अयोध्या में जिस राम दरबार की हो रही है प्राण प्रतिष्‍ठा, देखिए उसकी एक झलक 

अयोध्‍या में तीन से पांच जून तक भव्य राम दरबार मंदिर के प्रथम तल पर प्रतिष्ठित किया जाएगा. इसे जयपुर के पांडे मूर्ति परिवार की ओर से तैयार किया गया है.

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जयपुर:

जयपुर के पांडे मूर्ति परिवार की ओर से तैयार किया गया भव्य राम दरबार अब मंदिर के प्रथम तल पर प्रतिष्ठित किया जाएगा. सफेद मकराना संगमरमर से बनी ये मूर्तियां भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमानजी के दिव्य स्वरूप को जीवंत करती हैं.  पांडे परिवार जयपुर में चार पीढ़ियों से मूर्तिकला के क्षेत्र में न सिर्फ काम कर रहा है, बल्कि उसे साधना की तरह निभा रहा है. परिवार के संस्थापक रामेश्वरलाल पांडे को मिले राम दर्शन के  स्वप्न के बाद यह परंपरा शुरू हुई थी, जो अब राम मंदिर तक पहुंच चुकी है. 

कुल 19 मूर्तियां हुईं तैयार 

परिवार के सत्यनारायण पांडे, प्रशांत पांडे और पुनीत पांडे ने मिलकर राम दरबार के साथ-साथ कुल 19 संगमरमर मूर्तियों को अयोध्या के लिए गढ़ा है. इन मूर्तियों में प्रवेश द्वार के हाथी-शेर, गणेशजी, सप्तऋषि मंडल, शबरी, निषादराज, और अहिल्या की प्रतिमाएं भी शामिल हैं. 

राम दरबार की यह शृंखला राजस्थान के मकराना से लाए गए उच्चतम गुणवत्ता वाले सफेद संगमरमर से तैयार की गई है. पुनीत पांडे बताते हैं पत्थर का चुनाव मूर्ति की आत्मा तय करता है. हमारी टीम ने महीनों तक चयन कर सबसे उपयुक्त शिला से ये मूर्तियां गढ़ी हैं. इन मूर्तियों के वस्त्र, आभूषण, केश और भाव-भंगिमा इतने जीवंत हैं कि श्रद्धालु इन्हें देखकर सहज ही भावविभोर हो उठते हैं.

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21 मई को पहुंची अयोध्‍या 

रामलला की मूल बालरूप प्रतिमा के चयन के लिए जब देशभर से तीन मूर्तियां चुनी गई थीं. उनमें एक प्रतिमा जयपुर के पांडे परिवार द्वारा निर्मित थी. भले ही अंतिम चयन कर्नाटक के मूर्तिकार की बनी मूर्ति का हुआ, लेकिन पांडे परिवार की प्रतिमा को भी मंदिर परिसर में सहेजकर रखा गया है.  21 मई को सुरक्षा व्यवस्था के साथ राम दरबार और अन्य मूर्तियों को जयपुर से अयोध्या के लिए रवाना किया गया था. 

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3 से 5 जून तक अयोध्या में तीन दिवसीय वैदिक अनुष्ठान का आयोजन होगा. गंगा दशहरा के पावन अवसर पर राम दरबार की विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी।  11 विद्वान आचार्य, देशभर से आमंत्रित किए गए हैं. 

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सदियों पुरानी शिला को मिली जगह 

पुनीत पांडे ने NDTV को बताया कि यह सिर्फ एक शिल्प या परियोजना नहीं, हमारी भक्ति का हिस्सा है. लगभग 100 साल पुरानी संगमरमर की शिला को राम दरबार में स्थान मिला, इससे बड़ा सौभाग्य और क्या होगा. ये मूर्तियां भारतीय शिल्प परंपरा और जीवंत भाव-भंगिमा का अद्भुत उदाहरण है. उनका परिवार चार पीढ़ियों से मूर्ति निर्माण से जुड़ा हुआ है. वे अब तक इस्कॉन, स्वामीनारायण संप्रदाय और देश-विदेश के कई प्रमुख मंदिरों के लिए मूर्तियां बना चुके हैं. 

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राम मंदिर में केवल राम दरबार ही नहीं, बल्कि परिक्रमा मार्ग में सप्तऋषि मंडल, सबरी, ऋषि-मुनियों की 19  मूर्तियां भी तैयार की गई हैं.  इससे पहले अयोध्या में रामलला के बाल रूप बनाने का सौभाग्य भी इस परिवार को मिल चुका है. जिन तीन मूर्तियों का चयन हुआ था उसमें एक मूर्ति इसी पांडे परिवार की बनाई हुई थी. पुनीत पांडे ने बताया कि उस समय ये हमारी बनाई मूर्ति का अंतिम चयन नहीं हो पाया था लेकिन अब ये सौभाग्य मिला है इससे आत्मिक आनंद की अनुभूति हो रही है. 

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