आकाश आनंद पर मायावती के फैसले का क्या होगा असर, बसपा के सामने कितनी बड़ी हैं चुनौतियां

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने सोमवार को अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इससे पहले उन्हें पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर समेत सभी पदों से हटा दिया गया था. आइए जानते हैं कि इसका क्या होगा असर.

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नई दिल्ली:

बहुजन समाज पार्टी ने सोमवार को आकाश आनंद को बाहर का रास्ता दिखा दिया. इससे पहले रविवार को उन्हें पार्टी के सभी पदों से हटा दिया गया था. इससे पहले बीएसपी प्रमुख मायावती ने आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ को भी बाहर का रास्ता दिया दिया था. मायावती ने आकाश पर अपने ससुर के प्रभाव में काम करने का आरोप लगाया था. आकाश आनंद के पिता आनंद कुमार और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को बसपा का नया नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया है. इसके साथ ही मायावती ने कहा है कि उनके जीते-जी कोई भी उनका उत्तराधिकारी नहीं होगा. बसपा के इन कदमों से अब इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि आखिर आकाश आनंद और बसपा का भविष्य क्या होगा.

आकाश आनंद का बसपा में सफर

आकाश आनंद 2017 में लंदन से पढ़ाई कर लौटे थे. उसके बाद वो बसपा की गतिविधियों में सक्रिय हो गए थे.उन्हें 2019 में बसपा का  नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया था. लेकिन पिछले साल लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें इस पद से हटा दिया गया था. मायावती ने कहा था कि आकाश अभी परिपक्व नहीं हुए हैं. बसपा ने उन पर यह कार्रवाई तब की थी, जब उन्होंने अपनी रैलियों में सीधे पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर हमले शुरू किए थे. बसपा के फैसले को कुछ लोगों ने बीजेपी के दबाव में लिया गया फैसला बताया था. लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद पर बहाल कर दिया गया था. इस पद पर वो रविवार तक रहे. बसपा ने आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ को पद से हटाते हुए कहा है कि वो पार्टी में गुटबाजी को हवा दे रहे हैं. आकाश पर अपने ससुर के प्रभाव में काम करने का आरोप लगाया गया है. 

बसपा प्रमुख मायावती ने सोमवार को आकाश आनंद को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

आकाश आनंद ने बसपा में रहते हुए कई चुनाव देखे. लेकिन उन्हें कहीं भी उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली. इसमें उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ-साथ हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में हुए चुनाव शामिल हैं. इन राज्यों में बसपा की हालत पहले से भी खराब हुई है. लेकिन एक चीज जिसने लोगों का ध्यान खींचा वह था आकाश आनंद की लोकप्रियता. वो कार्यकर्ताओं से संबंध बनाते और उनकी बात सुनते हुए नजर आए. उनके भाषणों ने लोगों का ध्यान खींचा. वो सीधे शब्दों में सरकार और दूसरे दलों पर हमला करते नजर आए. उनके भाषणों से लोग जुड़ते हुए नजर आए. लेकिन यह सब बहुत दिनों तक नहीं रह सका. अब उन्हें पार्टी से ही बाहर कर दिया गया है. 

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क्या हो सकती है आकाश आनंद की राह

पार्टी से निकाले जाने के बाद आकाश आनंद ने अभी तक कुछ नहीं कहा है. वो अभी चुप हैं. ऐसे में आने वाले दिन काफी महत्पूर्ण है. बसपा की जो कार्यशैली रही है, उससे यह उम्मीद लगाई जा रही है कि आकाश आनंद को कभी भी पार्टी में वापस नहीं लिया है. क्योंकि राज्य सभा सदस्य रामजी गौतम के साथ आकाश के पिता राजाराम को भी बसपा का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि कोई बीच का रास्ता निकाला जाए. हालांकि इसके लिए उन्हें यह विश्वास दिलाना होगा कि वो अपने ससुर के प्रभाव में नहीं हैं.

