किरेन रिजिजू का बदला गया मंत्रालय, जानें इस फ़ैसले के बैकग्राउंड में क्या है...

किरेन रिजिजू की जगह संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री बनाया गया है. रिजिजू कानून मंत्री का जिम्मा संभालने के बाद से न्यायपालिका की आलोचना कर कई विवाद खड़े कर चुके थे.

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विवादों से घिरे रहे किरेन रिजिजू से अब कानून मंत्रालय की जगह संभालेंगे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय

नई दिल्‍ली:

विवादों से घिरे रहे किरेन रिजिजू का मंत्रालय बदल दिया गया है. केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को दो मंत्रियों के विभागों में बदलाव करते हुए किरेन रिजिजू की जगह संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया. किरेन रिजिजू को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का प्रभार दिया गया है. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे थे. मेघवाल वर्तमान में संसदीय कार्य राज्यमंत्री और संस्कृति राज्यमंत्री हैं. बयान के अनुसार, मेघवाल को उनके मौजूदा विभागों के अतिरिक्त कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है.    

विवादों में रहे किरेन रिजिजू 
कैबिनेट में फेरबदल होना कोई नई बात नहीं है. लेकिन किरेन रिजिजू कानून मंत्री का जिम्मा संभालने के बाद से न्यायपालिका की आलोचना कर कई विवाद खड़े कर चुके हैं. जजों की नियुक्ति का कॉलेजियम सिस्टम, पूर्व जजों की ऐक्टिविस्ट के साथ सक्रियता जैसे मुद्दों पर अपनी टिप्पणियों से कर किरेन विवाद खड़ा कर चुके हैं. 

कॉलेजियम सिस्टम को बताया था संविधान के लिए एलियन
पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने रिजिजू की टिप्पणियों पर नाराजगी भी जताई थी. दो जजों की पीठ ने कहा था कि शायद सरकार जजों की नियुक्ति को इसलिए मंजूरी नहीं दे रही, क्योंकि एनजेएसी को मंजूरी नहीं दी गई. रिजिजू ने नंवबर 2022 में कहा था कि जजों की नियुक्ति का कॉलेजियम सिस्टम संविधान के लिए एलियन है. किरेन रिजिजू ने कहा था कि कॉलेजियम सिस्टम में कई खामियां हैं और लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. बाद में उन्होंने कहा था कि रिटायर्ड जज और ऐक्टिविस्ट भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं. 

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टिप्पणियों के विरुद्ध एक पीआईएल भी दायर की गई
किरेन रिजिजू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की टिप्पणियों के विरुद्ध एक पीआईएल भी दायर की गई थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले इस पीआईएल को खारिज कर दिया था. हाल ही में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका भी मिला है. एलजी बनाम दिल्ली सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया है.

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