अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और असम के उनके समकक्ष हिमंत बिस्व सरमा ने दोनों राज्यों के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद के समाधान के लिए शुक्रवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. उन्होंने विवादित गांवों की संख्या 123 के बजाय 86 करने पर भी सैद्धांतिक रूप से सहमति जताई. पूर्वोत्तर के दो पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अलग-अलग ट्वीट कर बताया कि वे अरुणाचल प्रदेश के नमसाई में मिले और समझौते पर दस्तखत किए.
सरमा ने ट्वीट किया, 'हमने ‘विवादित गांवों' की संख्या 123 से घटाकर 86 करने का फैसला किया है. अपनी मौजूदा सीमा के आधार पर हम 15 सितंबर 2022 तक बाकी गांवों में भी समाधान तलाशने का प्रयास करेंगे.' विवादित 123 गांवों में से 37 पर सहमति बन गई है, जबकि 86 में समाधान होना बाकी है.
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‘नमसाई घोषणा' के अनुसार, सरमा और खांडू ने सहमति जताई कि 37 विवादित गांवों में से 28, जो अरुणाचल प्रदेश की संवैधानिक सीमा के भीतर हैं, राज्य के साथ रहेंगे, जबकि तीन गांव, जिन पर अरुणाचल प्रदेश ने दावा वापस ले लिया था, असम के पास आ जाएंगे. समझौते में कहा गया कि छह अन्य गांव, जो असम की तरफ स्थित नहीं हो सकते हैं, अगर वे अरुणाचल प्रदेश में मौजूद हैं तो वे भी सीमावर्ती राज्य के साथ रहेंगे.
खांडू ने ट्वीट किया, 'दोनों राज्य अरुणाचल के 12 जिलों और असम के समकक्ष जिलों के दायरे में 123 गांवों के संयुक्त सत्यापन के लिए संबंधित राज्य सरकारों को सिफारिशें भेजने के वास्ते 12 क्षेत्रीय समितियों का गठन करेंगे.' ये क्षेत्रीय समितियां 15 सितंबर से पहले उन क्षेत्रों या किसी अन्य क्षेत्र पर अपनी पहली रिपोर्ट पेश करेंगी, जहां आम सहमति बनी है.
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‘नमसाई घोषणा' में कहा गया है, 'जब क्षेत्रीय समितियां विचार-विमर्श की प्रक्रिया को पूरा कर लेंगी और दोनों सरकारों के बीच समझौता हो जाएगा, तब मसौदा समझौता ज्ञापन केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.'
असम और अरुणाचल प्रदेश 804.1 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)