भीमा कोरेगांव हिंसा : SC से राहत के बाद सुधा भारद्वाज को मिली जमानत, 3 साल से थीं जेल में

जमानत के साथ कुछ शर्तें रखी गई हैं. सुधा को मुम्बई में ही रहना होगा, ट्रायल की तारीखों पर आना होगा, मीडिया से केस से जुड़ी कोई बात नहीं कर सकतीं और इसके अलावा अगर उनके पास अगर पासपोर्ट है तो उसे जमा करना होगा

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुधा भारद्वाज की जमानत बरकरार रखी थी

मुंबई:

भीमा कोरेगांव मामले में एक्टिविस्‍ट सुधा भारद्वाज (sudha bharadwaj) को 50 हजार की कैश बेल बांड पर जमानत मिल गई है. वे  पिछले तीन साल से जेल में थीं. जमानत के साथ कुछ शर्तें रखी गई हैं. सुधा को मुम्बई में ही रहना होगा, ट्रायल की तारीखों पर आना होगा, मीडिया से केस से जुड़ी कोई बात नहीं कर सकतीं और इसके अलावा अगर उनके पास अगर पासपोर्ट है तो उसे जमा करना होगा. 50 हजार की केस बेल भरकर सुधा आज ही रिहा हो सकती हैं बशर्तें उनके परमानेंट निवास के दस्तावेजों की पड़ताल पूरी हो जाए. उन्‍हें 3 महीने में 2 स्युरिटी की प्रक्रिया पूरी करनी होगी.

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गौरतलब है कि सुधा भारद्वाज  को कल सुप्रीम कोर्ट से  बड़ी राहत मिली थी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने उनकी जमानत बरकरार रखी थी, इसके साथ ही उनकी जमानत पर रिहाई का रास्ता साफ हो गया था. सुधा की जमानत के खिलाफ NIA की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी और बॉम्बे हाईकोर्ट के डिफॉल्ट जमानत देने के फैसले पर मुहर लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में दखल देने की कोई वजह दिखाई नहीं देती, लिहाजा याचिका खारिज की जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'जिस निचली अदालत के पास NIA मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं था. पुणे कोर्ट को UAPA के तहत नजरबंदी का समय बढ़ाने के लिए सक्षम नहीं था क्योंकि वो NIA विशेष अदालत नहीं थी. अगर समय निचली अदालत नहीं देती तो क्या होता? ये एक असुविधाजनक स्थिति है.' 

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