लोको पायलट की गलती या कुछ और? बालासोर रेल हादसे पर ढाई साल बाद जब उठे सवाल तो रेल मंत्री ने दे दिया ये जवाब

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा की रेलवे बोर्ड ने दुर्घटना की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की. इसके बाद 30 जून को रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी.

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बालासोर रेल हादसे को लेकर रेल मंत्री का बड़ा बायन
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  • बालासोर में 2 जून 2023 को कोरोमंडल एक्सप्रेस और हावड़ा एक्सप्रेस के बीच भीषण रेल हादसा हुआ
  • रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हादसे के बाद खुद घटनास्थल पर कैंप किया और उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए थे।
  • रेलवे सुरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट में सिग्नलिंग सिस्टम में खामियों को इस हादसे की वजह बताया गया था.
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नई दिल्ली:

भारतीय रेलवे के इतिहास के सबसे बड़े और भीषण हादसों में से एक, बालासोर दुर्घटना का जिक्र एक फिर संसद में उठा. हाल ही में समाप्त हुए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष के एक सांसद ने अचानक केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से बालेश्वर मामले को लेकर सवाल किया. डीएमके सांसद कलानिधि वीरस्वामी ने 17 दिसंबर को राज्यसभा में कहा कि घटना के लिए रेलवे ने लोको पायलट को जिम्मेदार ठहराया था. इस पर जवाब देते हुए मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि ऐसी गलत बयान बाजी सदन में स्वीकार नहीं की जा सकती. रेलवे ने बालासोर ट्रेन हादसे के लिए लोको पायलट को दोषी कभी नहीं ठहराया.

अब सवाल है कि आखिर ढाई साल पहले हुए इस हादसे में ऐसा क्या हुआ था, जिसका जिक्र अभी तक जारी है. दरअसल, 2 जून 2023 की शाम करीब 7 बजे ओडिशा के बालेश्वर जिले के बहानगा बाजार के पास एक भीषण रेल हादसा हुआ. शालीमार से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस के इंजन सहित 12 डिब्बे पटरी से उतर गए और पास की लाइन पर जा गिरे. उसी वक्त पास के ट्रैक से गुजर रही हावड़ा एक्सप्रेस से इन डिब्बों की टक्कर हो गई, जिससे हावड़ा एक्सप्रेस के भी 3 डिब्बे पटरी से उतर गए. इसके अलावा, कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे जब पटरी से उतरे तो एक खड़ी मालगाड़ी से भी टकरा गए. इस हादसे में करीब 300 लोगों की मौत हुई, जबकि 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.

रेल मंत्री ने किया कैंप, CRS जांच के आदेश 

घटना के बाद रेलवे में सफर के दौरान यात्रियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे थे. उस वक्त कहा गया कि आखिर इतनी बड़ी हो लापरवाही रेलवे में कैसे हो सकती है जिसने कई सौ लोगों को अपना शिकार बना लिया. हादसे के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव खुद घटनास्थल पर पहुंचे और स्थिति सामान्य होने तक वहीं कैंप किया. रेलवे ने तुरंत मामले की उच्चस्तरिया जांच के निर्देश दिए. मंत्रालय ने कहा पूरे मामले की कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) द्वारा जांच की जाएगी और जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी. 

CBI को सौंपी गई जांच, 3 कर्मचारी गिरफ्तार 

4 जून को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा की रेलवे बोर्ड ने दुर्घटना की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की. इसके बाद 30 जून को रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी. वहीं, 7 जुलाई को सीबीआई ने इस मामले में रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर (सिग्नल) अरुण कुमार महंत, सीनियर सेक्शन इंजीनियर (सिग्नल) मोहम्मद आमिर खान और टेक्नीशियन पप्पू कुमार को गिरफ्तार कर लिया. उन पर गैर इरादतन हत्या और सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया गया था.

रेलवे सुरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट में क्या कहा गया?

राज्यसभा में 21 जुलाई को पहली बार सरकार ने रेलवे सुरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट का निष्कर्ष बताया. सांसद डॉ जॉन ब्रिटास द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में सरकार ने कहा, " रिपोर्ट में टक्कर पूर्व में नॉर्थ सिग्नल गूमटी (स्टेशन के) पर किए गए सिग्नलिंग-सर्किट-बदलाव में खामियों के कारण हुई थी और लेवल के लिए इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर के रिप्लेसमेंट से संबंधित सिग्नलिंग कार्य के निष्पादन के दौरान हुई थी.“ रिपोर्ट में बताया गया है कि इन त्रुटियों के नतीजे में गलत लाइन के लिए हरा सिग्नल दिखाया गया जिससे ट्रेन एक खड़ी हुई मालगाड़ी से टकरा गई. रेल मंत्री ने कहा कि ये मुद्दे रेलवे अधिकारियों की ओर से "घोर चूक और लापरवाही" को दर्शाते हैं. 

7 कर्मचारियों पर गिरी गाज 

सीआरएस रिपोर्ट आने की एक दिन बाद जुलाई 1, को दक्षिण पूर्व रेलवे (SER) की महाप्रबंधक (GM) अर्चना जोशी को उनके पद से हटा दिया गया और उनकी जगह अनिल कुमार मिश्रा को पदस्थ कर दिया. रेलवे ने इस मामले में तीनों गिरफ्तार कर्मचारियों सहित कुल 7 लोगों को सस्पेंड किया था. 

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सीबीआई ने तीनों आरोपियों को दोषी माना, HC ने दी जमानत 

सीबीआई ने 2 सितंबर को भुवनेश्वर में विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष बालासोर रेल हादसे की चार्जशीट दाखिल की. आरोप पत्र में सीबीआई ने कहा कि कहा कि बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन के सिग्नल और दूरसंचार के रखरखाव की सीधी जिम्मेदारी आरोपी की थी. आरोपियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि मौजूदा सिग्नल और इंटरलॉकिंग इंस्टॉलेशन का परीक्षण, ओवरहालिंग और बदलाव योजना और निर्देशों के अनुसार थे या नहीं. लेकिन आरोपियों ने ऐसा नहीं किया. हालांकि ओड़िशा हाई कोर्ट ने अक्टूबर 2024 में, सीबीआई जांच पर सवाल खड़े करते हुए तीनों आरोपियों को जमानत दे दी. 

हाईकोर्ट ने क्या टिप्पणी की थी?

हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि जांच में ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं जिससे यह साबित हो सके कि ये तीनों (गिरफ्तार) कर्मचारी ही इस दुर्घटना के लिए पूरी तरह जिम्मेदार थे. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष जिसे मुख्य मुद्दा बता रहे हैं, वह यह कॉक्लुसिवली साबित नहीं करता कि यही तीनों हादसे के अकेले जिम्मेदार हैं. कोर्ट ने सीबीआई जांच पर सवाल खड़े करते हुए टिप्पणी किया कि बहनागा बाजार स्टेशन के स्टेशन मास्टर की भूमिका की सही से जांच नहीं की गई. हाईकोर्ट ने कहा कि मामले की गहन और व्यापक जांच करना जरुरी है. यह दुर्घटना रेलवे के उन अधिकारियों, कर्मचारियों और अधिकारियों की सामूहिक लापरवाही का नतीजा है, जो सिग्नल सिस्टम के रखरखाव और संचालन के जिम्मेदार थे.

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