"यह एक व्यक्तिगत पसंद...": अक्षय शिंदे को दफनाने के लिए जमीन नहीं मिलने पर हाई कोर्ट

Badlapur Encounter: पहले अक्षय शिंदे को बदलापुर में विरोध के बाद कल अंबरनाथ में उसे दफनाने की तैयारी थी. लेकिन वहां भी एमएनएस के विरोध के चलते महानगर पालिका ने कानून व्यवस्था का कारण बताते हुए इनकार कर दिया है.

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मुंबई:

बदलापुर एनकाउंटर में मारे गए अक्षय शिंदे मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट में आज फिर सुनवाई हुई. आरोप है कि अक्षय शिंदे को मरने के बाद भी अंतिम संस्कार के लिए दो गज जमीन नहीं मिला. पहले बदलापुर में विरोध के बाद कल अंबरनाथ में उसे दफनाने की तैयारी थी. लेकिन वहां भी एमएनएस के विरोध के चलते महानगर पालिका ने कानून व्यवस्था का कारण बताते हुए इनकार कर दिया है.

सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए आरोपी के घर के बाहर दो अधिकारी तैनात किये गए हैं. जहां तक ​दफन करने  का सवाल है. हम कुछ हद तक सफल रहे हैं. लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने सार्वजनिक रूप से बयान दिया है कि उनमें शव को दफनाने की कोई प्रथा नहीं है. लेकिन वह चाहते हैं कि शव को केवल इसलिए दफनाया जाए ताकि राज्य सरकार बदलने के बाद शव को निकाला जा सके.

इस पर जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यह क्या है?  वकील भाषण क्यों दे रहे हैं? वकीलों को अपने पेशे से जुड़े रहना चाहिए. हमें समझ नहीं आता कि वे बाहर भाषण क्यों देते हैं. हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि केवल सत्य की जीत हो. 

याचिकाकर्ता के वकील ने ऐसा कोई भी बयान दिए जाने से इनकार किया. दफनाने नहीं  देने पर सरकारी वकील ने कहा कि समाज के वरिष्ठ सदस्य भी दफ़नाने का विरोध कर रहे हैं. जस्टिस ने कहा कि कोई भी यह तय नहीं कर सकता कि शव का निपटान कैसे किया जाना चाहिए. यह एक व्यक्तिगत पसंद है. उन्हें शव का निपटान करने दें, जिस तरह वे चाहते हैं. 

सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए आरोपी के घर के बाहर दो अधिकारी तैनात किये गए हैं. जहां तक ​दफन करने  का सवाल है. हम कुछ हद तक सफल रहे हैं. लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने सार्वजनिक रूप से बयान दिया है कि उनमें शव को दफनाने की कोई प्रथा नहीं है. लेकिन वह चाहते हैं कि शव को केवल इसलिए दफनाया जाए ताकि राज्य सरकार बदलने के बाद शव को निकाला जा सके.

इस पर जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यह क्या है?  वकील भाषण क्यों दे रहे हैं? वकीलों को अपने पेशे से जुड़े रहना चाहिए. हमें समझ नहीं आता कि वे बाहर भाषण क्यों देते हैं. हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि केवल सत्य की जीत हो. 

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याचिकाकर्ता के वकील ने ऐसा कोई भी बयान दिए जाने से इनकार किया. दफनाने नहीं  देने पर सरकारी वकील ने कहा कि समाज के वरिष्ठ सदस्य भी दफ़नाने का विरोध कर रहे हैं. जस्टिस ने कहा कि कोई भी यह तय नहीं कर सकता कि शव का निपटान कैसे किया जाना चाहिए. यह एक व्यक्तिगत पसंद है. उन्हें शव का निपटान करने दें, जिस तरह वे चाहते हैं. 

बदलापुर एनकाउंटर मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा पुलिस पर सवाल उठाए जाने के बाद अब आरोपी अक्षय शिंदे के वकील ने परिवार की जान को खतरा बताया है. वकील अमित कटारनवारे ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उसे और अक्षय शिंदे के परिवार वालों को सुरक्षा देने की मांग की. साथ ही उन्होंने प्रशासन से अक्षय के अंतिम संस्कार की व्यवस्था करने की भी मांग की थी.

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महाराष्ट्र के बदलापुर एनकाउंटर में दुष्कर्म के आरोपी अक्षय शिंदे के मारे जाने को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र पुलिस से कई गंभीर सवाल पूछे. कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा, "पुलिस को तो किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए विधिवत रूप से प्रशिक्षण दिया जाता है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर आरोपी के सिर पर गोली कैसे लगी? पुलिस को तो बाकायदा ट्रेनिंग में यह सिखाया जाता है कि आरोपी के किस अंग पर गोली चलानी है. ऐसी स्थिति में पुलिस को आरोपी के पैर या हाथ पर गोली चलानी चाहिए थी."
 

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