असम विधानसभा का शरदकालीन सत्र बृहस्पतिवार को हंगामे के साथ शुरू हुआ. पूरे विपक्ष ने अपने तीन स्थगन प्रस्तावों को खारिज करने के बाद सदन से बहिर्गमन किया. विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी द्वारा प्रस्ताव खारिज किए जाने पर कांग्रेस, ऑल इंडिया यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और रायजोर दल के सदस्य तख्तियां लेकर सदन में आसन के निकट आ गए और अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी करने लगे.
विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने स्मार्ट मीटर के माध्यम से अत्यधिक शुल्क वसूले जाने का मुद्दा उठाया जबकि निर्दलीय सदस्य अखिल गोगोई एक नाबालिग राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी पर हमले के हालिया मामले पर चर्चा करना चाहते थे. एआईयूडीएफ के अमीनुल इस्लाम ने दो समुदायों के बीच भूमि बिक्री-खरीद के प्रतिबंध पर प्रस्ताव का मुद्दा उठाया. सैकिया ने कहा, "बिजली एक बुनियादी सुविधा है और जनता को इससे वंचित नहीं किया जा सकता है. यह समवर्ती सूची में भी है. स्मार्ट मीटर अत्यधिक शुल्क ले रहे हैं और गरीब लोग परेशान हैं. इस विषय पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है."
इस्लाम ने कहा कि संपत्ति को समान रूप से अर्जित करना एक भारतीय नागरिक का संवैधानिक अधिकार है और इसे धर्म के आधार पर प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री ने कहा है कि अंतर-सामुदायिक भूमि सौदों पर रोक होगी और इसके लिए उनकी मंजूरी की आवश्यकता होगी. यह ध्रुवीकरण की राजनीति है और सरकार धर्म के आधार पर लोगों को बांटने की कोशिश कर रही है. इसलिए हम स्थगन प्रस्ताव लाए हैं."
गोगोई ने आरोप लगाया कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति काफी खराब हो गई है और उन्होंने मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के इस्तीफे की मांग की. उन्होंने कहा, "एक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता नाबालिग पहलवान को तीन लोगों द्वारा शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया था, यहां तक कि उसके निजी अंगों पर भी हमला किया गया था. लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। जब लोग सड़कों पर उतरे, तभी पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया."
निर्दलीय सदस्य ने यह भी कहा कि यूनाईटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (आई) ने हाल ही में घोषणा की थी कि समूचे राज्य में 25 बम लगाए गए हैं और पुलिस को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. पुलिस लोगों के जान-माल की रक्षा करने में विफल है. राज्य में अराजकता व्याप्त है." संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा कि स्थगन प्रस्ताव के जरिए मामलों पर चर्चा करने का कोई औचित्य नहीं है और उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से इन्हें खारिज करने का अनुरोध किया.
दैमारी ने तब कहा कि इन विषयों पर अन्य माध्यम से चर्चा की जा सकती है. यह कहते हुए उन्होंने उन्होंने तीनों प्रस्तावों को खारिज कर दिया. विपक्षी सदस्यों ने अध्यक्ष के फैसले का विरोध किया और इसके बाद सदन में हंगामा शुरु हो गया. अध्यक्ष ने कहा, "यह व्यवहार पूर्व नियोजित है और स्वीकार्य नहीं है." इसके बाद उन्होंने सदन का कामकाज जारी रखा और विपक्ष के शोर शराबे के बीच सत्ता पक्ष के सदस्यों को हंगामे से सुनने में हो रही दिक्कतों से बचने के लिए 'हेडफोन' का इस्तेमाल करने को कहा. करीब पांच मिनट बाद सभी विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया. हालांकि, वे कुछ समय बाद लौट आए.