असम: कॉलेज छात्रा की हत्या के दोषी को मृत्युदंड

न्यायाधीश ने आदेश दिया, “इसलिए दोषी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या के अपराध के लिए मृत्युदंड की सजा सुनाई जाती है और उसे मृत्यु तक फांसी पर लटकाया जाएगा.” अदालत ने मृत्युदंड के अलावा विभिन्न आरोपों के तहत एक साथ चलने वाली कई सजाएं भी सुनाईं.

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  • असम की स्थानीय अदालत ने चार साल पहले शादी का प्रस्ताव ठुकराने पर छात्रा की हत्या के आरोपी को मृत्युदंड दिया.
  • आरोपी रिंटू शर्मा ने नंदिता सैकिया और उसके साथियों पर हमला कर गंभीर रूप से घायल किया था.
  • नंदिता को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पांच दिन बाद गंभीर चोटों के कारण उसकी मौत हो गई.
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धेमाजी:

असम की एक स्थानीय अदालत ने बृहस्पतिवार को ठीक चार साल पहले शादी का प्रस्ताव ठुकराने पर एक छात्रा की हत्या करने वाले व्यक्ति को दोषी ठहराते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई.  जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश अजय फगलू ने बुधवार को आरोपी को तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद यह सजा सुनाई.

आरोपों में धारा 302 (हत्या के लिए सजा), धारा 307 (हत्या का प्रयास) और धारा 324 (खतरनाक हथियारों या साधनों से स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) शामिल हैं. एक अधिकारी ने बताया कि नंदिता सैकिया 21 अगस्त, 2021 को अपनी एक सहेली और उसके पिता के साथ मोरीधोल कॉलेज से घर लौट रही थी कि तभी उसी कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रिंटू शर्मा ने तीनों पर हमला कर दिया जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गये.

अधिकारियों ने बताया कि नंदिता पर छुरे से कई वार किए गए और उसे यहां एक अस्पताल में भर्ती कराया गया.

उन्होंने बताया कि नंदिता को गंभीर चोटें आई थीं और उसे डिब्रूगढ़ के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पांच दिन बाद उसकी मौत हो गई.

न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा स्थापित सिद्धांतों के अनुरूप (जिला एवं सत्र) न्यायालय का मत है कि यह ‘मामला निश्चित रूप से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है और अगर आजीवन कारावास की सजा दी जाती है तो यह अपर्याप्त होगा व न्याय के उद्देश्यों को पूरा नहीं करेगा'.

न्यायाधीश ने आदेश दिया, “इसलिए दोषी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या के अपराध के लिए मृत्युदंड की सजा सुनाई जाती है और उसे मृत्यु तक फांसी पर लटकाया जाएगा.” अदालत ने मृत्युदंड के अलावा विभिन्न आरोपों के तहत एक साथ चलने वाली कई सजाएं भी सुनाईं.

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शर्मा को धारा 307 के तहत 10 साल सश्रम कारावास और 10,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई. जुर्माना न चुकाने पर दोषी को छह महीने और सश्रम कारावास की सजा काटनी होगी. आईपीसी की धारा 324 के तहत न्यायाधीश ने दोषी को तीन साल के कठोर कारावास और 5,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई तथा जुर्माना न चुकाने पर उसे तीन महीने और कारावास की सजा काटनी होगी.

अदालत ने फैसला सुनाने से पहले 41 गवाहों की गवाही सुनी और उनसे पूछताछ की. पुलिस ने अदालत में 400 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया था.

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