सबसे बड़ी डिफेंस डील, 114 राफेल विमान, 2 लाख करोड़ से ज्यादा की लागत... क्या है भारत का प्लान?

Made in India Rafale Deal: यह फैसला ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के खिलाफ राफेल के शानदार प्रदर्शन के बाद लिया गया है. इस प्रस्ताव की अनुमानित लागत 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है.

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114 मेड इन इंडिया राफेल लड़ाकू विमानों को लेने की तैयारी.
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  • भारतीय वायुसेना ने 114 मेक इन इंडिया राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए रक्षा मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है.
  • मेक इन इंडिया राफेल विमानों में 60 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया जाएगा जिससे लागत कम होगी.
  • भारतीय वायुसेना के वर्तमान 29 स्क्वॉड्रनों में से दो मिग 21 के स्क्वॉड्रन इस महीने अंत तक रिटायर होंगे.
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नई दिल्ली:

Rafale Fighter Jets: भारतीय वायुसेना को और ताकतवर बनाने के उद्देश्य से 114 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का प्रस्ताव है. रक्षा मंत्रालय को भारतीय वायुसेना से 114 ‘मेक इन इंडिया' राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का प्रस्ताव मिला है. इस सौदे की कीमत दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जा रही है. खास बात यह है कि ये विमान फ्रांस की डसॉस्ट एविएशन कंपनी और भारतीय एयरोस्पेस कंपनियां मिलकर बनाएंगीं.

मेक इन इंडिया राफेल में 60 फीसदी स्वदेशी सामान

'मेड इन इंडिया' राफेल में 60 फीसदी सामान स्वदेशी होगा. हालांकि इस प्रस्ताव के बारे में अभी आधिकारिक रूप से रक्षा मंत्रालय की ओर कोई जानकारी नहीं आई है. लेकिन एक न्यूज एजेंसी ने यह बताया है कि वायु सेना से यह प्रस्ताव डिफेंस मिनिस्ट्री को मिला है.

बताया गया कि यह फैसला ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के खिलाफ राफेल के शानदार प्रदर्शन के बाद लिया गया है. इस प्रस्ताव की अनुमानित लागत 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है.

अभी भारत के 29 स्क्वॉड्रन, दो इसी महीने होंगे रिटायर

दरअसल भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों के रूप में अभी 29 स्क्वॉड्रन है. इनमें से मिग 21 के दो स्क्वॉड्रन इस महीने के अंत तक रिटायर हो जाएंगे. उसके बाद वायु सेवा के पास केवल 27 स्क्वॉड्रन की बचेंगे. ऐसे में सवाल यह उठता है कि वायु सेवा फिलहाल अपनी घटती स्क्वायड की जरूरत कैसे तत्काल पूरा करें?

जिस तरह से तेजस मार्क 1 ए एक-एक करके अमेरिकी इंजन आ रहे हैं, उससे लगता नहीं है कि वायुसेना को समय पर तेजस मार्क 1 ए की डिलीवरी हो पाएगी.

पांचवीं पीढ़ी के एयरक्रॉफ्ट में हो रही देरी

वहीं भारत का अपना पांचवीं पीढ़ी का एयरक्रॉफ्ट एमका भारतीय वायुसेना में शामिल हो पाएगा, इसके बारे में पक्के तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता. अमेरिका के साथ जो मौजूदा संबंध है उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि फिलहाल भारत अमेरिकी लड़ाकू लेने के मूड में नहीं लगता है.

रूस का SU-57 अभी वर्क-इन-प्रोग्रेस मोड में

रूस का पांचवीं पीढ़ी का एयरक्रॉफ्ट एसयू 57 अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है. एसयू-57 को अब भी ‘वर्क-इन-प्रोग्रेस' माना जाता है. ऐसे में सीधा विकल्प बचता है रफाल एयरक्राफ्ट का. भारतीय वायु सेना करीब एक डेढ़ साल पहले ही यह इच्छा जता चुकी है कि उसे 114 और एयरक्राफ्ट चाहिए.

रफाल लेना भारतीय वायुसेना से लिए आसान क्यों?

अगर सरकार रफाल एयरक्रॉफ्ट खरीदने का फैसला लेती है तो वायु सेना के लिए यह आसान होगा. क्योंकि वायुसेना के पास पहले से ही 36 रफाल एयर क्रॉफ्ट मौजूद है. इस विमान के लिये अलग से कोई ढांचा नहीं बनाना पड़ेगा. इसकी खूबियों और कमियों से वायुसेना अच्छी तरह वाकिफ है.

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अंतरिम व्यवस्था के तहत रफाल ले सकता है भारत

तो हो सकता है कि भारतीय वायुसेना अपने लगातार घटते लड़ाकू स्क्वॉड्रनों की चुनौती से निपटने के लिए एक ठोस ‘अंतरिम व्यवस्था' के तौर पर और रफाल लेने का फैसला करे. संभावना यह भी है कि वायुसेना 3 से 5 रफाल स्क्वॉड्रन खरीदे जिससे वायुसेना आने वाले चुनातियों का सामना बख़ूबी कर सके.

मेक इन इंडिया के कारण कम होगी लागत

मेक-इन-इंडिया की शर्त से रफाल की लागत कम होगी. इससे फ्रांस के साथ साझेदारी और मजबूत होगी. हालांकि इस पूरे मामले पर ना तो वायुसेना और नहीं रक्षा मंत्रालय कोई भी आधिकारिक तौर पर कुछ कहने को तैयार है. सूत्रों की माने तो हो सकता है कि सरकार वायुसेना के लिये और 114 रफाल लड़ाकू विमानों खरीदने का फैसला ले सकती है.

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