क्या वर्क लोड बढ़ने और अधिक टेंशन की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं CAPF के जवान ?

गृहमंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन सैनिकों का वर्क लोड का पैटर्न अगर आप देखें तो पिछले दस सालों में इसमें काफी बदलाव आया है.

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नई दिल्ली:

अर्धसैनिक बलों (CAPF) के बीच आत्महत्या करने वाले जवानों की संख्या दूसरे किसी भी सैन्य बलों की तुलना में सबसे ज्यादा है. इसकी एक वजह लगातार हाई इंटेंसिटी वाली ड्यूटी और बढ़ते वर्क लोड को बताया जा रहा है. ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या हमेशा हाई वैल्यू टार्गेट्स (वीआईपी) को गार्ड करने के कारण ये जवान अपना मानसिक संतुलन खो रहे हैं ? एक आंकड़े के मुताबिक हर साल CAPF के 125 से ज्यादा जवान आत्महत्या कर रहे हैं. इससे भी बड़ी चिंता की बात ये है कि ये आंकड़ा हर साल लगातार बढ़ रहा है. केंद्रीय गृहमंत्रालय से मिले आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में 153 जवानों ने आत्महत्या की वहीं 2020 में यह आंकड़ा 149  था, और 2019 में आत्महत्या करने वाले जवानों की कुल संख्या 133 थी. इससे पहले 2018 में कुल 97 जवानों ने खुदकुशी की थी. 

गृह मंत्रालय के अकड़ों के मुताबिक़ पिछले दस सालों में 1205 जवानों ने ख़ुदख़ुशी की है. गृहमंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन सैनिकों का वर्क लोड का पैटर्न अगर आप देखें तो पिछले दस सालों में इसमें काफी बदलाव आया है. आज की तारीख में देश में जहां भी चुनाव होते हैं वहां औसतन चार गुना ज्यादा फोर्स भेजी जाती है. इस वजह से ये जवान अगले तीन से चार महीने तक जवान उसी काम पर लगे रह जाते हैं. इन जवानों पर दबाव इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि सरकार की तरफ से मैनपावर में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. यही वजह है कि अब जवानों में तनाव का स्तर पहले से ज्यादा पाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ये एक गंभीर मुद्दा है. और कारण जानने के बावजूद भी सरकार उन मसलों के निवारण के लिए कुछ ज्यादा नहीं कर रही है. 

गौरतलब कि वीआईपी ड्यूटी में तैनात जवानों पर भी तनाव का स्तर दिखने लगा है. यही वजह है कि पिछले एक हफ्त में दो ऐसे मामले सामने आए हैं जिनसे पता चलता है कि जवान कितने दबाव में हैं. पहला मामला IB के निदेशक के घर पर तैनात एक ASI का है. जिसने खुदको गोली मारकर आत्महत्या कर ली. जबकि दूसरा मामला उड़ीसा के मंत्री का है. जिसे उसके ही सुरक्षा गार्ड ने गोली मार दी थी. इन घटनाओं को देखते हुए मंगलवार को CRPF में मनोवैज्ञानिक की नियुक्ति को लेकर अखबारों में विज्ञापन तक दिए गए. 

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डॉक्टर ओम प्रकाश जो मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान में काम करते हैं का कहना है कि दुनिया भर में एक फ़ोर्स एक ही काम करती है लेकिन भारत ऐसा देश है जहां उसे हर तरह का काम करना पड़ता है. कई बार ऐसा भी देखा गया है की उनसे जो काम लिया जा रहा है उसके लिए उन्हें पर्याप्त ट्रेनिंग तक नहीं दी गई है. कई बार तो ट्रेनिंग सही ना मिलने की वजह से ये जवान तनाव में रहते हैं.  

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बता दें कि CRPF अकेला ऐसा अर्धसैनिक बन नहीं है जिसके जवानों में तनाव और काम को ज्यादा लोड देखने को मिलता है. ITBP में भी इस तरह की बातें सामने आई हैं. यही वजह है कि ITBP अपने जवानों में तनाव कम करने के लिए समय-समय पर वर्कशॉप का आयोजन कराता है. ITBP के अधिकारी ने बताया कि हम जवानों के मनोस्थिति का ख्याल रखते हैं, यही वजह है कि हम ऑनलाइन कॉन्फ़्रेंस के ज़रिए जवानों से जुड़ते है और उनके मसलों को समझने की कोशिश करते है.

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