वरिष्ठ स्तर पर महिलाओं की नियुक्ति लैंगिक रूढ़ियों को बदल सकती है: न्यायमूर्ति नागरत्ना

न्यायमूर्ति नागरत्ना 2027 में भारत की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बन सकती हैं.

विज्ञापन
Read Time: 17 mins
न्यायमूर्ति नागरत्ना 2027 में भारत की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बन सकती हैं. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय (Suprme Court) की न्यायाधीश बी. वी. नागरत्ना (B V Nagarathna) ने रविवार को कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने से व्यापक तरीकों से लैंगिक समानता (Gender Equality) की भूमिका को बढ़ावा मिलता है. उन्होंने कहा कि विशेष रूप से न्यायिक क्षेत्र में वरिष्ठ स्तर पर महिलाओं की नियुक्तियां लैंगिक रूढ़ियों को बदल सकती हैं, जिससे पुरुषों और महिलाओं की उचित भूमिकाओं के प्रति दृष्टिकोण और धारणा में बदलाव होगा.

न्यायमूर्ति नागरत्ना 2027 में भारत की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बन सकती हैं. उन्होंने कहा, ‘‘न्यायिक अधिकारियों के रूप में महिलाओं की भागीदारी, सरकार की विधायी और कार्यकारी शाखाओं जैसे अन्य निर्णय लेने वाले पदों पर महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व का मार्ग प्रशस्त कर सकती है.''

न्यायमूर्ति नागरत्ना उच्चतम न्यायालय की महिला अधिवक्ताओं द्वारा शीर्ष अदालत के नौ नवनियुक्त न्यायाधीशों के अभिनंदन के लिए आयोजित एक समारोह में बोल रही थीं, जिसमें तीन महिला न्यायाधीश भी शामिल हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहना चाहूंगी, भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने रास्ता दिखाया है कि क्यों अन्य शाखाओं चाहे वह विधायिका हो या कार्यपालिका की शाखाओं में महिलाएं अदृश्य अवरोधकों नहीं तोड़ सकतीं.''

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, ‘‘मैं विस्तार से नहीं बोल सकती लेकिन इतना कह सकती हूं कि न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने से व्यापक तरीकों से लैंगिक समानता की भूमिका को बढ़ावा मिलता है. विशेष रूप से न्यायिक क्षेत्र में वरिष्ठ स्तरों पर महिलाओं की नियुक्तियां लैंगिक रूढ़ियों को बदल सकती हैं जिससे पुरुषों और महिलाओं की उचित भूमिकाओं के प्रति दृष्टिकोण और धारणा में बदलाव होगा.''

न्यायमूर्ति नागरत्ना के साथ नियुक्त शीर्ष अदालत की एक अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने कहा कि हाल में गुजरात में एक समारोह में उन्होंने कहा था कि जब न्यायाधीश मंच पर होते हैं तो उनका कोई लिंग नहीं होता. न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा, लेकिन ‘‘मेरे मन में विशेष रूप से कामकाजी महिलाओं के लिए सॉफ्ट कॉर्नर है.''

न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा, ‘‘मैं उनके लिए (महिलाओं) सॉफ्ट कॉर्नर रखती हूं इसलिए नहीं कि मैं उन्हें कमजोर लिंग मानती हूं बल्कि इसलिए कि मैं उनकी प्रतिबद्धता का सम्मान करती हूं. मैं उनकी आंतरिक शक्ति का सम्मान करती हूं. आप जानते हैं कि मैं कहा करती थी कि यदि आप अपने बाहरी प्रभुत्व से मुक्त होना चाहते हैं, तो आपको अपनी आंतरिक शक्ति की खोज करनी होगी.''

Advertisement

न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति त्रिवेदी के साथ शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाली न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने कहा कि वह उम्मीदों पर खरा उतरने और न्याय करने के लिए कानून के शासन का पालन करने की कोशिश करेंगी तथा इसे वह संवेदनशीलता प्रदान करेंगी जैसा कि महिलाएं होती हैं.

न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, ‘‘मैं लिंग के दृष्टिकोण से नहीं बल्कि निष्पक्ष दृष्टिकोण से बात कर रही हूं. मैं उस नजरिया के बारे में बात कर रही हूं जो कभी-कभी पुरुष के साथ नहीं होता है. मैं यह नहीं कह रही हूं कि मेरे पुरुष सहयोगी संवेदनशील नहीं होते हैं. यह देखना आश्चर्यजनक है कि हमारे कई साथी जिनके साथ मैं बैठी हूं, वे महिला संबंधी मुद्दों को एक अलग दृष्टिकोण देंगे जो शायद मेरे सामने शायद नहीं आए.'' शीर्ष अदालत में तीन महिलाओं सहित नौ न्यायाधीशों ने एक साथ 31 अगस्त को शपथ ली थी.

Advertisement

यह भी पढ़ें

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
चीन फिर फैला रहा है Corona Virus?
Topics mentioned in this article