हिमाचल-कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद अब प्रियंका गांधी ने संभाली MP और तेलंगाना की कमान

संगठनात्मक क्षमताओं से अधिक यह प्रियंका गांधी की प्रचार शैली और जीतने पर फोकस ही था, जिसने कर्नाटक में कांग्रेस को शानदार जीत दिलाई.

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प्रियंका गांधी पहले ही तेलंगाना में एक रैली कर चुकी हैं. उनके 12 जून को मध्य प्रदेश में एक रैली को संबोधित करने की उम्मीद है.
नई दिल्ली:

हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा चुनावों (Assembly Elections 2023) में शानदार जीत ने कांग्रेस (Congress) में एक नई ऊर्जा भर दी है. इस जीत के बाद अब कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) तेलंगाना और मध्य प्रदेश के चुनावों के लिए पार्टी के अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं. दोनों राज्यों में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं.

कांग्रेस के सूत्रों ने NDTV को बताया कि प्रियंका गांधी पहले ही तेलंगाना में एक रैली कर चुकी हैं. उनके 12 जून को मध्य प्रदेश में एक रैली को संबोधित करने की उम्मीद है. यहां वह महिलाओं को 1500 रुपये की इनकम गारंटी के पार्टी के वादे को आगे बढ़ा सकती हैं. सूत्रों ने बताया कि प्रियंका के छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर चुनाव प्रचार करने की भी संभावना है. छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी साल के आखिर में चुनाव होने हैं.

प्रियंका गांधी ने महिला संवाद (महिला मंच) को पिछले साल उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अभियान में लागू किया था. यह हाल में संपन्न हुए कर्नाटक चुनावों में कांग्रेस के अभियान का भी हिस्सा रहा. महिला संवाद कांग्रेस के आगामी चुनाव अभियानों का भी एक अभिन्न हिस्सा होगा. इसमें महिलाओं के लिए आय समर्थन, मुफ्त सिलेंडर और मुफ्त सार्वजनिक परिवहन का वादा शामिल है. कर्नाटक में कांग्रेस की पांच गारंटियों में ये भी इसे शामिल किया गया है. ऐसा माना जाता है कि पांच गारंटी के वादे ने कांग्रेस को कर्नाटक चुनाव में प्रचंड बहुमत दिलाने में काफी मदद की.

प्रियंका गांधी के करीबी एक पार्टी नेता ने कहा, "यूपी चुनाव के बाद कांग्रेस की सोच में बदलाव आया है. पार्टी अब महिला मतदाताओं पर अलग से फोकस कर रही है. पार्टी नेतृत्व समझ गया है कि बढ़ती महंगाई का समाधान चाहती हैं. दूसरी बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ाई जाए. इसपर प्रियंका गांधी पहले से जोर दे रही हैं. भले ही उनकी अपनी पार्टी के नेता इस विचार को सिरे से खारिज करते हैं." 

हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कर्नाटक के चुनाव नतीजों ने कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ा दी हैं. इससे पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों में और 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ नई ऊर्जा के साथ लड़ने का मौका मिला है. सूत्रों के अनुसार, कर्नाटक में प्रियंका गांधी का हस्तक्षेप विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, क्योंकि मानहानि केस में राहुल गांधी के दोषी करार दिए जाने और सांसदी रद्द होने के बाद कांग्रेस के चुनावी अभियान पर प्रभाव पड़ा था.

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि प्रियंका गांधी ने हिमाचल प्रदेश में पार्टी के अभियान को अच्छी तरह आगे बढ़ाया. हिमाचल प्रदेश की कुल 68 सीटों में कांग्रेस ने 40 सीटें जीतीं. बीजेपी पिछली बार के 44 सीटों के मुकाबले 25 सीटों पर सिमट गई. प्रियंका ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला जैसे नेताओं को जोड़ा. गांधी परिवार का कर्नाटक और तेलंगाना के साथ ऐतिहासिक और पारिवारिक संबंध हैं. इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी ने बेल्लारी से चुनाव जीता. सोनिया ने  मेडक से भी चुनाव लड़ा था. लेकिन प्रियंका गांधी हिमाचल प्रदेश से भावनात्मक तौर पर जुड़ी हुई थीं.

कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा, "प्रियंका गांधी ने कई बार बताया कि कैसे इंदिरा गांधी ने परिवार के सदस्यों से कहा था कि वह अपने जीवन के आखिरी कुछ दिन हिमाचल प्रदेश में बिताना चाहती हैं. इसलिए राजीव गांधी ने उनकी अस्थियों को पहाड़ियों में बिखेर दिया. प्रियंका गांधी ने ही पुरानी पेंशन योजना को दोबारा लागू करने पर जोर दिया था."

प्रचार शैली और जीतने पर फोकस
संगठनात्मक क्षमताओं से अधिक यह प्रियंका गांधी की प्रचार शैली और जीतने पर फोकस ही था, जिसने कर्नाटक में कांग्रेस को शानदार जीत दिलाई. मैसूरु और मध्य कर्नाटक में हुए रोड शो में प्रियंका लोगों को कांग्रेस के समर्थन में नारे लगाने के लिए लामबंद करती नजर आईं. कांग्रेस के अनुसार, 36 रैलियों और रोड शो में उनका स्ट्राइक रेट 72 प्रतिशत था. उन्होंने खास तौर पर मांड्या की लगभग सभी सीटों को कवर किया. मांड्या जेडीयू का गढ़ माना जाता है, बावजूद इसके यहां कांग्रेस ने जीत हासिल की.

