ज्ञानवापी के तालगृह की 500 साल पुरानी जर्जर छत, अब वाराणसी कोर्ट से मरम्मत की मांग

वाराणसी अदालत (Varanasi Gyanvapi) से व्यास जी के तालगृह की मरम्मत की मांग करते हुए प्रार्थना पत्र को जिला जज की अदालत में दाखिल कर दिया गया है, इसमें तालगृह के ऊपर छत पर किसी को भी जाने से रोकने की भी मांग की गई है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
ज्ञानवापी के तालगृह की 500 साल पुरानी जर्जर छत, अब वाराणसी कोर्ट से मरम्मत की मांग
वाराणसी अदालत से ज्ञानवापी के तालगृह की मरम्मत की मांग.
नई दिल्ली:

वाराणसी के ज्ञानवापी मामले (Varanasi Gyanvapi) में कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दाखिलकर तालगृह की मरम्मत की मांग की गई है. वकील विष्णु शंकर जैन की याचिका के बाद अब काशी विश्वनाथ ट्रस्ट भी वाराणसी जिला अदालत पहुंच गया है. अदालत में याचिका दाखिल कर व्यास जी ताहखाने के उपर नमाजियों की भीड़ पर रोक लगाने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि व्यासजी के ताहखाने के ऊपर ज्यादा संख्या में नमाजियों के इकट्ठा होने से जर्जर ताहखाने की छत कभी भी गिर सकती है, इसलिए अदालत आदेश दे कि उस एरिया मे अधिक संख्या मे जा रहे नमाजियों की संख्या कम की जाए.

ज्ञानवापी के तालगृह की मरम्मत के लिए भी श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने प्रार्थना पत्र अदालत में दिया है. अदालत से व्यास जी के तालगृह की मरम्मत की मांग की गई है. इस प्रार्थना पत्र को जिला जज की अदालत में दाखिल कर दिया गया है, इसमें व्यास जी के तालगृह के ऊपर छत पर किसी को भी जाने से रोकने की भी मांग की गई है.  श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण की ओर से वकील रविकुमार पांडेय ने इससे संबंधित प्रार्थना पत्र अदालत में दाखिल किया है. मामले में अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी.

व्यास जी का तहखाना ही अब तालगृह

 ज्ञावनापी के तहखाने को ही तालगृह नाम दिया गया है. काशी विद्वत परिषद ने इस जगह को नया नाम दिया था. इस तहखाने को अब तालगृह कहा जा रहा है. दरअयल यह जगह लंबे समय से बंद पड़ी हुई थी, पिछले दिनों व्यास जी के तहखाने को कोर्ट के आदेश के बाद पूजा-पाठ के लिए खोल दिया गया था. व्यासजी के तहखाने को ही अब ज्ञानवापी तालगृह के नाम से जाना जाता है. अब कोर्ट से इसकी मरम्मत की गुहार लगाते हुए एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है. 

500 साल पुरानी छत जर्जर, मरम्मत की मांग

बता दें कि इससे पहले हिन्दू पक्ष की तरफ से जिला कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर व्यास जी के तहखाने की छत वाले मस्ज़िद के हिस्से पर किसी के भी प्रवेश को रोकने की मांग की गई थी. साथ ही तहखाने की छत पर नमाज़ पढ़ने पर भी रोक लगाने की मांग की गई थी. अपनी याचिका में हिन्दू पक्ष ने दावा किया था  कि 500 साल पुरानी छत होने से छत का हिस्सा जर्जर है. हिन्दू पक्ष ने मरम्मत की भी मांग कोर्ट से की है. याचिका में सुरक्षा और आस्था का हवाला दिया गया था.  ये याचिका हिन्दू पक्ष से वादी डॉ राम प्रसाद सिंह ने दाखिल की थी. 

Advertisement

1992 में सील हुआ था व्यास जी का तहखाना

व्यास जी के तहखाने के नाम से मशहूर इस स्थान को 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद सील कर दिया गया था. विध्वंस के तुरंत बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया था. अगले साल विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव  के नेतृत्व वाली सरकार बनी. राज्य सरकार ने तब कानून और व्यवस्था की चिंताओं का हवाला दिया और तहखाने वाले 'मंदिर' को सील कर दिया गया. इसके बाद से ये बंद था. हाल ही में कोर्ट के आदेश के बाद हिन्दू पक्ष को यहां पूजा का अधिकार दिया गया है.

Advertisement

Featured Video Of The Day
Iran Israel War: Tel Aviv में ईरान के हमलों से क्या हुआ नुक़सान, ग्राउंड ज़ीरो से NDTV की रिपोर्ट
Topics mentioned in this article