आस्था, आधुनिकता और विरासत का संगम, जोधपुर के BAPS स्वामीनारायण मंदिर की दिव्य तस्वीरें देखिए

जोधपुर का यह स्वामीनारायण मंदिर नागर स्थापत्य शैली की विरासत को आधुनिकता के इस युग में भक्ति के साथ बड़ी खूबसूरती से आगे बढ़ाता नजर आ रहा है.

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BAPS Swaminarayan Mandir Jodhpur: जोधपुर के स्वामीनारायण मंदिर में प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा का मुख्य कार्यक्रम 25 सितंबर को है.
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  • जोधपुर के BAPS स्वामीनारायण मंदिर का निर्माण नागर स्थापत्य शैली में हुआ है, मंदिर का निर्माण 7 साल में हुआ है.
  • यह मंदिर पूरी तरह बलुआ पत्थर से बना है और इसमें धातु या सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया है.
  • मंदिर परिसर 42 बीघा में फैला है, जिसमें 500 पेड़ और 5500 से अधिक पौधे लगाए गए हैं जो पर्यावरण के अनुकूल हैं.
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BAPS Swaminarayan Mandir Jodhpur: ऊपर तस्वीर में आप जिस भव्य निर्माण को देख रहे हैं, वो केवल पत्थरों की एक संरचना नहीं बल्कि भारत की भक्ति, संस्कृति और विरासत का शाश्वत प्रतीक है. यह भव्य इमारत है, राजस्थान के जोधपुर में बने BAPS स्वामीनारायण मंदिर का. ब्रह्मस्वरूप प्रमुख स्वामी महाराज की योजना और प्रगत ब्रह्मस्वरूप महंत स्वामी महाराज के मार्गदर्शन से यह मंदिर राजस्थान के साथ-साथ वहां आने वाले दुनिया भर के सैलानियों के लिए एक दिव्य उपहार है.

जोधपुर के कालिबेरी में बने BAPS स्वामीनारायण मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की विधियां वैदिक परंपरा के अनुसार पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ संपन्न हो रही हैं. 25 सितंबर को परम पूज्य महंत स्वामी महाराज स्वयं मूर्तियों में प्राण-प्रतिष्ठा करेंगे.

रंग-बिरंगी से रोशनी से नहाया स्वामीनारायण मंदिर.

नागर शैली में हुआ है निर्माण

यह मंदिर नागर शैली में डिजाइन किया गया है. जो भारत की सबसे प्रतिष्ठित मंदिर वास्तुकलाओं में से एक है. मालूम हो कि 10वीं और 13वीं शताब्दी के बीच राजस्थान और गुजरात में मारू-गुर्जर या सोलंकी शैली के रूप में विकसित हुई. आधुनिक युग में भगवान स्वामीनारायण ने इस विरासत को पुनर्जीवित किया है.

जोधपुर का यह स्वामीनारायण मंदिर नागर स्थापत्य शैली की विरासत को आधुनिकता के इस युग में भक्ति के साथ बड़ी खूबसूरती से आगे बढ़ाता नजर आ रहा है.

बलुआ पत्थर से बना है स्वामीनारायण मंदिर

जोधपुर के BAPS स्वामीनारायण मंदिर की खासियतें जानिए

  • यह राजस्थान का पहला BAPS मंदिर है, जो पूरी तरह से बलुआ पत्थर से बना है.
  • इस मंदिर में धातु, सीमेंट या गारे के बिना एक इंटरलॉकिंग पत्थर प्रणाली का उपयोग किया गया है.
  • मंदिर परिसर 42 बीघा का है. 10 बीघे में फैले उद्यान में 500 पेड़ और 5,500 पौधे है.
  • मुख्य मंदिर का बेस 191 फीट×181 फीट×111 फीट है.
  • मंदिर का मंच: 11,551 वर्ग फीट का है. जबकि अभिषेक मंडप 11,551 वर्ग फीट का है.
  • मंदिर में 5 शिखर, एक भव्य गुंबद और 13+1 छोटे गुंबद है.
  • 281 जटिल नक्काशीदार स्तंभ, 121 मेहराब और 151 पवित्र मूर्तियां यहां स्थापित की जा रही है.
  • मंदिर की चारदीवारी 1100 फीट की है. प्राकृतिक वायु शीतलन के लिए पत्थर की जालीदार दीवारें है.
  • 1,11,111 घन फीट से अधिक बलुआ पत्थर और संगमरमर का इसमें उपयोग किया गया है.

मंदिर की नक्काशी देखिए.

500 से अधिक श्रमिकों ने 7 साल तक की मेहनत

जोधपुर के इस भव्य मंदिर के निर्माण में पिंडवाड़ा, सागवाड़ा, भरतपुर, जोधपुर, जयपुर और अन्य क्षेत्रों के 500 से अधिक कुशल कारीगरों और शिल्पकारों ने करीब सात साल तक मेहनत की है. जिन्हें मेहनतताने के अलावा आवास, भोजन, स्वास्थ्य सेवा, सांस्कृतिक संवर्धन, प्रशिक्षण और जीवन जीने के लिए प्रोत्साहन भी प्रदान किया गया.

प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में पूजन में जुटे लोग.

वास्तुकला और पर्यावरण के बीच सामंजस्य का उदाहरण

जोधपुर का यह मंदिर विशाल उद्यानों, हजारों पौधों और प्राकृतिक शीतलता प्रदान करने वाली पत्थर की नक्काशीदार जालीदार दीवारों के साथ प्रकृति का आलिंगन करता है. राजस्थान की रेगिस्तानी भूमि में यह मंदिर वास्तुकला और पर्यावरण के बीच सामंजस्य का एक जीवंत उदाहरण है.

भारत की विरासत पर गर्व का अनुभव कराएगा मंदिर

इस मंदिर में भक्त दर्शन में शांति, अभिषेक मंडप में प्रेरणा और भारत की प्राचीन विरासत पर गर्व का अनुभव करते हैं. यह पवित्र रचना न केवल पारंपरिक वास्तुकला को पुनर्जीवित करती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सांस्कृतिक गौरव और आध्यात्मिक मूल्यों को भी मजबूत करती है.

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बताते चले कि इससे पहले स्वामीनारायण के मंदिर दिल्ली के अक्षरधाम, के अलावा लंदन और अबू धाबी में भी है. गुरुवार को मुख्य प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं के उपस्थित रहने की उम्मीद है.

स्वामीनारायण मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा का पूरा कायर्क्रम कुछ इस तरह से है-

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