- पवन रुइया और परिवार के खिलाफ 315 करोड़ रुपए की साइबर धोखाधड़ी के मामले में पुलिस ने छापेमारी की है.
- 93 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी में दिल्ली से गिरफ्तार राहुल वर्मा ने पवन रुइया के करीबी के रूप में भूमिका निभाई.
- 148 फर्जी कंपनियों के जरिए 1379 शिकायतें मिलीं, जिनमें से 23 मामलों में रुइया परिवार के खाते शामिल हैं.
बंगाल के उद्योगपति पवन रुइया एक बार फिर मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं. पवन रुइया और उनके परिजन करीब 315 करोड़ की साइबर फ्रॉड के केस में घिरते दिख रहे हैं. सो-मोटो FIR दर्ज किए जाने के बाद बंगाल पुलिस ने 6 नवंबर को पहली बार इस मामले में सर्च ऑपरेशन चलाया. इससे पहले एक नवंबर को दिल्ली एयरपोर्ट से राहुल वर्मा (27 वर्ष) की गिरफ्तारी हुई. राहुल दुबई के रास्ते देश छोड़ने की फिराक में था, लेकिन ऐन वक्त पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया. राहुल कलकत्ता के न्यूटाउन एरिया में 93 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी से जुड़े एक अलग मामले में आरोपी है.
ज्यादा रिटर्न का भरोसा देकर की ठगी
शिकायतकर्ता का आरोप है कि राहुल ने उसे एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा और ज़्यादा रिटर्न का वादा करके पैसा निवेश करने के लिए राजी किया. पीड़ित ने 2023-24 के बीच किश्तों में ₹93 करोड़ का निवेश किया. गिरफ्तार आरोपी राहुल कारोबारी पवन रुइया का "करीबी सहयोगी" है.
दिल्ली के राहुल की गिरफ्तारी से पवन रुइया तक पहुंची जांच
पुलिस का दावा है कि 27 वर्षीय इस व्यक्ति ने मनी लॉन्ड्रिंग और पैसे को क्रिप्टो करेंसी में बदलने में अहम भूमिका निभाई. वर्मा को इससे पहले 2023 में एक अन्य साइबर अपराध मामले में गिरफ्तार किया गया था. वह उत्तर-पूर्वी दिल्ली के भजनपुरा का निवासी है. वर्मा की गिरफ्तारी के बाद कोलकाता पुलिस पवन रुइया और उसके परिवार तक पहुंच गई.
148 फर्जी कंपनियों के जरिए 315 करोड़ की धोखाधड़ी
इसके बाद पश्चिम बंगाल पुलिस की साइबर अपराध शाखा की जांच ने 148 फर्जी कंपनियों से जुड़े करीब 315 करोड़ रुपए के ऑनलाइन धोखाधड़ी घोटाले का पर्दाफाश किया है. इस गिरोह से कथित संबंधों के लिए व्यवसायी पवन रुइया के घर व कार्यालयों पर छापेमारी की. एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस की टीमों ने पिछले गुरुवार को रुइया के आवास व कार्यालयों के साथ-साथ उनके कई सहयोगियों के घरों पर भी छापेमारी की थी.
बंगाल के साथ-साथ देश भर से मिली 1317 शिकायतें
उन्होंने बताया कि जिन लोगों के घरों पर छापेमारी की गयी, उनके नाम एक राष्ट्रव्यापी साइबर धोखाधड़ी मामले में दर्ज प्राथमिकी में शामिल हैं. पुलिस ने सोमवार को एक बयान में बताया, “मामले की गहन जांच में साइबर धोखाधड़ी की प्रत्यक्ष संलिप्तता का पता चला. पश्चिम बंगाल और भारत के अन्य हिस्सों में 1,379 से अधिक शिकायतकर्ताओं से लगभग 315 करोड़ रुपये की ठगी की गई.”
पवन रुइया के खिलाफ साइबर ठगी के मामले में पुलिस द्वारा जुटाए गए आंकड़े:
- शेल कंपनियों से संबंधित और रुइया परिवार से जुड़े साइबर अपराध की 1379 शिकायतें मिली है.
- इसमें 23 मामले ऐसे हैं, जहां अपराध की आय सीधे पवन कुमार रुइया और उनके परिवार (सरिता रुइया, राघव रुइया, पल्लवी रुइया और साक्षी रुइया) के बैंक खातों में गई है.
- जांच में यह भी पता चला कि हुग्ली मशीनरीज़ प्राइवेट लिमिटेड एक प्रत्यक्ष लाभार्थी कंपनी थी.
- हुग्ली मशीनरीज़ प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित साइबर अपराध के 544 मामले दर्ज किए गए हैं.
- केवल हुग्ली मशीनरीज़ से ही 97 करोड़ रुपये की आपराधिक आय जुड़ी हुई है.
- हुग्ली मशीनरीज़ से 16 लाभार्थी कंपनियाँ उभरी हैं. इन कंपनियों में 11 निदेशकों के नाम एक जैसे पाए गए हैं.
- इन 11 निदेशकों से जुड़ी 186 कंपनियाँ हैं. इनमें से 147 कंपनियाँ कलकत्ता के रजिस्ट्रार ऑफ़ कंपनीज़ के अधीन हैं।
- इनमें से 73 (हुग्ली मशीनरीज़ सहित) 9, एज्रा स्ट्रीट, कलकत्ता-700001 पर पंजीकृत हैं. इन 73 कंपनियों में से 0 कंपनियां दिए गए पते पर मौजूद हैं.