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बसपा प्रमुख मायावती ने कहा है कि उनके जीते-जी कोई भी उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं होगा.

एक संभावना यह भी हो सकती है कि आकाश आनंद बसपा से अलग होकर अपना कोई सामाजिक राजनीतिक संगठन खड़ा करें. अगर वो ऐसा करते हैं तो यह राह काफी कठिन होगी. लेकिन इसमें बसपा के उन कार्यकर्ताओं का साथ मिल सकता है जो आकाश को पसंद करते हैं और उनमें बसपा का भविष्य देखते हैं. उनके साथ वो कार्यकर्ता और नेता भी आ सकते हैं जिन्हें या तो पार्टी से निकाला गया है या जो खुद ही पार्टी छोड़कर चले गए हैं या जो पार्टी में रहते हुए भी निष्क्रिय हैं. उत्तर प्रदेश की नगीना सीट से सांसद चंद्रशेखर कभी बसपा में तो नहीं रहे, लेकिन वो बसपा से नाखुश लोगों के दम पर ही उत्तर प्रदेश और देश के दूसरे राज्यों में अपनी पार्टी आजाद समाज पार्टी का संगठन खड़ा करने में सफल रहे हैं. लेकिन यहां नकारात्मक बात यह रही है कि एक-दो लोगों को छोड़ दिया जाए तो बसपा से निकलकर अलग संगठन या पार्टी खड़ी करने वालों को बहुत सफलता नहीं मिली है. इसकी वजह यह है कि दलित समाज पर अभी भी सबसे अधिक पकड़ मायावती का ही माना जाता है. लेकिन कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मायावती की यह पकड़ दिन प्रति दिन कमजोर पड़ रही है. बसपा की जगह बीजेपी और समाजवादी पार्टी की पकड़ दलित समाज में मजबूत होती जा रही है. 

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क्या खोया हुआ जनाधार हासिल कर पाएगी बसपा

बसपा प्रमुख मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार और रामजी गौतम को पार्टी का राष्ट्रीय समन्यवयक बनाया है.

आकाश आनंद को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने के बाद मायावती ने नेशनल कोऑर्डिनेटर पद पर आनंद कुमार और रामजी गौतम को नियुक्त किया है. आनंद कुमार आकाश आनंद के पिता हैं. आनंद कुमार और रामजी गौतम बहुत पहले से ही पार्टी में सक्रिय रहे हैं. आनंद कुमार कारोबार में भी सक्रिय हैं.मायावती के साथ-साथ इन दोनों पर बसपा का खोया हुआ जनाधार वापस लाने और पार्टी को संसद और विधानसभाओं में पहुंचाने की जिम्मेदारी है.बसपा के राज्यसभा सांसद रामजी गौतम मायावती के करीबी तो माने जाते हैं, लेकिन उनको लेकर विवाद भी काफी रहा है.साल 2019 में राजस्थान बसपा के कार्यकर्ताओं ने उनके मुंह पर कालिख पोतकर और गदहे पर बैठाकर जुलूस निकाला था.इसके बाद भी उनकी पार्टी ने पदोन्नती होती गई. बसपा इस समय बहुत बुरे दौर में है. उत्तर प्रदेश में उसका केवल एक सदस्य है तो राजस्थान में दो. वहीं संसद में केवल राज्य सभा में उसका केवल एक सदस्य है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली जैसे राज्यों में बसपा का कभी अच्छा प्रभाव हुआ करता था. लेकिन इन राज्यों में बसपा आज बुरी हालत में पहुंच गई है.चुनाव में खराब प्रदर्शन की वजह से बसपा का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी खतरे में है.ऐसे में इन दोनों नेताओं की जिम्मेदारी पार्टी के खोए हुए जनाधार को वापस लाकर पार्टी की फिर से खड़ा करने की होगी. इसमें इन्हें कितनी सफलता मिलती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा.  

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