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कांग्रेस नेताओं ने कहा कि एक तरफ राहुल गांधी ने कांग्रेस की 5 गारंटी के वादे का प्रचार करने पर फोकस किया. दूसरी ओर प्रियंका गांधी ने पार्टी की जीत के लिए माहौल बनाने पर काम किया. यह प्रियंका गांधी ही थीं, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आक्रामक अभियान का जवाब देने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली थी, ताकि चुनाव राहुल गांधी बनाम मोदी की लड़ाई न बन जाए. जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की प्रधानमंत्री के खिलाफ "सांप" टिप्पणी पर विवाद खड़ा हो गया, तो उन्होंने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कथित तौर पर लोगों पर बजरंग दल-बजरंगबली मुद्दे के प्रभाव का त्वरित आकलन भी किया था.

एक अन्य पदाधिकारी ने कहा, "कर्नाटक में प्रियंका जहां भी गईं, वह प्रियंका गांधी की जय नहीं सुनना चाहती थीं... उन्होंने जोर देकर कहा कि नारे कांग्रेस के लिए होने चाहिए. किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं. चुनाव प्रचार के आखिरी दिन तक वह लोगों में जोश (उत्साह) भर रही थीं." 

राजनीति की शैली
चुनावी राजनीति के प्रति प्रियंका गांधी के दृष्टिकोण का सबसे अहम हिस्सा शायद फॉलो-अप रहा है. चाहे वह दिल्ली में सपेरे हो या सपेरों की बस्ती हो या यूपी में महिला मतदाताओं के साथ संवाद हो. प्रियंका गांधी सबका फॉलो अप लेती रहीं. हालांकि, पार्टी प्रयासों के बावजूद प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश के चुनाव में अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहीं, लेकिन पदाधिकारियों ने कहा कि प्रियंका गांधी ब्राह्मणों, दलितों और मुसलमानों सहित सामाजिक समूहों की स्टडी कर रही हैं. ये हाल के वर्षों में कांग्रेस से दूर हो गए हैं.

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जब कर्नाटक में चुनाव प्रचार की बात आई, तो टीम के लिए प्रियंका के निर्देश स्पष्ट थे. प्रियंका गांधी ने अपने लिए कोई बड़ी रैली नहीं करने का निर्देश दिया था. उनसे करीबी से जुड़े एक नेता ने कहा, "वो दूर से बात नहीं करती हैं. लोगों से मिलकर बात करती हैं."

प्रियंका गांधी न पुलवामा में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए सैनिकों, हाथरस, उन्नाव और बुंदेलखंड में रेप पीड़िताओं के परिवारों के साथ संपर्क में हैं. इसके साथ ही वह उन लोगों के साथ भी संपर्क में हैं, जिनका इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों ने उनके खिलाफ किया था.

एक अधिकारी ने कहा, "मथुरा में एक जनसभा में स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ता राजस्थान से एक बलात्कार पीड़िता को कांग्रेस शासित राज्य में प्रियंका गांधी की रैली में ले आए थे. प्रियंका उसे यमुना किनारे ले गई. उन्होंने पीड़िता से एक मां की तरह बात की. उसका कॉलेज में दाखिला दिला दिया. वे अब भी नियमित रूप से संपर्क में हैं." 

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उन्होंने कहा, "वह जमीन से जुड़ाव पर जोर देती हैं. यही वजह है कि वह जनता के बीच सहज हैं. वह जितने लोगों से मिलती हैं, उनके साथ एक रिश्ता बना लेती हैं. फिर वह व्यक्तिगत रूप से उनके संपर्क में रहती है. जरूरत पड़ने पर मदद करती हैं."

तेलंगाना की अगली चुनौती?
तेलंगाना में कांग्रेस दलबदल और अंदरूनी कलह के बीच जमीन पर पकड़ बनाने के लिए संघर्ष कर रही है. यहां आक्रामक बीजेपी सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति पर भारी पड़ने की कोशिश में है. सूत्रों का कहना है कि प्रियंका के भाई राहुल गांधी ने विशेष रूप से उन्हें राज्य का दौरा करने और संगठन को मजबूत करने के लिए कहा है. प्रियंका ने इस पर अमल करते हुए कर्नाटक अभियान की समाप्ति के कुछ घंटों के भीतर हैदराबाद में अपनी पहली रैली को संबोधित किया था.

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कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "वह हमेशा चुनौतियों के लिए तैयार रही हैं. उन्हें लगता है कि तेलंगाना एक ऐसा राज्य है जिसे पार्टी बदल सकती है. बशर्तें सभी राज्यों के नेता सहयोग करें. कर्नाटक में हमारे पास मजबूत राज्य नेताओं का साथ था. तेलंगाना में हमारे साथ पहले से ही रेवंत रेड्डी हैं. अब बाकी नेताओं का सहयोग चाहिए."

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