चुनाव आयोग ने सोमवार को गुजरात चुनाव के दूसरे चरण से पहले मतदाताओं से एक विशेष अपील की. इस अपील में अंतिम चरण में शहरी क्षेत्रों में देखी गई मतदान को लेकर उदासीनता को दूर करने का आग्रह किया गया है. चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा, "गुजरात चुनाव के पहले चरण में सूरत, राजकोट और जामनगर में राज्य के औसत 63.3 प्रतिशत से कम मतदान हुआ है." राज्य में 2017 के चुनाव के पहले चरण में 66.75 प्रतिशत मतदान हुआ था.
आयोग ने कहा, "जबकि कई निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत में वृद्धि हुई. औसत मतदान का आंकड़ा इन महत्वपूर्ण जिलों में शहरी उदासीनता से कम हो गया. हाल ही में हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान भी शिमला के शहरी विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 62.53 प्रतिशत (13 प्रतिशत से कम) मतदान दर्ज किया गया था. जबकि राज्य का औसत 75.6 प्रतिशत है.
चुनाव आयोग ने कहा, "गुजरात के शहरों ने विधानसभा चुनावों में एक दिसंबर को मतदान के दौरान इसी तरह की शहरी उदासीनता की प्रवृत्ति दिखाई है. इससे पहले चरण में मतदान का प्रतिशत कम हुआ है."
गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के लिए हाई-वोल्टेज प्रचार शनिवार को शाम 5 बजे समाप्त हो गया. अहमदाबाद, वडोदरा और गांधीनगर सहित उत्तर और मध्य गुजरात के 14 जिलों में फैले 93 निर्वाचन क्षेत्रों में 800 से अधिक उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. वोटों की गिनती आठ दिसंबर को होगी. सौराष्ट्र, कच्छ और दक्षिण गुजरात की 89 सीटों के लिए पहले चरण का मतदान गुरुवार को हुआ था.
दूसरे चरण के प्रमुख उम्मीदवारों में घाटलोडिया से मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, वीरमगाम से पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और गांधीनगर दक्षिण से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के नेता अल्पेश ठाकोर शामिल हैं. हार्दिक पटेल और ठाकोर, दोनों बीजेपी के प्रत्याशी हैं.
चुनाव में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच है.
दूसरे चरण में सत्ताधारी बीजेपी को कुछ विधानसभा क्षेत्रों में बागी उम्मीदवारों से भी चुनौती मिल रही है. वाघोडिया से पार्टी के विधायक मधु श्रीवास्तव इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी के पूर्व विधायक दीनू सोलंकी, धवलसिंह जाला और हर्षद वसावा भी पाडरा, बायड और नंदोद सीटों से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.