सीएम सिद्धारमैया ने ट्रैफिक के लिए विप्रो की सड़क मांगी थी उधार, अजीम प्रेमजी ने कर दिया इनकार

विप्रो के फाउंडर अजीम प्रेमजी ने कर्नाटक सरकार के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, जिसमें शहर के ट्रैफिक को स्मूथ करने के लिए कैंपस की जमीन देने का आग्रह किया गया था. 

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

नामी आईटी कंपनी विप्रो के फाउंडर अजीम प्रेमजी ने गुरुवार को कर्नाटक सरकार के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, जिसमें बेंगलुरू शहर के ट्रैफिक को स्मूथ करने के लिए कैंपस की जमीन देने का आग्रह किया गया था. उन्होंने इसकी वजह भी बताई है. 

सिद्धारमैया सरकार ने आउटर रिंग रोड (ORR) पर ट्रैफिक जाम कम करने के लिए विप्रो के कैंपस की जमीन मांगी थी. सीमित संख्या में वाहनों को विप्रो के कैंपस से होकर आने-जाने की इजाजत देने का अनुरोध किया था. प्रेमजी ने सीएम सिद्धारमैया को लिखे पत्र में कहा कि विप्रो एक लिस्टेड कंपनी है और कैंपस उसकी विशेष निजी संपत्ति है. इसे सार्वजनिक आवाजाही के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. 

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 19 सितंबर को प्रेमजी को पत्र लिखकर कहा था कि ट्रैफिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर विप्रो कैंपस से गाड़ियों को आने-जाने की इजाजत मिले तो आउटर रिंग रोड और उससे जुड़े रास्तों पर 30 फीसदी तक ट्रैफिक कम हो सकता है. पीक आवर्स के दौरान इससे बड़ी राहत मिल सकती है. 

प्रेमजी ने कहा कि वह शहर की ट्रैफिक व्यवस्था की चिंता करने के लिए राज्य सरकार की तारीफ करते हैं, लेकिन पत्र में उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसा करने के लिए कोई एक समाधान नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि विप्रो के सरजापुर कैंपस से सार्वजनिक वाहनों की आवाजाही की अनुमति देने से कई कानूनी, प्रशासनिक और वैधानिक चुनौतियां पैदा होंगी.

प्रेमजी ने अपने पत्र में कहा कि विप्रो कर्नाटक सरकार के साथ मिलकर ट्रैफिक प्रॉब्लम के समाधान में सहयोग देने के लिए कमिटेड है, लेकिन उनकी प्राइवेट प्रॉपर्टी से वाहनों की आवाजाही की इजाजत देने से भी ट्रैफिक समस्या का ठोस और दीर्घकालीन समाधान नहीं निकलेगा. 

विप्रो चेयरमैन ने कहा कि उनका मानना है कि ट्रैफिक समस्या के उचित समाधान के लिए पहले किसी ऐसी एजेंसी से समग्र साइंटिफिक स्टडी करानी चाहिए, जिसे शहरी ट्रैफिक व्यवस्था संभालने में वर्ल्ड क्लास अनुभव हो. इससे समस्या का चरणबद्ध तरीके से उपाय ढूंढा जा सकेगा. 

Advertisement

बता दें कि बेंगलुरू में आउटर रिंग रोड अपने भीषण जाम और बदहाल सड़कों के लिए बदनाम है. यह मसला उस समय ज्यादा गरमा गया, जब ब्लैकबक कंपनी के सीईओ और सह संस्थापक राजेश याबजी ने ट्रैफिक जाम की वजह से अपनी कंपनी को दूसरी जगह शिफ्ट करने का ऐलान कर दिया.

राजेश का कहना था कि कंपनी के कर्मचारियों को आने-जाने में कम से कम तीन घंटे का समय लगता है. उन्होंने सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे और धूल को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि स्थानीय प्रशासन का रवैया देखकर उन्हें लगता है कि आने वाले 5 साल में भी यह समस्या सुधरने वाली नहीं है. 
 

Advertisement

Featured Video Of The Day
Leh Protest: Ladakh में किसके इशारे पर लगी आग? | Sonam Wangchuck | Khabron Ki Khabar
Topics mentioned in this article