- पीएम मोदी ने बिहार चुनाव जीत के बाद बीजेपी को पश्चिम बंगाल में 2026 विधानसभा चुनाव जीतने का लक्ष्य दिया है
- पश्चिम बंगाल बीजेपी ने संगठन को मजबूत करने के लिए नए अध्यक्ष और हजारों मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति की है
- सुवेंदु अधिकारी को मुख्यमंत्री चेहरा बनाने पर विचार हो सकता है जो टीएमसी के खिलाफ मजबूत विकल्प माने जाते हैं
बिहार चुनाव में बंपर जीत के बाद बीजेपी अब बंगाल विधानसभा चुनाव 2026 के लिए तैयारियों में जुट गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली बीजेपी मुख्यालय में बिहार में जीत का जश्न मनाते हुए कार्यकर्ताओं से कहा कि बीजेपी बिहार के बाद अब बंगाल में सरकार बनाएगी. हालांकि पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती है. 2021 के चुनाव में बीजेपी को 77 सीटें तो मिली थीं, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में यह संख्या घटकर 12 रह गई थी. ऐसे में क्या पीएम ने सिर्फ कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए बंगाल में भगवा झंडा लहराने की बात कर दी या ग्राउंड पर वाकई तगड़ा काम हो रहा है. आइए समझने की कोशिश करते हैं.
1. संगठन का पुनर्गठन और बूथ-स्तरीय मजबूती
- समिक भट्टाचार्य को पश्चिम बंगाल बीजेपी का नया अध्यक्ष बनाया गया. इसी साल फरवरी में पार्टी ने 1,000 से अधिक मंडल के अध्यक्षों की नियुक्ति की, जो संगठन को ग्रासरूट स्तर पर मजबूत करने का पहला कदम था.
- अप्रैल 2025 में सुनील बंसल (राज्य प्रभारी) के नेतृत्व में उम्मीदवार चयन नीति बदली गई:
- लंबे समय से वफादार सदस्यों को प्राथमिकता दी जा रही है.
- जिला अध्यक्षों को 2026 चुनाव लड़ने से रोका गया है, ताकि वे पूर्ण रूप से संगठनात्मक भूमिका निभाएं.
- गैर-चुनावी संगठनात्मक टीमों का गठन.
- पार्टी 170+ जीत योग्य सीटों पर बूथ समितियों का गठन या पुनर्गठन कर रही है. 25,000 से अधिक बूथों पर टीएमसी से आगे रहने वाले क्षेत्रों पर विशेष फोकस है, जहां बूथ एजेंटों को मजबूत किया जा रहा है.
- आरएसएस के सहयोग से ग्रामीण बंगाल में 2,000+ हिंदू एकता रैलियां विजयादशमी के बाद आयोजित की जा रही हैं.
2. चुनावी मुद्दे और ध्रुवीकरण की रणनीति
- 5% हिंदू वोट फॉर्मूला- विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में “5% फॉर्मूला” पर जोर दिया जा रहा है , जिसमें हिंदू वोटों में 5% का स्विंग टीएमसी से बीजेपी की ओर लाने का लक्ष्य है. नारा है “हिंदू-हिंदू भाई भाई, 2026 में बीजेपी आई”
- मुख्य मुद्दे जिस पर बीजेपी चुनाव में उतरेगी - अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ, ओबीसी आरक्षण का दुरुपयोग, एसएससी घोटाले, महिलाओं की सुरक्षा, बंगाली संस्कृति की रक्षा और रोजगार, इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास.
- सीएए कैंप: चुनाव से पहले 1,000 सीएए कैंप लगाने की योजना, ताकि हिंदू शरणार्थी वोटरों को जोड़ा जा सके.
- बीजेपी टीएमसी सरकार में “जंगल राज” को बड़ा मुद्दा बना सकती है खासकर महिलाओं के खिलाफ अपराधों जैसे रेप, हत्या के मामलों में नाकामी को हाईलाइट कर सकती है.
- अवैध घुसपैठ को प्रमुख मुद्दा बनाते हुए, बीजेपी एनआरसी-सीएए को लागू करने का वादा दोहराएगी, खासकर मटुआ समुदाय लगभग 2 करोड़ वोटर जो की 70 सीटों पर प्रभावी हैं उनको टारगेट करेगी.
- टीएमसी के कल्याणकारी वादों जैसे लालिमा कार्ड को “लूट का धंधा” बताते हुए, भ्रष्टाचार के घोटालों शिक्षक भर्ती, कोयला तस्करी पर हमला कर सकती है.
