Battleground at NDTV: 'इस बार मोदी ममता पर इसलिए नहीं बोल रहे सीधा हमला'

'बैटलग्राउंड एट एनडीटीवी' में वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व सांसद स्वपन दास गुप्ता ने NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया से बातचीत बताया कि बीजेपी ने बंगाल में ममता बनर्जी को लेकर क्यों बदली अपनी रणनीति

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वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व सांसद स्वपन दास गुप्ता ने बताया कि बीजेपी का बंगाल में रणनीति बदलने का क्या कारण है.

नई दिल्ली:

Lok Sabha Elections 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव की रैलियों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर पहले की तरह सीधे हमले नहीं कर रहे हैं. ऐसा क्यों है, इस बारे में 'बैटलग्राउंड एट एनडीटीवी' (battleground at NDTV) में वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व सांसद स्वपन दास गुप्ता ने बताया कि गौर करने वाली बात है कि 2021 में जो हुआ था, उसका फीडबैक नतीजे आने के बाद मिला था. उसी के मद्देनजर यह बदलाव नजर आ रहा है.  

कोलकाता में NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया ने बैटलग्राउंड एट एनडीटीवी में लोकसभा चुनाव को लेकर वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व सांसद स्वपन दास गुप्ता, सोशल एक्टिविस्ट और स्टॉक मार्केट वाचर मुदार पाथेरिया और डेटा साइंटिस्ट पॉलिटिकल एनालिस्ट अमिताभ तिवारी से चर्चा की.

पश्चिम बंगाल में फेस का चैलेंज है. यहां लोग अपना एक लोकल हीरो, लोकल स्टार देखना चाहते हैं.  तो जो बीजेपी की ओर झुकाव वाले जो वोटर हैं उनको वह गेप नजर आ रहा है या मोदी उसको कवर कर रहे हैं क्योंकि काउंटर आर्गुमेंट है कि मोदी हैं, लेकिन लोकल फेस चाहिए, वहां एक गेप है?  इस बारे में सवाल पर स्वपन दास गुप्ता ने कहा कि, ''देखिए लोकल फेस कितना चाहिए या नहीं चाहिए, यह नतीजे ही बतलाएंगे लेकिन यह बात साफ है कि यह एक राष्ट्रीय चुनाव है.'' 

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उन्होंने कहा कि, ''ममता बनर्जी की कोशिश जितना संभव हो इसे लोकल बनाने की है, उनकी यही रणनीति है. अगर लोकलाइज्ड हो जाए तो उनका उनका ही फायदा होगा. उनका जमीनी संगठन है, काउंसलर्स हैं, पंचायत है.. बीजेपी को चाहिए एकदम ऊपर राष्ट्रीय, इंटरनेशनल स्ट्रांग लीडरशिप, अर्थव्यवस्था... बीजेपी में एक-दो मूर्ख हैं जो चाहते हैं कि एकदम लोकलाइज कर दें. यह दो अलग-अलग तरह के दृष्टिकोण हैं.'' 

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स्वपन दास गुप्ता ने कहा कि, ''यह महत्वपूर्ण है कि मोदी जी ममता बनर्जी पर 2021  की तरह सीधे तीखे हमले नहीं कर रहे हैं. ऐसा क्यों है, इस बारे में गौर करने वाली बात है कि 2021 में क्या हुआ, जिसका फीडबैक नतीजे आने के बाद मिला. फीडबैक मिला कि 'दीदी ओ दीदी...' का असर अच्छा नहीं हुआ. ममता इस बात को भुनाती हैं कि वे महिला हैं, महिला मुख्यमंत्री हैं, बंगाल की अकेली बड़ी नेता हैं, वगैरह... तो इस बार (मोदी) सतर्कता के साथ चल रहे हैं, टीएमसी पर हमला कर रहे हैं लेकिन ममता पर इतने हमले नहीं कर रहे है. यह ध्यान देने वाली बात है.''

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