भोले बाबा के बहादुर नगर गांव का पुश्तैनी घर कैसा है? जानें जन्मदिन की तारीख बाबा ने क्यों बदली

Bhole Baba House : हाथरस हादसे ने देश को गमगीन कर दिया. हालांकि, भोले बाबा ने सिर्फ संवेदना जताकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली...जानिए इस बाबा के और राज..

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Bhole Baba House : सूरजपाल उर्फ भोले बाबा का पुश्तैनी गांव बहादुर नगर पटियाली से तकरीबन 10 और कासगंज से तकरीबन 35 किलोमीटर दूर है. कभी गांव की संकरी सी गली में एक छोटा सा मकान भोला बाबा का हुआ करता था. आज महल है. इस महल से काफी दूर तक सभी जमीनें बाबा ने या तो खरीद ली हैं या लीज पर ले रखी हैं. चार भाइयों में भोले बाबा तीसरे नंबर पर थे. उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल के तौर पर नौकरी की और खुफिया विभाग में काम किया. फिर नौकरी छोड़ कर 1999 के बाद उन्होंने एक आध्यात्मिक रूप अख्तियार किया और उसके बाद उनका कारोबार बढ़ता ही चला गया. भोले बाबा के साथ बैठने वाली महिला कौन है? मई में इनके सत्संग से गायब बुजुर्ग के परिजनों का बड़ा दावा

इसलिए बदला जन्मदिन

बहादुर नगर में दूर-दूर तक भोले बाबा की जमीनें फैली हुईं हैं. कई एकड़ में तो उनका यहां आश्रम (महल) है. यह उनका बनाया पहला आश्रम है. इस आश्रम की रंगाई पुताई हाल ही में हुई है. गांववालों ने बताया कि बाबा का असली जन्मदिन तो 15 अगस्त है मगर जब वह आध्यात्मिक हुए तो भक्तों के कहने पर जन्मदिन 14 जुलाई को मनाने लगे. 14 जुलाई को यहां बहुत ही भव्य कार्यक्रम होता है. इस बार भी बड़ी तैयारी की गई है. अब यह देखने वाली बात है कि हाथरस हादसे के बाद बाबा अपना जन्मदिन मनाते हैं या नहीं. हाथरस मामले में भोले बाबा को बचा रही पुलिस? पुलिस पर क्या है दबाव; अलीगढ़ आईजी का जवाब 

भक्तों पहुंचाते हैं सामान

आश्रम पर तमाम सारे पोस्टर लगे हुए हैं और उनमें लिखा है कि यहां पर रुपये-पैसे देना मना है, लेकिन बहुत सारे ऐसे श्रद्धालु हैं, जो ईंट, सीमेंट आदि सामान यहां लाकर गिरा देते हैं ताकि बाबा का महल और बड़ा हो सके. इस मकान में आम लोगों को आने-जाने की इजाजत नहीं है. बाबा के आने पर ही यहां सभी को अंदर घुसने का मौका मिलता है. फिर भी भक्त सालों भर यहां पैसा और सामान पहुंचाते रहते हैं.

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