नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक शिकायत के संबंध में सतर्कता मंत्री से रिपोर्ट मांगी है. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. इस शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सड़क परियोजना के लिए अधिग्रहीत की गयी जमीन के लिये अधिक मुआवजा पाने वाले एक व्यक्ति के रिश्तेदार ने मुख्य सचिव नरेश कुमार के बेटे को नौकरी दी .
नरेश कुमार ने इस मामले में तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. सूत्रों ने बताया कि दिल्ली सरकार को यह शिकायत अक्टूबर में मिली थी, जिसे मुख्यमंत्री ने सतर्कता मंत्री आतिशी के पास भेज दिया और उनसे इस विषय पर तथ्यों के साथ विस्तृत रिपोर्ट मांगी. वर्ष 2018 में द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण के वास्ते भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के बामनोली गांव में 19 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की थी और शुरू में जिला प्रशासन ने इसके लिये मुआवजे की राशि 41.52 करोड़ रुपये तय की थी.
भूस्वामियों ने इस मुआवजे को चुनौती दी थी और अंतत: इस साल मई में दक्षिण पश्चिम दिल्ली के जिलाधिकारी हेमंत कुमार ने इसे बढ़ाकर 353.79 करोड़ रुपये कर दिया. गृह मंत्रालय ने इस मामले में कुमार को बाद में निलंबित कर दिया. हाल में दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी 353.79 करोड़ रुपये की इस मुआवजा राशि को खारिज कर दिया.
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि दिल्ली के मुख्य सचिव का बेटा एक रियल एस्टेट कंपनी में काम करता है और उस कंपनी का एक निदेशक बामनोली गांव में अधिग्रहीत की गयी जमीन के मालिकों में से एक सुभाष चंद कथूरिया का दामाद है. सरकारी अधिकारियों ने बताया कि 15 मई को मुआवजे की राशि बढ़ाकर 353.79 करोड़ रुपये की गयी थी. संभागीय आयुक्त अश्विनी कुमार ने दो जून को मुख्य सचिव के सामने इस विषय को उठाया था.
उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव ने संभागीय आयुक्त को इस मामले की पाक्षिक आधार पर निगरानी करने का निर्देश दिया था और बाद में सतर्कता निदेशालय को इसकी जांच करने को भी कहा था. उन्होंने कहा कि बाद में, उपराज्यपाल वी के सक्सेना की मंजूरी से गृह मंत्रालय को 20 सितंबर को जिलाधिकारी के विरूद्ध सीबीआई जांच और विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की गयी थी.
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