महाकुंभ भगदड़ में क्या हुआ था तान्या मित्तल ने बताया.
- तान्या मित्तल ने महाकुंभ की भगदड़ में फंसे लोगों की जान बचाने के लिए खुद की जान की परवाह नहीं की थी.
- भगदड़ के दौरान लाखों के जबड़े तक टूट गए थे. तान्या ने अपने हाथों में कई लाशें उठाईं थीं.
- तान्या ने भूखे-प्यासे बच्चों की देखभाल की और उन्हें पानी और भोजन उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश की थी.
बिग बॉस 19 में एंट्री लेने वाली तान्या मित्तल (Tanya Mittal Big Boss) आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. इस सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को महाकुंभ से खास पहचान मिली थी. ये वही तान्या मित्तल हैं, जिन्होंने प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ के दौरान लोगों की जान बचाई थी. वहां फंसे लोगों की उन्होंने खूब मदद की थी, जिसके बाद वह चर्चा में आ गईं थीं. तान्या ने महाकुंभ में हुई भगदड़ के दौरान का दर्दनाक मंजर बयां किया था. तान्या ने भरे हुए हले से बताया था कि वहां पर उन्होंने देखा क्या था. उनकी बिगबॉस की नई जर्नी के बीच एक बार फिर से उनका ये वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, तान्या ने क्या कहा था, सबकुछ डिटेल में जानें.
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महाकुंभ भगदड़ के बाद तान्या का दर्द
तान्या ने बताया था कि उनके हाथों में लाशें थीं. वहां मौजूद भीड़ उनके ऊपर चढ़ी जा रही थी. भीड़ के चढ़ने की वजह से उनके जबड़े तक टूट गए थे. वह लोगों की जान बचाने में जुटी हुई थीं लेकिन फिर भी न जाने कितने लोगों ने उनके हाथों में ही दम तोड़ दिया, ये देखकर उनको बहुत घुटन महसूस हो रही थी. तान्या ने बताया कि भारतीय होने का मतलब ही एक दूसरे की मदद करना है. वह लोगों को मरने नहीं देने सकती थीं. उनसे जितना हो सका उन्होंने किया. तान्या का सबसे बड़ा दर्द यह है कि वह बहुत से लोगों की जान बचा ही नहीं सकीं.
मेरी जान क्यों नहीं चली गई
तान्या ने बताया कि उनके पास भूखे-प्यासे 40-42 बच्चे थे. उनके पास पीने के लिए पानी तक नहीं था. वह बच्चों को पैकेट से चिप्स निकालकर खिला रही थीं. बच्चों को प्यास से बचाने के लिए वह टॉयलेट तक से पानी लेने को तैयार हो गई थीं. वह बच्चों की जान बचाना चाहती थीं. उस दिन मदद के लिए सभी आश्रम बंद कर दिए गए थे. तान्या ये सब देखकर इतना ज्यादा टूट चुकी थीं कि वह यह सोचने पर मजबूर हो गईं कि काश उनकी जान क्यों नहीं चली गई. ये जो सच छिपाने का तमाशा वहां पर चल रहा था. तान्या ने उस दर्दनाक मंजर को बयां करते हुए कहा कि बच्चे अपनी जान बचाने के लिए उनके पैर तक नोंच रहे थे. जबकि वह खुद भी भीड़ में फंसी हुई थीं.
सब बहुत डरावना था, मैं भीड़ में कूद गई थी
तान्या ने बताया कि घटना वाले दिन वह उसी इलाके में थी और ऊपर खड़ी हुई थीं. तभी अचानक लोगों और बच्चों की आवाजें आनी शुरू हुईं. उनको लगा कि जिस आश्रम में वह हैं वहां वह उनको बचा लेंगी. लेकिन वह कुछ कर नहीं सकती थीं. तान्या ने कहा कि आश्रम उनका नहीं था. उस दिन सभी बाबाओं ने मदद के लिए आश्रम बंद कर दिए थे. उस हालात के बीच उनको लगा कि अगर किस्मत में मरना लिखा है तो वही होगा. लेकिन वह किसी एक की जान तो बचा ही सकती हैं. बस यही सोचकर वह अपनी टीम के साथ भीड़ में कूद गईं. सबकुछ बहुत ही डरावना था. वह खुद भी भीड़ में फंस गई थीं. लोगों ने उनके कपड़े खींचना शुरू कर दिया था. लोग सोशल मीडिया के जरिए उनको पहचानते थे. वह चाहते थे कि वह उनकी मदद पहले करें.
मुंह छिपाकर लोगों की मदद करनी शुरू की
वह बच्चों की जान बचाने के लिए उनको लेकर हल्दीराम के स्टोर में घुस गईं. किसी तरह से उन्होंने रेस्क्यू करना शुरू किया. वह अपना मुंह छिपाकर लोगों की मदद कर रही थीं,ताकि किसी को ऐसा न लगे कि वीआईपी कल्चर चल रहा है. गुस्साए लोग उन पर हमला न कर दें. लोगों को लग रहा था कि वह वीआईपी हैं तो पुलिस उनको बचाने आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
तान्या ने कहा कि इतना बड़ा हादसा था लेकिन फिर भी किसी ने कोई साथ नहीं दिया. सब चले गए. मेरे हाथों में लाशें थीं. मेरे सामने महिलाओं की जानें गईं. सभी हताहत महिलाएं ही थीं, उनमें एक भी पुरुष नहीं था. वह लाशों को सुरक्षित करने की कोशिश कर रही थीं, ताकि उनका परिवार कम से कम उनकी शक्लें पहचान तो ले.तान्या ने बताया कि जान बचाने के लिए लोग उनके पैर तक नोंच रहे थे. ऐसे हालात वहां पर थे.