट बैंक भी यही है. जातीय सर्वेक्षण के मुताबिक बिहार में इस जाति की आबादी 5.31 फीसदी है. जनसंख्या के मामले में यह यादव के बाद बिहार का दूसरी सबसे बड़ी जाति है. पहले इसका प्रतिनिधित्व रामविलास पासवान किया करते थे. लेकिन अब चिराग पासवान इस पर दावा ठोक रहे हैं. लोकसभा चुनाव में लोजपा (राविलास) का स्ट्राइक रेट सौ फीसदी का था. उसने पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी सीटें जीती थीं. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में इस पार्टी ने 5.66 फीसदी वोट के साथ एक सीटी जीती थी. 

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Photo Credit: साल 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की अविभाजित लोजपा को केवल एक सीट मिली थी.

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उपेंद्र कुशवाहा का राष्ट्रीय लोकमंच

हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम): इस पार्टी का गठन राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने किया. यह पार्टी आमतौर पर अनुसूचित जाति की सबसे पिछड़ी जातियों में से एक मुसहर का प्रतिनिधित्व करती है. बिहार में मुसहर की आबादी करीब तीन फीसदी है.मांझी का प्रभाव क्षेत्र गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद और रोहतास जैसे जिलों में है.साल 2020 के चुनाव में हम ने  सात सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसे 0.89 फीसदी वोट और चार सीटें मिली थीं. 

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उपेंद्र कुशवाह ने इससे पहले राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी बनाई थी. उसे 2020 के चुनाव में 1.77 फीसदी वोट मिले थे.

राष्ट्रीय लोक मंच: इस पार्टी की स्थापना उपेंद्र कुशवाहा ने की थी. उनका आधार उनकी कोइरी या कुशवाहा जाति में ही है.जातीय सर्वेक्षण के मुताबिक बिहार में इस जाति की आबादी करीब 4.21 फीसदी है. कुशवाह इस समय इस जाति के सबसे बड़े नेता हैं. वो कई दलों में रहे हैं. और दो बार अपनी अलग पार्टी भी बनाई है. कोइरी जाति पूरे बिहार में पाई जाती है. लेकिन पटना, भोजपुर, बक्सर, नालंदा, औरंगाबाद और रोहतास जैसे जिलों में इनकी सघन आबादी है. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में कुशवाह अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के बैनरतले शामिल हुए थे. उनकी पार्टी को केवल 1.77 फीसदी वोट मिला था. लेकिन वो कोई सीट नहीं जीत पाए थे. 

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