निजामुद्दीन मरकज को न खोलने का तर्क देते हुए केंद्र ने कहा, सीमापार तक हो सकता है असर

मरकज को दोबारा खोलने पर हाईकोर्ट ने केंद्र से सवाल किया कि उसकी मंशा कब तक निजामुद्दीन मरकज को बंद रखने की है और कहा कि यह हमेशा के लिए नहीं किया जा सकता.

विज्ञापन
Read Time: 19 mins
दिल्ली हाईकोर्ट 16 नवंबर को मरकज मामले में अगली सुनवाई करेगी
नई दिल्ली:

निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) को दोबारा खोलने से जुड़ी याचिका पर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष हलफनामा दाखिल किया है. मरकज खोलने का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि यह फैसला सीमा पार कई देशों तक असर डाल सकता है. हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court)  ने कहा है कि मरकज को अनिश्चितकाल तक बंद नहीं रखा जा सकता. निजामुद्दीन मरकज में कोविड-19 के प्रोटोकॉल के गंभीर उल्लंघन को लेकर मार्च 2020 में मुकदमा दर्ज किया गया था. कोरोना महामारी (COVID 19 pandemic) के फैलने के बीच मरकज में तबलीगी जमात का सम्मेलन हुआ था, जिसमें भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों से तबलीगी आए थे.

मरकज को दोबारा खोलने की याचिका पर केंद्र सरकार ने कहा है कि इसका गंभीर प्रभाव होगा. दिल्ली के डिप्टी पुलिस कमिश्नर की पुष्टि के साथ दाखिल केंद्र के हलफनामे में कहा गया है कि कोरोना प्रोटोकॉल के उल्लंघन को लेकर दर्ज की केस प्रापर्टी के तौर पर मरकज को अभी ऐसे ही संरक्षित रखना जरूरी है, क्योंकि इस मामले से जुड़ी जांच का सीमा पर तक प्रभाव पड़ सकता है और यह मामला कई देशों के साथ कूटनीतिक रिश्तों से भी जुड़ा हुआ है. 

मरकज को दोबारा खोलने के लिए दिल्ली वक्फ बोर्ड ने अर्जी दी है, जिस पर जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने सुनवाई की. मरकज पिछले साल 31 मार्च से ही बंद है. हाईकोर्ट ने केंद्र से सवाल किया कि उसकी मंशा कब तक निजामुद्दीन मरकज को बंद रखने की है और कहा कि यह हमेशा के लिए नहीं किया जा सकता.

Advertisement

वहीं केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि मरकज को खोलने की कानूनी कार्रवाई की शुरुआत संपत्ति को लीज पर लेने वाले या परिसर में रहने वालों की तरफ से हो सकती है. मरकज के आवासीय भाग को एक याचिका कोर्ट में लंबित है.वक्फ बोर्ड को इसमें आगे आने का हक नहीं है.

Advertisement

इस पर जज ने कहा, महामारी के कारण एफआईआर दर्ज की गई और आपने संपत्ति पर नियंत्रण कर लिया. इसे वापस लौटाया जाना चाहिए. ऐसा नहीं हो सकता कि संपत्ति को हमेशा केस प्रापर्टी के तौर पर अदालत के आदेश के अधीन रखा जाए.कब तक इस संपत्ति पर ताला लगाए रखेंगे. केंद्र के हलफनामा पर जवाब दाखिल करने की वक्फ बोर्ड को अनुमति देने के साथ ही मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को तय कर दी.

Advertisement
Featured Video Of The Day
'The Sabarmati Report' पर बोले PM Modi: 'झूठी धारणा नहीं टिकती' | Godhra Riots
Topics mentioned in this article