- औद्योगिक विकास, किसान संकट और बेरोजगारी को राष्ट्रीय एजेंडे से जोड़कर, बीजेपी बंगाल को “विकसित भारत” का हिस्सा बनाने का वादा करेगी.
3. मतदाता सूची और चुनाव आयोग की प्रक्रिया
- स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)- टीएमसी चुनाव आयोग के SIR प्रक्रिया का विरोध कर रही है, लेकिन बीजेपी SIR के पक्ष में है और चुनाव आयोग ने इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. बंगाली बनाम नॉन बंगाली की लड़ाई की शुरुआत यहीं से शुरू हुई.
4. सांस्कृतिक और युवा-केंद्रित अभियान
- सांस्कृतिक उत्सव-दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 तक कोलकाता में कला महोत्सव (थिएटर, संगीत, चित्रकला, फिल्म) आयोजित करने की योजना, ताकि बुद्धिजीवियों और कलाकारों को जोड़ा जा सके. वंदे मातरम् को लेकर कई यात्राएं और कार्यक्रम.
- बिहार मॉडल- युवाओं की मांगों (रोजगार, बुनियादी ढांचा) पर फोकस, जैसे बिहार में सफल रणनीति. महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा देने पर फोकस
5. केंद्रीय नेतृत्व की भूमिका
- अमित शाह ने मई और अगस्त में कोलकाता दौरे किए, जहां सांसदों और नेताओं के साथ रोडमैप तैयार किया. भूपेंद्र यादव ने हाल ही में नवंबर 2025 क्षेत्रीय नेताओं के साथ बैठक की.
- सुकंता मजूमदार और दिलीप घोष जैसे पूर्व नेताओं की भूमिका बढ़ाने की योजना.
लेकिन सीएम चेहरा कौन?
बंगाल में क्या बीजेपी अपना मुख्यमंत्री चेहरा दे पाएगी और दे पाएगी तो क्या वो ममता बनर्जी के सामने टिक पायेगा. क्योंकि इस बार उम्मीद इस बात की है कि बीजेपी अपने मुख्यमंत्री चेहरे के साथ चुनाव में उतरेगी.
2021 के विधानसभा चुनाव में सुवेंदु अधिकारी ममता के सामने चुनाव में थे, सीट थी नंदीग्राम. सुवेंदु अधिकारी को इस चुनाव में 1,73,603 मिले, जबकि ममता बनर्जी को 1,70,963 वोट मिले. इससे ये तो साफ़ हो गया की सुवेंदु अधिकारी ममता बनर्जी का मजबूत विकल्प हैं.
बंगाल में सुवेंदु के कारण 2021 में 68% हिंदू वोट बीजेपी को मिले थे. अब वो इसे 80% तक ले जाने का दावा कर रहे हैं. “5% हिंदू वोट शिफ्ट” फॉर्मूला के तहत, वे मटुआ समुदाय के 2 करोड़ वोटर वो एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं. टीएमसी पर “मुस्लिम तुष्टिकरण” के आरोपों से बीजेपी को फायदा होगा, खासकर दक्षिण बंगाल में.
सुवेंदु बूथ-लेवल कार्यकर्ताओं को बूस्ट कर रहे हैं. 2021 के बाद 1 लाख बीजेपी कार्यकर्ता बेघर हुए और 57 मारे गए, लेकिन उन्होंने संगठन को “ईंट-दर-ईंट” फिर से खड़ा किया. डोर-टू-डोर आउटरीच और सदस्यता अभियान पर जोर दिया.
बीजेपी के सत्ता में आने पर टाटा ग्रुप को वापस लाएंगे- सुवेंदु अधिकारी
सिंगुर विवाद का जिक्र करते हुए सुवेंदु ने वादा किया है कि बीजेपी के सत्ता में आने पर टाटा ग्रुप को वापस लाएंगे. उन्होंने “क्लीन जॉब्स, इंडस्ट्री रिवाइवल” और “नो ब्राइबरी, नो मिडलमैन” का ऐलान किया. यह मुद्दा बेरोजगारी और औद्योगिक पलायन के मुद्दे पर टीएमसी को घेरेगा. बंगाल को “विकसित भारत” का हिस्सा बनाने का वादा युवाओं और उद्योगपतियों को आकर्षित करेगा, जो वोट शेयर बढ़ाएगा.













