अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट के लिए कई दावेदार, विवाद शुरू हो गया

राम जन्मभूमि रामालय न्यास ने मंदिर निर्माण की ज़िम्मेदारी पर अपना दावा ठोका कोर्ट तक जाने की चेतावनी

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अयोध्या राम जन्मभूमि रामालय न्यास के सचिव अविमुक्तेश्वरनंद सस्वती ने कहा है कि वे कोर्ट में भी जा सकते हैं.
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पीएमओ और गृह सचिव को रामालय न्यास ने मेमोरंडम सौंपा
निर्मोही अखाड़ा नए ट्रस्ट में चाहता है अहम भूमिका
राम जन्मभूमि न्यास भी कर रहा ट्रस्ट बना होने का दावा
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे दिया- सरकार तीन महीने में ट्रस्ट बना दे. लेकिन ट्रस्ट को लेकर तरह-तरह के विवाद शुरू हो गए हैं. अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट के गठन का कोई बिल संसद के शीतकालीन सत्र में नहीं आ रहा है. क़ानून मंत्रालय ने गुरुवार को ये बात साफ़ कर दी है. लेकिन ट्रस्ट को लेकर सरकार के भीतर और बाहर सुगबुगाहट शुरू हो गई है. गुरुवार को अयोध्या से आए राम जन्मभूमि रामालय न्यास ने बाक़ायदा मंदिर निर्माण की ज़िम्मेदारी पर अपना दावा ठोक दिया. पीएमओ और गृह सचिव को न्यास ने एक मेमोरंडम भी सौंपा है. चेतावनी कोर्ट तक जाने की है.

अयोध्या राम जन्मभूमि रामालय न्यास के सचिव अविमुक्तेश्वरनंद सस्वती ने एनडीटीवी से कहा, "मंदिर निर्माण की ज़िम्मेदारी धर्माचार्यों की है ... अगर सरकार ने हठधर्मी दिखाई तो हम मामले को लेकर अदालत जाएंगे. ये विकल्प हमारे सामने है."

जबकि राम जन्मभूमि न्यास भी यही दावा कर रहा है कि ट्रस्ट बना हुआ है, नए ट्रस्ट की ज़रूरत नहीं है. और निर्मोही अखाड़े का कहना है कि जो नया ट्रस्ट बने, उसमें उसकी अहम भूमिका हो, ये अदालत ने कहा है. निर्मोही अखाड़ा के प्रवक्ता कार्तिक चोपड़ा ने एनडीटीवी से कहा, "कोर्ट ने कहा है कि ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े का समुचित प्रतिनिधित्व होगा. हम सरकार से स्पष्टता चाहते हैं कि निर्मोही अखाड़ा को ट्रस्ट में किस रूप में रखा जाएगा और उसका ट्रस्ट के कामकाज में क्या रोल होगा."

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अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब हिन्दू धार्मिक संगठनों में इस बात को लेकर होड़ लग गई है कि नए प्रस्तावित ट्रस्ट में किसको शामिल किया जाए, किसे अहम भूमिका सौंपी जाए और मंदिर निर्माण की ज़िम्मेदारी किसकों सौंपी जाए...साफ है, मामला संवेदनशील और पेचीदा है, और सरकार को संभलकर इन दावों से निपटना होगा.

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