राजभवन छेड़छाड़ मामले में कोलकाता पुलिस की बड़ी कार्रवाई, 3 अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज

कथित घटना के बाद शिकायतकर्ता को पुलिस तक पहुंचने से रोकने की साजिश रचने के आरोप में इस FIR को दर्ज किया गया है.

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(फाइल फोटो)

कोलकाता:

राजभवन छेड़छाड़ मामले में हरे स्ट्रीट थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है. यह FIR राजभवन के तीन अधिकारियों के खिलाफ दर्ज की गई है लेकिन राज्यपाल के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है क्योंकि उन्हें छूट प्राप्त है. राज्यपाल के खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत के बाद कोलकाता पुलिस ने राजभवन के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

कथित घटना के बाद शिकायतकर्ता को पुलिस तक पहुंचने से रोकने की साजिश रचने के आरोप में इस FIR को दर्ज किया गया है. भारतीय दंड संहिता की धारा 341 और 166 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. गुरुवार शाम को शिकायतकर्ता का सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान कराया गया था.

अधिकारी ने कहा, "शिकायतकर्ता महिला को 2 मई को गलत तरीके से रोककर राजभवन छोड़ने से रोकने के लिए तीन अधिकारियों को एफआईआर में शामिल किया गया है. हम उस शाम उनकी भूमिका की जांच करेंगे."

बता दें, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर लगे छेड़खानी के आरोपों को लेकर उनके इस्तीफे की मांग करते हुए राज भवन के नजदीक शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया था. प्रदर्शनकारियों में टीएमसी से संबद्ध पश्चिम बंगाल कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रोफेसर संघ (डब्ल्यूबीसीयूपीए) के सदस्य भी शामिल हुए थे.

राजभवन में संविदा पर काम करने वाली एक महिला ने राज्यपाल पर उसके साथ छेड़खानी करने को लेकर पिछले सप्ताह पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने एक शास्त्रीय नर्तकी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत को लेकर इस हफ्ते की शुरुआत में राज्य सचिवालय को रिपोर्ट सौंपी थी. शिकायत में महिला ने बोस पर 2023 में नई दिल्ली के एक होटल में उसका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था. 

प्रदर्शन में शामिल होने वाली पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष और फिल्मकार सुदेशना रॉय ने कहा, ''मैं यहां महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिए आई हूं. वह किसी भी जांच की इजाजत नहीं दे रहे हैं, क्योंकि वह संवैधानिक पद पर हैं. लेकिन इस तरह का पद एक व्यक्ति के रूप में उन्हें आरोपों की जांच से छूट की गारंटी नहीं देता है.''

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संविधान का अनुच्छेद 361 (2) राष्ट्रपति और राज्यपाल के खिलाफ आपराधिक मुकदमा शुरू करने की इजाजत नहीं देता.