सैनिकों को चीनी भाषा मंदारिन की ट्रेनिंग दे रही सेना, लद्दाख में चीन से विवाद बढ़ने के बीच उठाया कदम

सेना ने अपने कर्मियों को मंदारिन भाषा में दक्षता प्रदान करने के लिए हाल में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू), गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजी) और शिव नाडर विश्वविद्यालय (एसएनयू) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
नई दिल्ली:

पूर्वी लद्दाख में सीमा पर लंबे समय से जारी विवाद के मद्देनजर सेना करीब 3,400 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सतर्कता बढ़ाने की नीति के तहत जवानों को चीनी भाषा सिखा रही है. सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि सेना में मंदारिन भाषा में विशेषज्ञता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, ताकि जूनियर और सीनियर कमांडर जरूरत पड़ने पर चीनी सैन्य कर्मियों से संवाद कर सकें.

उन्होंने कहा कि सेना की उत्तरी, पूर्वी और मध्य कमान के भाषा स्कूलों में मंदारिन भाषा संबंधी विभिन्न पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं. भारतीय सेना मंदारिन भाषा से विभिन्न लेखों या साहित्य के अनुवाद के लिए कृत्रिम मेधा आधारित समाधानों का भी उपयोग कर रही है.

एक सूत्र ने कहा, ‘‘मंदारिन में बेहतर पकड़ के साथ भारतीय सेना के कर्मी अपनी बात को और अधिक स्पष्ट तरीके से व्यक्त कर पाएंगे.'' प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारतीय सेना में अधिकारियों और जूनियर कमीशन अधिकारी (जेसीओ) समेत सभी रैंक में बड़ी संख्या में ऐसे कर्मी हैं, जो मंदारिन भाषा जानते हैं.

Advertisement

सेना ने प्रादेशिक सेना में मंदारिन प्रशिक्षित कर्मियों को शामिल करने के लिए आवश्यक अनुमोदन हाल में प्राप्त किए हैं. सूत्रों ने कहा कि चीनी भाषा के विशेषज्ञ सामरिक स्तर पर कार्यात्मक रूप से आवश्यक हैं और वे भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए अभियानगत और रणनीतिक स्तर पर विश्लेषण करने के लिए जरूरी हैं.

Advertisement

उन्होंने कहा कि कोर कमांडर स्तर की वार्ता, फ्लैग मीटिंग, संयुक्त अभ्यासों और सीमा कार्मिक बैठकों (बीपीएम) जैसे विभिन्न स्तर के संवाद के दौरान चीनी पीएलए की गतिविधियों के बारे में उनकी बात को बेहतर तरीके से समझने और विचारों का बेहतर तरीके से आदान-प्रदान करने के लिए बड़ी संख्या में मंदारिन विशेषज्ञों की आवश्यकता है.

Advertisement

सेना ने अपने कर्मियों को मंदारिन भाषा में दक्षता प्रदान करने के लिए हाल में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू), गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजी) और शिव नाडर विश्वविद्यालय (एसएनयू) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके साथ ही, प्रतिष्ठान के भीतर किए जा रहे प्रयासों के तहत पचमढ़ी स्थित सैन्य प्रशिक्षण स्कूल और विदेशी भाषा स्कूल, दिल्ली में रिक्तियों को बढ़ाना शामिल है.

Advertisement

सूत्रों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार भाषाविदों की दक्षता के स्तर का आंकलन करने के लिए प्रशिक्षित सैनिकों की दिल्ली में ‘लंगमा स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज' जैसे नागरिक संस्थानों के माध्यम से परीक्षा आयोजित की जाती है. पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बाद एलएसी पर समग्र निगरानी बढ़ाने के लिए सशस्त्र बलों ने पिछले दो वर्षों में कई कदम उठाए हैं.

पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच सीमा पर टकराव हुआ था. गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को झड़प के बाद गतिरोध बढ़ गया था. दोनों पक्षों ने सीमा के पास बड़ी संख्या में सैनिक और भारी हथियार तैयार किए थे. सैन्य और राजनयिक स्तर की कई वार्ताओं के बाद गोगरा क्षेत्र में और पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारों से दोनों पक्षों ने अपने जवानों को वापस बुलाने की प्रक्रिया पिछले साल पूरी की. इस समय संवेदनशील क्षेत्र में एलएसी के पास दोनों पक्षों में से प्रत्येक के लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं.
 

Featured Video Of The Day
Child Marriage Free India Season Finale: Bhuwan Ribhu ने बाल विवाह खत्म करने का मुख्य पहलू बताया